भारत के प्रथम गृहमंत्री कौन थे – सम्पूर्ण जानकारी

भारत के प्रथम गृहमंत्री कौन थे | bharat ke pratham grah mantri kaun the |सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय | biography of sardar vallabhbhai patel in hindi – भारत की स्वंत्रता की लड़ाई में अनेक लोगो ने अपने प्राणों की आहुतिय दी हैं. जिसमे से बहुत कम लोगो को ही याद किया जाता हैं. कही ऐसा भी नेता हुए जो सिर्फ सत्ता के लोभ में कार्य नहीं करते थे. बल्कि राष्ट्र के निर्माण लिए कार्य करते थे. ऐसे ही नेता पटेल थे. इस आर्टिकल में हम जानेगे की भारत के प्रथम गृहमंत्री कौन थे. तथा इसकी हमारे देश को बनाने में क्या भूमिका थी.

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भारत के प्रथम गृहमंत्री कौन थे | bharat ke pratham grah mantri kaun the

भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल थे.

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय | biography of sardar vallabhbhai patel in hindi

सरदार वल्लभ भाई पटेल का पूरा नाम ‘सरदार वल्लभ भाई झावेरभाई पटेल’ था. सरदार वल्लभ भाई पटेल एक लोकप्रिय नेता और प्रभावशाली भारतीय राजनीतिज्ञ थे. इनको ‘पटेल’ के नाम से जाना जाता था. पटेल जी का जन्म गुजरात राज्य के नडियाद में एक पाटीदार परिवार में हुआ. उनके पिता जी का नाम झावेरभाई पटेल और माताजी का नाम लाडवा देवी था. वह अपने माता-पिता की चौथी संतान थी.

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उनकी शिक्षा मुख्य रूप से स्वाध्याय से हुई थी. उन्होंने लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस अहमदाबाद गुजरात आकर वकालत का कार्य किया.

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स्वतंत्रता संग्राम में सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका

सरदार वल्लभभाई पटेल गांधी जी के विचारों से अधिक प्रभावित थे. स्वतंत्रता संग्राम में सरदार वल्लभ भाई पटेल की पहली और सबसे बड़ी भूमिका ‘खेड़ा संघर्ष’ में थी. उस समय गुजरात का खेड़ा खंड भयंकर सूखे और अकाल की चपेट में आ गया था. किसानों ने अंग्रेजी सरकार से भारी कर में छूट देने की बात कही. लेकिन सरकार ने इसके लिए बिल्कुल इंकार कर दिया.

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तब सरदार वल्लभभाई पटेल और महात्मा गांधी ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर नहीं देने के लिए प्रेरित किया. आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और करो में राहत देनी पड़ी. यह सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रथम राजनितिक सफलता थी.

आजादी के बाद सरदार पटेल की भूमिका

आजादी के पश्चात् सरदार पटेल प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे थे. अधिकांश भारतीय प्रान्तीय कांग्रेस समिति सरदार पटेल को देश का प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में थे. लेकिन महात्मा गांधी के कहने पर सरदार पटेल ने प्रधानमंत्री पद का त्याग नेहरु जी के लिए दे दिया. उसके पश्चात् उन्हें उप प्रधानमंत्री और भारत का ग्रह मंत्री बनाया गया.

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लेकिन उसके बाद भी चाचा नेहरू और पटेल के बीच में संबंध तनावपूर्ण ही रहते थे. इसके चलते दोनों अपने पद से त्याग देने की धमकी भी देते थे. गृहमंत्री के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका देश की रियासतों को भारत संघ में मिलाना था. यह काम उन्होंने बहुत ही सरलता से तथा बिना खून बहाए किया था. सिर्फ हैदराबाद स्टेट के लिए उन्होंने ऑपरेशन पोलो की तहत सेना को हैदराबाद भेजा. भारत के एकीकरण में उनके अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें ‘भारत का लोह पुरुष’ भी कहा जाता है.

नेहरू और पटेल के संबंध

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के बीच में आकाश-पाताल का अंतर था. चूँकि दोनों ने इंग्लैंड में जाकर बैरिस्टरी की डिग्री प्राप्त की थी. परंतु वकालत के मामले में सरदार पटेल पंडित जवाहरलाल नेहरू से बहुत आगे थे. उन्होंने संपूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य के विद्यार्थियों में प्रथम स्थान हासिल किया था. नेहरू शास्त्रों के ज्ञाता थे तो वही पटेल शास्त्रों के पुजारी थे.

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देश के आजादी के बाद सरदार पटेल की महानतम उपलब्धि और हमारे देश को देन 562  छोटी-बड़ी रियासतों को भारत संघ में विलय करना था .यह काम इतना कठिन था और इसे इतनी सरलता के साथ करना पूरे विश्व के लोगों के लिए आश्चर्य की बात थी. लगभग विश्व के सभी बड़े लोगों में सरदार पटेल के कार्य की प्रशंसा की थी.

महात्मा गांधी ने सरदार पटेल के इस रियासतों के एकीकरण के कार्य के बारे में लिखा था कि ‘सिर्फ तुम ही इस जटिल समस्या को सुलझा सकते हो.’ सरदार पटेल ने पूरे भारत में घूम-घूम कर सभी रियासतों से बात कर शांति से सभी रियासतों को भारत संघ में विलय कर दिया था. और जहां तक कश्मीर रियासत का सवाल है वह कार्य पंडित नेहरू ने अपने अधिकार में लिया हुआ था.

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यद्यपि विदेश विभाग पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्य के अधीन आता था. लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल विदेश विभाग की समिति में आते जाते रहते थे. उन्होंने सन 1950 में पंडित जवाहरलाल नेहरू को में पत्र लिखा और चीन और तिब्बत के प्रति उनकी विदेश नीति के बारे में चेताया और सावधान किया था. और कहा था चीन का रवैया कपटपूर्ण है और वह कभी भी विश्वासघात कर सकता है.

सरदार पटेल का निधन कब हुआ?

सन 1950 में सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन हो गया था. और इसके बाद कांग्रेस में नेहरू के विरोध ज्यादा लोग नहीं रह गए थे. कहीं विद्वानों का मानना है कि अगर सरदार कुछ ज्यादा समय जीवित रहते तो आज भारत बहुत आगे होता.

उनकी विदेश नीति के प्रति समझ चाचा नेहरू से बहुत अधिक थी. वह चीन और पाकिस्तान की चालाक और कपटी नीतियों से वाफिक थे. तथा भारत में मुस्लिम लीग तथा कम्युनिस्टों की रूस के प्रति भक्ति से भी सजग थे. सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में कहा जाता है कि उनमें चाणक्य जैसी कूटनीति थी तथा महाराज शिवाजी जैसी दूरदर्शिता थी. वह सिर्फ सरदारी ही नहीं थे बल्कि भारतीयों के हृदय के सरदार थे.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (भारत के प्रथम गृहमंत्री कौन थे | bharat ke pratham grah mantri kaun the | सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय | biography of sardar vallabhbhai patel in hindi) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करना हैं. वह सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे. और भारत संघ में देशी रियासतों को विलय के उनके अद्भुत कार्य के कारन उन्हें लोह पुरुष भी कहा जाता हैं. वह आजाद भारत के प्रधानमंत्री पद के सबसे काबिल उम्मीदवार थे. तथा उनकी विदेश नीति के प्रति समझ चाचा नेहरू से बहुत अधिक थी.

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