Sandhi ke kitne bhed hote hain | sandhi kitne prakar ki hoti hai

संधि के कितने भेद होते हैं | संधि के कितने प्रकार होते हैं | Sandhi ke kitne bhed hote hain | sandhi kitne prakar ki hoti hai – हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तथा हिंदी भाषा को शुध्द रूप से लिखने और बोलने के लिए हिंदी व्याकरण में विभिन्न नियम दीए गए हैं. जिसका प्रयोग कर के कोई भी व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से सिख सकता हैं. इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण पाठ संधि और संधि के भेद या प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं.

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संधि किसे कहते हैं | संधि की परिभाषा (sandhi ki paribhasha)

दो स्वर या व्यंजन के मेल से जो विकार उत्पन्न होता हैं. उसे संधि कहा जाता हैं. जब दो शब्दों की संधि की जाती हैं. तब पहले शब्द के अंतिम अक्षर और दुसरे शब्द के पहले अक्षर में विकार उत्पन्न होता हैं. यह विकार कभी दोनों शब्दों या कभी दोनों में से एक शब्द में उत्पन्न होता हैं. कही बार दो शब्दों के मेल अन्य कोई तीसरा शब्द ही बन जाता हैं.

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संधि के उदाहरण:

सुर + इंद्र = सुरेन्द्र

हिम + आलय = हिमालय

सत् + आनन्द = सदानन्द

ऊपर दीए गए उदाहरनो में दो वर्ण या ध्वनि मिलकर किसी अन्य वर्ण का निर्माण हो रहा हैं. जैसे ‘र’ और ‘इ’ दोनों वर्ण को मिलाया गया हैं तो सुरेन्द्र शब्द का निर्माण होता हैं. और एक नए वर्ण ‘रे’ का जन्म होता हैं.

संधि शब्द का शाब्दिक अर्थ मेल होता हैं. जब दो वर्णों या ध्वनि को आपस में मिलाते हैं तो विकार पैदा होता हैं. जिसे ही संधि कहा जाता हैं.

samas ke kitne bhed hote hain – samas ke kitne prakar hote hain

संधि के कितने भेद होते हैं – संधि के कितने प्रकार होते हैं (sandhi ke kitne bhed hote hain -sandhi ke kitne prakar hote hain)

संधि के मुख्यरूप से तीन भेद होते हैं. यह तीन भेद निम्न-अनुसार हैं:

  • स्वर संधि
  • व्यंजन संधि
  • विसर्ग संधि

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स्वर संधि किसे कहते हैं?

जब किसी दो स्वरों का मेल होता हैं. और उससे जो विकार उत्पन्न होता हैं. उसे स्वर संधि कहा जाता हैं.

स्वर संधि के पांच भेद होते हैं:

  • दीर्घ संधि
  • गुण संधि
  • वृध्दि संधि
  • यण संधि
  • अयादी संधि

दीर्घ संधि किसे कहते हैं?

जब दो सवर्ण, ह्रस्व या दीर्घ स्वर के मिलने से उनके स्थान पर एक दीर्घ सवर्ण स्वर बनता हैं. तो उसे दीर्घ स्वर कहा जाता हैं.

दीर्घ संधि का उदाहरण:

अ + अ = आ कोण + अर्क कोणार्क
अ + अ = आ पुष्प + अवली पुष्पावली
अ + आ = आ हिम + आलय हिमालय
आ + अ = आ माया + अधीन मायाधीन
आ + अ = आ विधा + अर्थी विधार्थी
आ + आ = आ विद्या + आलय विद्यालय
इ + इ = ई गिरि + इंद्र गिरीन्द्र
इ + ई = ई गिरि + ईश गिरीश
उ + उ = ऊ सु + उक्ति सूक्ति
उ + ऊ = ऊ सिन्धु + ऊर्मि सिन्धूमि
ऊ + उ = ऊ वधू + उत्सव वधूत्सव
ऋ + ऋ= ऋ पितृ + ऋण पितृण

गुण संधि किसे कहते हैं?

जब अ या आ के बाद इ या ई आता हैं तो ए हो जाता हैं. उसी प्रकार से अ या आ के बाद उ या ऊ आता हैं तो ओं हो जाता हैं. तथा अ या आ के आगे ऋ आने पर अर् हो जाता है. इसे गुण संधि कहा जाता हैं.

गुण संधि का उदाहरण:

अ + इ= ए देव + इन्द्र देवन्द्र
अ + ई= ए देव + ईश देवेश
आ + इ= ए महा + इन्द्र महेन्द्र
अ + उ= ओ चन्द्र + उदय चन्द्रोदय
अ + ऊ = ओ समुद्र + ऊर्मि समुद्रोर्मि
आ + उ = ओ महा + उत्सव महोत्सव
आ + ऊ = ओ गंगा + उर्मि गंगोर्मि
अ + ऋ = अर् देव + ऋषि देवर्षि
आ + ऋ = अर महा + ऋषि महर्षि

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वृध्दि संधि किसे कहते हैं?

