अनुसूचित जाति किसे कहते हैं – अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति

अनुसूचित जाति किसे कहते हैं? – भारत विविधता में एकता वाला देश हैं. भारत में विभिन्न धर्मो और जातियों के लोग आपस में प्रेमभाव और देशभक्ति की भावना के साथ रहते हैं. भारत सरकार ने पिछड़ी वर्गों के उत्थान के लिए अधिनियम बनाए हैं. तथा इन अधिनियमों को समय-समय संशोधित भी किए हैं. इस आर्टिकल में हम अनुसूचित जाति के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे. इस आर्टिकल में हम जानेगे की अनुसूचित जाति का अर्थ क्या हैं.

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अनुसूचित जाति किसे कहते हैं?

सर्वपर्थम भारत में अंग्रेज सरकार ने सन 1931 की जनगणना में 1108 अस्पृश्य जाति प्राप्त की थी. अस्पृश्य जाति वह जाति हैं जिनका कोई धर्म नहीं होता हैं. अस्पृश्य जाति को बहिष्कृत जाति भी कहा जाता था. उस समय अंग्रेज सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने देखा की हिन्दू, मुसलमान, सिख और इसाई की तरह ऐसी जातिया भी भारत में विधमान हैं. जो किसी धर्म को नहीं मानती हैं या स्वन्त्रत जातिया हैं.

प्रधानमंत्री ने ऐसी जातियों की सुंची बनाने को कहा तथा इस सुंची में शामिल जातियों को ही अनुसूचित जाति कहा जाता हैं. आजादी के पहले सन 1935 में ब्रिटिश सरकार ने भारत में अनुसूचित जाति अध्यादेश पारित किया जिसके अंतगर्त ऐसी जातियों को समाज में उचित स्थान प्रदान करने के उद्देश्य से सुविधा प्रदान की गई थी. आजादी के बाद इसी प्रावधान में बदलाव किए गए और 1950 में संशोधित प्रावधान पारित किया गया था.

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वर्तमान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचार और शोषण के रोकथाम के लिए कठोर प्रावधान के साथ 2015 में अधिनियम भारत संसद में पारित हुआ हैं. इस कानून में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के किसी भी व्यक्ति के साथ अपमानित और अव्यवहार करने पर कठोर सज़ा का उल्लेख हैं. इस प्रावधान में सभी प्रकार के अपमान या अव्यव्हार और उनके दंड की व्यवस्था हैं.

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कानून की विशेषताए

यह कानून अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगो के हितो और आत्मसम्मान की रक्षा करता हैं. इस कानून की कुछ विशेषताए इस प्रकार हैं:

  • अनुसूचित जातियों के सदस्य के हितो को नुकसान पनुचाने वाले व्यक्ति को दण्डित करना.
  • पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार की रक्षा करना.
  • विवादों की जल्द से जल्द सुनवाई करता हैं.

इस कानून के अंतगर्त किसी अनुसूचित व्यक्ति के सामाजिक और आर्थिक हितो की रक्षा की गई हैं. सामाजिक रक्षा का अर्थ अगर कोई व्यक्ति किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति के संपर्क में आने से मना कर देता हैं. तो वह व्यक्ति दंड का पात्र होता हैं. आर्थिक हित के तहत कोई भी व्यक्ति अनुसूचित जाति के व्यक्ति की सिर्फ जाती देख कर व्यापार या कार्य पर रखने से मना नहीं कर सकता हैं.

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दंड

इस कानून के तहत अपराधी को छ महीने से लेकर पांच साल की सज़ा का प्रावधान हैं. अगर कोई व्यक्ति किसी अनुसुचित जाति के व्यक्ति की हत्या या क्रूर हत्या में शामिल है. तो इस प्रकार के केस में मृत्युदंड का प्रावधान हैं. अगर कोई व्यक्ति किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति के खिलाफ झूठी गवाई देता हैं. तो उसे कानून के तहत दंड प्राप्त होगा.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (अनुसूचित जाति किसे कहते हैं?) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति कानून के बारे में विस्तार से जानकारी देना हैं. अनुसूचित जाति की सुंची में समय-समय पर बदलाव होती रहती हैं. जिसमे अनेक जातियों को शामिल किया जाता हैं. यह कानून अनुसूचित जाति के व्यक्ति के हित की रक्षा को ध्यान में रख कर बनाया गया हैं.

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