वासुदेव किस जाति के थे – कृष्ण किस जाति के थे – श्री कृष्ण भगवान की कहानी – हिन्दू धर्म में दो नाम सबसे लोकप्रिय हैं. यह दो नाम लोगो के दिल और दिमाग में हमेशा बसते हैं. यह दो नाम राम और कृष्ण हैं. भारत में प्रत्येक मंदिर, ग्रन्थ और धार्मिक किताबे कृष्ण और राम के जीवन से जुडी हुई हैं. हिन्दू धर्म में भगवत गीता का स्थान सबसे ऊपर हैं. श्री भगवत गीता में मुख्यरूप से श्री कृष्ण के उपदेश शामिल हैं. यह उपदेश श्री कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के युद्ध के दौरान दिए थे.
श्री कृष्ण के विभिन्न रूपों की हमारे धर्म में पूजा की जाती हैं. हिन्दू धर्म में एक तरफ श्री कृष्ण के बाल रूप में पूजा होती हैं. तो दूसरी ओर द्वारकाधीश के रूप में पूजा होती हैं. विभिन्न संतो और कवियों ने अनेक कालो में श्री कृष्ण के विभिन्न रूपों की व्याख्या की हैं. वर्तमान में ISKON संस्थान श्री कृष्ण के उपदेश और शिक्षाओ को दुनियाभर में प्रचार करने में अग्रणीय हैं.
श्री कृष्ण को हिन्दू धर्म में विष्णु भगवान का 8 वा अवतार माना जाता हैं. श्री कृष्ण को विभिन्न नामो से संबोधित किया जाता हैं. जिस में से कुछ प्रचलित नाम बालगोपाल, कान्हा, श्याम, कन्हैया, वासुदेव और द्वारकाधीश मुख्य हैं. श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था. श्री कृष्ण महाराज वासुदेव और देवकी के आठवी संतान थे. उनका जन्म मथुरा में कारावास में हुआ थी. लेकिन उनका बचपन गोकुल में व्यतीत हुआ था.
कृष्ण किस जाति के थे – वासुदेव किस जाति के थे
श्री कृष्ण वासुदेव के पुत्र थे. वासुदेव क्षत्रिय यदुवंशी थे. यदुवंशी अपने नाम के पीछे यादव लगाते हैं. जबकि श्री कृष्ण के पालक पिता नन्द बाबा गोपालक और ग्वाले थे. नन्द बाबा का क्षत्रिय कुल से कोई सम्बन्ध नहीं था. नन्द बाबा और वासुदेव आपस में घनिष्ट मित्र थे.
राजा ययाति के दो पुत्र थे. यदु और कुरु. पांडव कुरु वंशी थे और श्री कृष्ण यदु वंशी थे. इस प्रकार पांडव और भगवान श्री कृष्ण एक ही परिवार की शाखा से थे.
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भगवान श्री कृष्ण का जीवन दर्शन -श्री कृष्ण भगवान की कहानी
माता यशोदा और नन्द बाबा श्री कृष्ण के पालक माता पिता थे. अपने बचपन में श्री कृष्ण ने अनेक असाधारण कार्य किए. यह कार्य कोई साधारण व्यक्ति की क्षमता के अनुसार नहीं थे. इसी कारन श्री कृष्ण की ख्याति बचपन से ही लोगो में विधमान हो गई थी. अपने मामा कंस के वध के बाद श्री कृष्ण ने गुजरात के द्वारका में अपने राज्य को स्थापित किया. अपने जीवनकाल में उन्होंने अनेक महान कार्य किए. जिस में से पांड्वो को महाभरत के एतिहासिक युध्द में विजय दिलाना हैं.
भगवान श्री कृष्ण का जीवन काल 125 साल का था. कृष्ण लीला की समाप्ति के बाद उनके राज्य के खंड हो गए थे. और उसके बाद कलयुग का आगमन हो गया था. यह कलयुग अभी तक चल रहा हैं. जिस मे हम सभी जी रहे हैं.
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भगवान श्री कृष्ण का नामकरण
कृष्ण का शाब्दिक अर्थ काला या श्याम या गहरा नीला होता हैं. श्री कृष्ण के शरीर का रंग श्याम हैं. श्री कृष्ण का नामकरन नन्द बाबा के घर गोकुल में हुआ था. इनका नामकरण करने वाले आचार्य गर्गाचार्य ने बताया की यह पुत्र प्रत्येक युग में जन्म लेता हैं. इस युग में कृष्ण वर्ण में जन्म लेने के कारण इसका नाम कृष्ण होगा. और क्षत्रिय यादव महाराज वासुदेव का पुत्र होने के कारन इनका नाम वासुदेव भी रखा गया.
भगवान श्री कृष्ण रूप सौन्दर्य
श्री कृष्ण के विभिन्न दर्शनों और रूपों की पूजा की जाती हैं. अगर आप श्री कृष्ण की तस्वीर देखने हैं. तो उसके शरीर को नीले रंग में दर्शाया जाता हैं. उनके हाथ में बासुरी होती हैं. और इनके आस पास गाय होती हैं. क्योंकि नन्दबाबा गौपालक थे. जहा पर श्री कृष्ण ने अपने बचपन व्यतीत किया. उनके सिर पर मोर पंख से सुशोभित मुकुट देखने को मिलता हैं.
श्री कृष्ण के बाल दर्शन में उनके हाथ में मक्खन होता हैं. क्योंकि श्री कृष्ण मक्खन के प्रेमी थे. राधा के साथ प्रेम को श्री कृष्ण के विभिन्न मंदिरों में दर्शाया गया हैं. जिसमे राजस्थान का नाथद्वारा, ओड़िशा का जगन्नाथ और केरल का गुरुवायरुप्पन मंदिर प्रमुख हैं. श्री कृष्ण के अन्य तस्वीरों और मूर्तियों में गोपियों के साथ रासलीला नत्य प्रचलित हैं.
निष्कर्ष
भगवान श्री कृष्ण के बारे में जितना लिखा जाए. उतना कम ही लगता हैं. इस आर्टिकल (वासुदेव किस जाति के थे – कृष्ण किस जाति के थे – श्री कृष्ण भगवान की कहानी) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको श्री कृष्ण और वासुदेव की जाति के बारे में जानकारी देना हैं. श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं. श्री कृष्ण के भक्त सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु पुरे विश्व में हैं. भगवान श्री कृष्ण के उपदेशो का लिखित स्वरूप श्री भगवत गीता हैं. श्री भगवत गीता को पुरे विश्व में एक क्षेष्ट पुष्तक और मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता हैं.
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