जब अ या आ स्वर वर्ण के बाद ए या ऐ आता हैं तो दोनों मिलकर ऐ हो जाता हैं. इसी प्रकार से जब जब अ या आ स्वर वर्ण के बाद ओं या औ आता हैं तो दोनों मिलकर औ हो जाता हैं. इसप्रकार की संधि को वृध्दि संधि कहा जाता हैं.

वृध्दि संधि के उदाहरण:

अ + ए = ऐ पुत्र + एषणा पुत्रैषणा
अ + ऐ = ऐ मत + ऐक्य मतैक्य
आ + ए = ऐ सदा + एव सदैव
आ + ऐ = ऐ महा + ऐश्वर्य महैश्वर्य
अ + ओ = औ जल + ओकस जलौकस
अ + ओ =औ परम + ओजस्वी परमौजस्वी
आ + ओ =औ महा + ओजस्वी महौजस्वी
आ + औ =औ महा + औषध महौषध

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यण संधि किसे कहते हैं?

जब इ या ई स्वर वर्ण के बाद असमान स्वर आता हैं तो दोनों मिलकर ‘य’ हो जाता हैं. इसी प्रकार से जब उ या ऊ स्वर वर्ण के बाद असमान स्वर आता हैं तो दोनों मिलकर ‘व’ हो जाता हैं. और जब ऋ स्वर वर्ण के बाद असमान स्वर आता हैं तो दोनों मिलकर ‘र’ हो जाता हैं. इसप्रकार की संधि को यण संधि कहा जाता हैं.

यण संधि के उदाहरण:

इ + अ= य यदि + अपि यद्यपि
इ + आ= या अति + आवश्यक अत्यावश्यक
इ + उ= यु अति + उत्तम अत्युत्तम
इ + ऊ = यू अति + उष्म अत्यूष्म
उ + अ= व अनु + आय अन्वय
उ + आ= वा मधु + आलय मध्वालय
उ + ओ = वो गुरु + ओदन गुवौंदन
उ + औ= वौ गुरु + औदार्य गुवौंदार्य
उ + इ= वि अनु + इत अन्वित
उ + ए= वे अनु + एषण अन्वेषण
ऋ + आ= रा पितृ + आदेश पित्रादेश

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अयादी स्वर संधि किसे कहते हैं?

जब ए या ऐ स्वर वर्ण के बाद अन्य स्वर आता हैं तो दोनों मिलकर क्रमश ‘अय्’ और ‘आय्’ हो जाता हैं. इसी प्रकार से जब ओं या औ स्वर वर्ण के बाद असमान स्वर आता हैं तो दोनों मिलकर ‘अव्’ और ‘आव्’ हो जाता हैं. इसप्रकार की संधि को अयादी संधि कहा जाता हैं.

अयादी संधि के उदाहरण:

ए + अ = अय् ने + अयन नयन
ऐ + अ = आय् नै + अक नायक
ओ + अ = अव् पो + अन पवन
औ + अ = आव् पौ + अक पावक

व्यंजन संधि किसे कहते हैं?

जब व्यंजन और व्यंजन या व्यंजन और स्वर मिलते हैं. तो जो विकार उत्पन्न होता हैं. उस विकार को व्यंजन संधि कहते हैं.

व्यंजन संधि के उदाहरण:

अहम् + कार अहंकार
महान् + लाभ महांल्लाभ
दिक् + गज दिग्गज
तत् + अनुसार तदनुसार
उत् +नति उत्रति

 

विसर्ग संधि किसे कहते हैं?

जब विसर्ग और व्यंजन या स्वर मिलते हैं. तो जो विकार उत्पन्न होता हैं. उस विकार को विसर्ग संधि कहते हैं. विसर्ग संधि का उपयोग संस्कृत भाषा में किया जाता हैं. हिंदी भाषा में विसर्ग संधि का ज्यादा उपयोग नहीं होता हैं.

विसर्ग संधि के उदाहरण:

निः + शंक निश्शंक
निः + रव नीरव
निः + तार निस्तार
प्रात: + काल प्रात:काल
दुः + निवार दुर्निवार

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (संधि के कितने भेद होते हैं – संधि के कितने प्रकार होते हैं- संधि किसे कहते हैं? – संधि की परिभाषा) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको संधि और संधि के भेद या प्रकार के बारे में सरल भाषा में ज्ञान देना हैं. इस आर्टिकल में हमने विभिन्न संधि शब्दों का समावेश किया हैं. जिससे पाठक को संधि और संधि के भेद या प्रकार समझने में सहायता मिलती हैं.

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