आर्य समाज अंतिम संस्कार विधि / तेरहवीं संस्कार विधि आर्य समाज

आर्य समाज अंतिम संस्कार विधि / तेरहवीं संस्कार विधि आर्य समाज – भारत में आपको अलग-अलग धर्म के लोग देखने को मिल जाएगे. जिनके रीति रिवाज भी अपने धर्म के अनुसार अलग-अलग होते हैं. धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार भी अलग अलग प्रकार से किए जाते हैं. वैसे तो भारत में विभिन्न धर्म के लोग रहते हैं. लेकिन आज हम आर्य समाज के बारे में कुछ जानकारी देने वाले हैं.

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यह भी भारत का ही श्रेष्ठ धर्म माना जाता हैं. आर्य का अर्थ ही श्रेष्ठ होता हैं. आर्य समाज के नियम और सिद्धांत वेदों पर आधारित हैं. लेकिन आज हम आर्य समाज की अंतिम संस्कार विधि के बारे में आपको बताने वाले हैं. इसलिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आर्य समाज अंतिम संस्कार विधि तथा तेरहवीं संस्कार विधि आर्य समाज के बारे में बताने वाले हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

आर्य समाज अंतिम संस्कार विधि

आर्य समाज में अंतिम संस्कार के दिन मृत शरीर को वैदिक संस्कार के द्वारा अग्नि संस्कार किया जाता हैं. इसके पश्चात तीन से चार दिन बाद घर में शांति हवन का आयोजन किया जाता हैं. जिसमें परिवार के सदस्यों के द्वारा प्रसाद आदि चढ़ाया जाता हैं. और दिव्य आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती हैं.

आर्य समाज मे मृत्यु के बाद मुंडन करवाने का रिवाज भी होता हैं. इसके पीछे यह कारण है की मृत्यु के बाद मृत शरीर सड़ने लगता हैं. उस शरीर के जीवाणु आसपास के सदस्यों को न लग जाए. इसलिए मुंडन कर दिया जाता हैं. तथा मृत्यु के बाद सूतक लग जाने की वजह से भी मुंडन करवाया जाता है.

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तेरहवीं संस्कार विधि आर्य समाज

आर्य समाज में 90 प्रतिशत लोग शांति पाठ करते हैं. और यह पाठ अंतिम संस्कार के तीसरे दिन ही कर दिया जाता हैं. ऐसा माना जाता है की अंतिम संस्कार हो जाने के बाद लोगो को तेरहवीं के लिए 13 दिन का समय देना पड़ता हैं. और तेरहवीं के दिन खर्चा आदि भी अधिक हो जाता हैं.

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इसलिए आर्य समाज में अंतिम संस्कार के तीसरे दिन ही शांति पाठ कर दिया जाता हैं. इनका यह भी मानना है की व्यक्ति के मरने के बाद उसका शोक जितना जल्दी दूर हो जाए उतना अच्छा हैं. इसलिए अंतिम संस्कार के तीसरे दिन ही शांति पाठ करके परिवार वालो को शोक से दूर कर दिया जाता हैं. यह लोग तेरहवीं तक का इंतजार नही करते हैं. और किसी आचार्य के हाथ से तीसरे दिन ही शांति पाठ संपन्न कर दिया जाता है.

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आर्य समाज में श्राद्ध

आर्य समाज में मरने के बाद व्यक्ति का श्राद्ध आदि नहीं किया जाता हैं. इनका मानना है की व्यक्ति के मरने से पहले ही श्राद्ध कर लो. इसका अर्थ होता है किसी भी व्यक्ति के मरने से पहले ही उनको संसाधन प्राप्त करवा दिए जाए. अर्थात उनके जिते जी उनके प्रति श्रद्धा रखे और सेवा करे.

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अंतिम संस्कार के बाद नहाना क्यों जरूरी है

ऐसा माना जाता है की अंतिम संस्कार करने के बाद मृत शरीर की आत्मा वहां मौजूद होती हैं. तथा अंतिम संस्कार के बाद नकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति के शरीर में प्रवेश हो जाती हैं. अगर अंतिम संस्कार के बाद नाह लिया जाए तो व्यक्ति सकारात्मक हो जाता हैं. और व्यक्ति को नकारात्मक उर्जा से मुक्ति मिल जाती हैं.

इसके अलावा वैज्ञानिक दृष्टी से देखा जाए तो मृत शरीर के अंतिम संस्कार के बाद मृत शरीर में से निकले हुए जीवाणु व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं. इसलिए अगर व्यक्ति अंतिम संस्कार के बाद नाह ले तो ऐसे जीवाणु से शरीर को मुक्ति मिलती हैं. और हमारा शुद्ध हो जाता हैं.

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आर्य समाज अंतिम संस्कार विधि तथा तेरहवीं संस्कार विधि आर्य समाज के बारे में बताया हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.

हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह आर्य समाज अंतिम संस्कार विधि / तेरहवीं संस्कार विधि आर्य समाज आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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