Sangeet kise kahate hain | संगीत किसे कहते हैं – संगीत और इन्सान का रिश्ता प्राचीन काल से हैं. हिन्दू धर्म की कथाओ में नारादमुनि को संगीत का आर्शीवाद प्राप्त था. अंत वह हर बात को सगितमय लय से ही करते थे. आज की युवा पीढ़ी भी संगीत की दीवानी हैं. इस आर्टिकल में हम जानेगे की संगीत किसे कहते हैं. भारतीय समाज में संगीत उपस्थिति कब से हैं. और संगीत से मनुष्य को क्या फ़ायदे होते हैं.
संगीत किसे कहते हैं | sangeet kise kahate hain
स्वर को लय में बाधने की कला को संगीत कहा जाता हैं. संगीत मनुष्य के साथ प्रारंभ से हैं. भारत में संगीत राजा भरत के समय से पहले से हैं. संगीत का मुख्य स्त्रोत प्राकृतिक ध्वनिया हैं. जब कोई प्राकृतिक ध्वनि मनुष्य के दिल को छु जाती थी. या मनुष्य के मन में अच्छे भाव उत्पन्न करती थी. संगीत बन जाती थी.
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मनुष्य ने इस प्राकृतिक ध्वनियो से प्रभावित होकर वाद्य यंत्रो से अन्य प्रकार की ध्वनियो को उत्पन्न करने की कला सीखी. इस प्रकार से आप देख सकते हैं. विभिन्न वाद्य यंत्र प्राकृतिक वस्तुओ जैसे लकड़ी, चमड़े, पत्थर से बने होते हैं. भारतीय सभ्यता में संगीत का इतिहास बहुत पुराना हैं. देवराज इंद्र के समय उनके सभा में अप्सरा नाचती थी. गंधर्व गाते थे और किन्नर वाद्य यंत्र बजाते थे.
भारतीय संगीत क्या हैं और इसके कितने भाग हैं?
भारतीय संगीत पुराने समय से भारत में सुना जा रहा हैं. हिन्दू धर्म में माना जाता हैं की भगवान ब्रह्मा ने नारद मुनि को सगीत की शिक्षा दी थी. और वरदान दिया था. भारतीय संगीता का आधार वेद हैं. संगीत रत्नाकर ग्रन्थ के अनुसार गायन, वाद्य और नृत्य के समावेश को संगीत कहा गया हैं. जिसे पंडित शारंगवेद ने संगीत को “गीतम, वादयम् तथा नृत्यं त्रयम संगीतमुच्यते” के रूप में संगीत रत्नाकर में परिभाषित किया हैं.
भारतीय संगीत को तीन भागो में बाटा गया हैं. यह तीन भाग निम्नानुसार हैं:
- शास्त्रीय संगीत
- उपशास्त्रीय संगीत
- सुगम संगीत
शास्त्रीय संगीत
शास्त्रीय संगीत की दो शाखाए हैं:
- हिन्दुस्तानी संगीन
- कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत उत्तर भारत में विकसित हुआ हैं. मुख्यरूप से मुगलों के काल में हिन्दुस्तानी संगीत का विकास हुआ हैं. इस संगीत में मुख्यरूप से शृंगार रस मिलता हैं.
कर्नाटक संगीत
कर्नाटक संगीत का विकास दक्षिणी भारत के विभिन्न मन्दिरों में हुआ हैं. अंत इस संगीत में भक्ति भाव पाया जाता हैं.
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उपशास्त्रीय संगीत
उपशास्त्रीय संगीत में चैती, ठुमरी, दादरा, कजरी, और होरी आते हैं.
सुगम संगीत
आमजन और स्थानीय लोगो के बिच प्रचलित संगीत को सुगम संगीत कहा जाता हैं. सुगम संगीत में भजन, लोक संगीत, गज़ल, स्थानीय फ़िल्म संगीत आदि शामिल किये जाते हैं.
संगीत से लाभ क्या लाभ हैं?
आधुनिक युग में संगीत हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया हैं. जिसका मुख्यकारन आज के समय में हमे संगीत आसानी से इन्टरनेट और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, मैमोरी कार्ड इत्यादि से उपलब्ध हो जाता हैं. संगीत सुनने से ना सिर्फ आनंद प्राप्त होता हैं. बल्कि इससे मानसिक शांति भी मिलती हैं. संगीत के अनेक लाभ हैं. जिसे हम निचे बिन्दुओ में लिख रहे हैं.
- संगीत सुनने से मानसिक तनाव कम होता हैं. इन्सान को कुछ समय के लिए अपनी समस्या भूलने में मदद मिलती हैं.
- साँस और फेफड़ो से जुड़े रोगों के लिए संगीत थैरिपी का उपयोग किया जाता हैं. लेकिन गंभीर रोगों का इलाज संगीत से संभव नहीं हैं.
- संगीत सुनने से आपके दिमाग में चल रहे विचार थम जाते हैं. जिससे नींद जल्दी और अच्छी आती हैं.
- संगीत सुनने से दिमाग की कलात्मक शक्ति का विकास होता हैं.
- वैज्ञानिको के अनुसार याददास्त शक्ति को बढ़ाने के लिए संगीत प्रभावशाली हैं.
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निष्कर्ष
इस आर्टिकल (Sangeet kise kahate hain) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको संगीत के बारे में विस्तार से जानकारी देना हैं. इस आर्टिकल में हमने जाना है की संगीत किसे कहते हैं और भारतीय सभ्यता और समाज में संगीत का क्या महत्त्व हैं. इस आर्टिकल में हमने यह भी जाना हैं की भारतीय संगीत कितने प्रकार के होते हैं. स्वर और लय के समन्वय को ही संगीत कहा जाता हैं.
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