जय हिन्द का नारा किसने दिया था – पूरी कहानी

Jay hind ka nara kisne diya tha | जय हिन्द का नारा किसने दिया था – भारतीयों ने आजादी प्राप्त करने के लिए कही सालो तक अंग्रेजी सरकार के साथ लड़ाई लड़ी थी. इस लड़ाई में अनेक कविताओ, साहित्यों, देशप्रेम के गीतों और नारों ने लोगो को एक साथ खड़ा करने की भूमिका निभाई थी. ऐसा ही एक प्रभावशाली नारा ‘जय हिन्द’ हैं. लेकिन आपको पता हैं की जय हिन्द का नारा किसने दिया था. तो इस आर्टिकल में हम आपको बताएगे की जय हिन्द का सबसे पहले किसने दिया था. और जय हिन्द के नारे की पूरी कहानी भी बताएँगे.

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जय हिन्द का अर्थ और प्रभाव

हमारे देश में जय हिन्द नारा आपको हर भाषण में सुनने को मिल जाता हैं. विशेषकर नेता लोग अपना भाषण ख़त्म करने के बाद लोगो को प्रफुल्लित करने के लिए ‘जय हिन्द’ नारे उद्घोष करते हैं. जय हिन्द का अर्थ ‘भारत की विजय हो’ होता हैं. जय हिन्द नारा हमारे देश में देश भक्ति और देशप्रेम दिखाने के लिए उपयोग किया जाता हैं.

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जय हिन्द का नारा किसने दिया था | Jay hind ka nara kisne diya tha

जय हिन्द का नारा भारतीय क्रन्तिकारी आबिद हुसैन ने दिया था. लेकिन इस नारे का सम्बन्ध नेताजी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस से ज्यादा जुड़ा हैं. क्योंकि जय हिन्द नारा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की आजादी हिन्द सेना का उद्घोष था. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के आजाद हिन्द सेना के सदस्य और नेताजी के अनुयायी रामचंद्र मोरेश्वर ने तथ्यों पर आधारित एक नाटक लिखा था. जिसका नाम जय हिन्द था. इसके साथ ही जय हिन्द नामक एक पुस्तक भी प्रकाशित की थी.

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जय हिन्द के नारे की पूरी कहानी | Story of jay hind in hindi

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के सामने जिस व्यक्ति ने सर्वपर्थम जय हिन्द का नारा रखा था. उन का नाम  चेम्बाकरमण पिल्लई था. चेम्बाकरमण पिल्लई का जन्म 15 सितम्बर, 1891 में तिरुवंतमपूरम में हुआ था. वह बचपन से ही देशप्रेमी थे. और भारत को अंग्रेजी सरकार से मुक्ति दिलाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अपने कॉलेज के समय से ही जय हिन्द नारे का प्रयोग अपने अभिवादन में करना शुरू कर दिया था.

सन 1908 में चेम्बाकरमण पिल्लई जर्मनी अर्थशास्त्र में पी. एच. डी. करने के लिए चले गए थे. वहा पर उन्होंने प्रथम युध्द के समय ब्रिटिश सेना के खिलाफ जर्मनी सेना में जूनियर अफसर का पद संभाला था. 1933 में जब पिल्लई नेताजी से आस्ट्रिया की राजधानी वियना में मिले तब उन्होंने नेताजी का अभिवादन ‘जय हिन्द’ के नारे से किया. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने पहली बार इस नारे को सुना और इनकी शालीनता तथा सरलता से बहुत प्रभावित हुए.

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द्वितीय युध्द के समय नेताजी अंग्रेजी सरकार से आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए आजाद हिन्द फ़ौज का गठन कर रहे थे. द्वितीय युध्द के दौरान जर्मनी ने जिन ब्रिटिश सैनिकों को बंदी बनाया था. उनमे भारतीय लोग भी थी. नेताजी ने 1941 में ऐसे सैनिको को आजाद हिन्द फ़ौज में मिलने की बात कही. और आजादी की लड़ाई में शामिल होने की बात रखी. यह खबर जर्मनी के अखबारों में बड़े स्तर पर छापी गई.

उसी समय एक भारतीय विधार्थी आबिद हुसैन अखबारों की खबरों से प्रभावित होकर नेताजी के संपर्क में आए. और नेताजी के सेक्रेटरी का कर्यभाल संभाला. नेताजी ने आबिद हुसैन को आजाद हिन्द फ़ौज के सैनिकों के बिच अभिवादन का भारतीय शब्द सुझाने को कहा और आबिद हुसैन ‘जय हिन्द’ शब्द का सुझाव रखा. जो नेताजी को बहुत पसंद आया.

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इनके बाद 2 नवम्बर, 1941 को जय हिन्द नारा आजाद हिन्द फ़ौज का उद्घोष बन गया. और पुरे भारत में जय हिन्द की गूंज सुनाई देने लगी. आजादी के पश्चात् भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर नेहरु जी ने भी लालकिले से अपने भाषण की समाप्ति भी जय हिन्द के नारे से की थी. आजाद भारत के पहले डाक टिकट पर भी जय हिन्द का नारा लिखा हुआ था.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (जय हिन्द का नारा किसने दिया था | Jay hind ka nara kisne diya tha) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको जय हिन्द के नारे के बारे में विस्तार से जानकारी देना हैं. जय हिन्द का नारा सबसे पहले भारतीय क्रन्तिकारी आबिद हसन ने दिया था. यह नारा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की आजाद हिन्द फ़ौज का उद्घोष और अभिवादन करने का शब्द था. इस नारे ने आजादी के समय में भारतीय जनता के बिच एकता लाने का कार्य किया था.

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