वैष्णो देवी किसका अवतार है – वैष्णो देवी का इतिहास

वैष्णो देवी किसका अवतार है – वैष्णो देवी का इतिहास – वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू-कश्मीर में स्थित त्रिकुटा पर्वत पर मौजूद हैं. यह हिंदू का पवित्र मंदिर माना जाता हैं. जहाँ हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु देवी माँ के दर्शन करने के लिए जाते हैं.

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ऐसा माना जाता है की वैष्णो देवी के दर्शन से भक्तो की सभी समस्या का निवारण होता हैं. यह स्थान दर्शन के साथ-साथ रमणीय भी हैं. यह स्थान लोगो को आकर्षित करता हैं. इसलिए भी इस स्थान पर लोग देवी माँ के दर्शन साथ साथ पवित्र स्थल के दर्शन करने के लिए आते हैं.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की वैष्णो देवी किसका अवतार है. तथा इसका इतिहास और इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

वैष्णो देवी किसका अवतार है / वैष्णो देवी का इतिहास

वैष्णो देवी को वैष्णो माता के रूप से भी जाना जाता हैं. वैष्णो देवी को माता सरस्वती, माता महाकाली तथा माता महालक्ष्मी का अवतार माना जाता हैं. कुछ प्राचीन ग्रंथो के अनुसार त्रेता युग में वैष्णो देवी ने पार्वती, लक्ष्मी तथा सरस्वती के रूप में मानव के कल्याण के लिए सुंदर राजकुमारी का अवतार लिया था.

यह रूप धारण करके माता ने त्रिकुटा पर्वत पर गुफा के अंदर तपस्या आरंभ की थी. इसके पश्चात समय आने पर उनका शरीर तीन दिव्य ऊर्जा में विलीन हो गया था. जो महासरस्वती, महालक्ष्मी तथा महाकाली का अवतार माना गया.

तब से आज दिन तक वैष्णो देवी त्रिकुटा पर्वत पर प्राचीन गुफा में मौजूद हैं. और लाखों की संख्या में भक्तगण माता के दर्शन करने के लिए पहुँचते हैं.

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वैष्णो देवी भैरवनाथ की लड़ाई क्यों हुई / वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को क्यों मारा?

वैष्णो देवी और भैरवनाथ के बीच लड़ाई के पीछे एक कहानी हैं. जिसका संपूर्ण वर्णन हमने नीचे किया हैं.

कटरा के पास हंसाली गाँव में श्री धर नामक एक ब्राह्मण रहता था. उनकी कोई भी संतान नहीं होती थी. इसलिए वह बहुत ही दुखी थे. एक दिन श्री धर ने नवरात्रि के पूजन में कुंवारी कन्याओं को आमंत्रित किया. तब वैष्णो देवी भी उनके बीच आकर बैठ गई.

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पूजन पूर्ण हो जाने के बाद माता ने अपना असली रूप धारण करके श्री धर को पुरे गाँव को भंडारे में बुलाने के लिए आज्ञा दी. तब श्री धर ने भैरवनाथ तथा उनके शिष्यों को भी भंडारे में आने के लिए आमंत्रित किया. भंडारा शुरू होने पर भैरवनाथ ने मांस मदिरा मांगा. तब वैष्णो देवी माता वही पर विचित्र रूप में मौजूद थी. उन्होंने कहा की यह ब्राह्मण का भंडारा हैं. यहाँ पर मांस मदिरा नहीं मिल सकता हैं. यह कहकर वैष्णो देवी त्रिकुटा पर्वत की तरफ चली गई.

भैरवनाथ भी उनके पीछे पीछे जाने लगे. जब वह उनके पास पहुंचे तो वैष्णो देवी तपस्या कर रही थी. माता ने भैरवनाथ को वहा से चले जाने के लिए कहा. वैष्णो देवी के कहने पर भी जब भैरवनाथ नहीं माने तब उन दोनों के बीच लड़ाई हुई. और माता ने भैरवनाथ का संहार किया.

वैष्णो देवी किसकी पत्नी है?

ऐसा माना जाता है की भगवान राम ने त्रेता युग में वैष्णो देवी से कल्कि रूप में विवाह करने का वरदान दिया था.

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चांडाल दोष निवारणमंत्र गुरु चांडाल योग एंड मैरिज

निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की वैष्णो देवी किसका अवतार है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.

हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह वैष्णो देवी किसका अवतार है – वैष्णो देवी का इतिहास आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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