कुंती के कितने पुत्र थे | पांड्वो के जन्म की कहानी

कुंती के कितने पुत्र थे | माता कुंती के कितने पुत्र थे | महाभारत में कुंती के कितने पुत्र थे | kunti ke kitne putra the | mahabharat mein mata kunti ke kitne putra the – महाभारत इतिहास का सबसे भयंकर युध्द माना जाता हैं. यह धर्म और अधर्म के बिच लड़ा गया था. इस युद्ध में धर्म और सच्चाई की जीत होती हैं. महाभारत के प्रमुख पात्र पांडव थे. यह पांडव माता कुंती के पुत्र थे. लेकिन यह बात पूरी तरह सच नहीं हैं. इस आर्टिकल में हम जानेगे की कुंती के कितने पुत्र थे. तथा पांड्वो के जन्म की कहानी भी पढ़ेगे.

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कुंती के कितने पुत्र थे | माता कुंती के कितने पुत्र थे | महाभारत में कुंती के कितने पुत्र थे | kunti ke kitne putra the

भारत में कुंती के पांच पुत्र थे. जिन्हें महाभारत में पांडव कहा गया हैं. इस में तीन पुत्र युधिस्टर, अर्जुन और भीम कुंती के स्वंय के पुत्र थे. और नकुल और सहदेव कुंती की सौतन माद्री के पुत्र थे.

इसके अलावा कुंती को विवाह से पहले सूर्यदेव के आशीर्वाद से कर्ण नामक पुत्र की प्राप्त होती हैं. जिसे सूतपुत्र भी कहा जाता हैं. कुंती के सभी पुत्रो की कहानी निचे दी गई हैं.

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कुंती कौन थी?

कुंती महाभारत की एक अद्भुत महिला थी. अपने पति की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने पुत्रों को गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा प्राप्त करवाने. तथा उन्हें राज्य का अधिकार प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया. कुंती की कहानी एक स्त्री के संघर्ष की कहानी हैं. कुंती महाभारत में पांडवों की माँ तथा वह भगवान कृष्ण की बुआ थी. और यही कारण है कि श्री कृष्ण ने माता कुंती का हर कदम पर साथ दिया था.

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पांड्वो के जन्म की कहानी

यदुवंशी राजा शूरसेन के दो बच्चे थे. जिसमे कन्या का नाम पृथा और बालक का नाम वासुदेव था. शूरसेन कन्या पृथा को अपने बुआ के पुत्र कुंतीभोज को गोद दे देते हैं. क्योंकि कुन्तिभोज की कोई संतान नहीं थी. कुन्तिभोज ने पृथा का नाम बदलकर ‘कुंती’ रख दिया. इस प्रकार कुंती अपनी माता-पिता से बचपन से ही दूर रही थी.

बचपन में ही कुंती अपने महल में आए. प्रत्येक ऋषि और महात्मा को आदर सम्मान देती थी तथा उन्हें बिना खिलाए नहीं भेजती थी. एक समय की बात है जब ऋषि दुर्वासा भी कुंती के महल में पधारे और कुंती के आदर, सत्कार और सेवा से ऋषि बहुत खुश हुए. उन्होंने कुंती को आशीर्वाद देते हुए कहा कि “पुत्री, मैं तुम्हारी सेवा से बहुत पसंद हुआ हूं. और मैं तुम्हें एक ऐसा मंत्र बता रहा हूं जिसके प्रयोग मात्र से तुम जिस भी देवता का स्मरण करोगी. वह देवता तुम्हारे समक्ष प्रकट हो जाएंगे और तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करेंगे.

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एक दिन कुंती के दिमाग में आया की ‘क्यों ना मंत्र की जांच की जाए’. और उसने मंत्र का प्रयोग करते हुए सूर्य देव का स्मरण किया. मंत्र के स्मरण मात्र से सूर्यदेव तुरंत ही कुंती के समक्ष प्रकट हो गए. मंत्र के कार्य से कुंती हैरान रह गई. अब उसके समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें?

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उसने सूर्यदेव से पुत्र की कामना कर डाली. चूँकि कुंती अभी तक कुंवारी थी. तो गर्भधारण करना भी उसके लिए लज्जा का विषय था. इसलिए उसने यह बात सभी से छुपा कर रखी. और वक्त आने पर एक पुत्र को जन्म दिया. कुंती ने लज्जा से बचने के लिए उस बच्चे को एक मंजूषा में रखकर गंगा नदी में बहा दिया.

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वह मंजूषा बहते-बहते गंगा के किनारे पर चला गया. वही गंगा के किनारे पर धृतराष्ट्र का सारथी अधिरथ अपने घोड़ो को जल पिला रहा था. अधिरथ निसंतान था. उसने पुत्र को स्वीकार कर लिया और अपने घर ले गया. तथा दोनों सूत दम्पति ने बच्चे का लालन-पालन किया. बच्चे के कान बहुत सुंदर थे. इसलिए कर्ण नाम रख दिया. चूँकि कर्ण का पालन-पोषण सूत दंपति ने किया था. इसलिए करण को ‘सुतपुत्र’ भी कहा जाता है.

जब कुंती विवाह योग्य हुई. तो एक स्वयंवर का आयोजन किया गया. जिस में कुंती ने पांडू को अपना वर स्वीकार किया. विवाह के पश्चात् एक बार पांडु ने वन में शिकार के दौरान हिरन समझकर  मैथुनरत एक किदंम ऋषि को मार दिया. ऋषि ने मरते वक्त पांडु को श्राप दिया कि “तुम भी मेरी तरह मैथुनरत रहते हुए मरोगे.” इस शाप के बाद पांडू अपने दोनों पत्नी कुंती और माद्री को लेकर जंगल चले गए.

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चूँकि पांडू निसंतान थे. इसलिए कुंती ने पांडू की अनुमति से धर्मराज का आह्वान किया और धर्मराज से उन्हें ‘युधिस्टर’ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई. इसी प्रकार क्रम से इंद्र से ‘अर्जुन’ और पवनदेव से ‘भीम’ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई.

उनके बाद कुंती ने पांडू की दूसरी पत्नी और अपनी सौतन माद्री को भी यह मंत्र सिखाया. तब माद्री दो अश्विनी कुमारों का आहवान करती हैं. जिसके फलस्वरूप नकुल और सहदेव नाम के दो पुत्र प्राप्त होते हैं. इस प्रकार से पांच पांडवों का जन्म ऋषि दुर्वासा के दिए हुए मंत्र से होता है.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (कुंती के कितने पुत्र थे | माता कुंती के कितने पुत्र थे | महाभारत में कुंती के कितने पुत्र थे | kunti ke kitne putra the | mahabharat mein mata kunti ke kitne putra the) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको कुंती के पुत्रो और उनके जन्म के बारे में जानकारी देना हैं. कुंती के वास्तव में सिर्फ चार ही पुत्र थे. जिसमे कर्ण का जन्म विवाह से पहले होने के कारन त्याग करना पड़ा था. और अन्य तीन पुत्रो के नाम युधिस्टर, अर्जुन और भीम हैं. वही कुंती की सौतन माद्री के पुत्रो का नाम नकुल और सहदेव हैं.

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