Asahyog andolan ka mukhya karan kya tha | असहयोग आन्दोलन की कहानी

asahyog andolan ka mukhya karan kya tha |असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारण क्या था |  असहयोग आन्दोलन के कारण बताएं |असहयोग आन्दोलन की शुरुआत और अंत – हमारे पूर्वजो ने आजादी के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी थी. तथा इस लड़ाई में लाखो लोगो ने अपने जान की बाजी लगाई थी. इसलिए आजादी को अमूल्य कहा जाता है. और हमे आजादी की अहमियत को समझना चाहिए. देश की आजादी के प्रमुख नेता महात्मा गाँधी थे. जिसके विचारो ने अंग्रेजी सरकार की कमर को तोड़ दिया था.

आजादी की इन लड़ाई में अनेक आन्दोलन हुए. जिसमे असहयोग आन्दोलन ने देशवासियों में एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह भारत की स्वत्रता की लड़ाई का महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया प्रथम जन आन्दोलन था. लेकिन आपको पता है की असहयोग आन्दोलन के कारन क्या थे. तो इस आर्टिकल में जानेगे की असहयोग आन्दोलन के मुख्य कारन क्या थे. और इसकी शुरुआत और अंत कैसे हुआ.

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असहयोग आन्दोलन क्या है?

महात्मा गाँधी के द्वारा चलाया गया सर्वप्रथम जन आन्दोलन असहयोग आन्दोलन था. इस आन्दोलन के तहत असहयोग की निति को अपनाया गया था. इस आन्दोलन को पुरे देश में समर्थन प्राप्त था. शहरी क्षेत्रो में मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रो में किसान और आदिवासियों ने बापू के असहयोग आन्दोलन को सफल बनाने के लिए पूर्ण सहयोग दिया था.

4 सितम्बर 1920 में असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में रखा गया था . तथा जो लोग भारत को आजादी दिलाने चाहते है. उनसे आग्रह किया गया की वह लोग अपनी स्कुलो, कॉलेजो और न्यायलयो और कार्यालयो का बहिष्कार करे.

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असहयोग आन्दोलन की शुरुआत

असहयोग आन्दोलन में पुरे देश के युवाओ ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया. विधार्थियों ने सरकारी स्कुलो और कॉलेजो मेंजाना बंद कर दिया. वकीलों ने अदालतों में जाने से इंकार कर दिया. शहरो और कस्बो के श्रमिक वर्ग हड़ताल पर चला गया था. पहाड़ी जनजातियो ने वन्य कानूनों की अवेहलना कर दी थी.

किसानो ने कर देने से बिल्कुल इंकार कर दिया. इसके साथ ही कुमाऊ के क्षेत्र में मजदूरो ने सरकारी अधिकारियो का सामान ढोने मना कर दिया. इस प्रकार पुरे देश में प्रत्येक धर्म, जाति और वर्ग के लोगो ने असहयोग आन्दोलन को सफल बनाने के लिए महात्मा गाँधी का सहयोग किया. इस आन्दोलन में देश की महिलाओ ने भी पहली बार बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था.

इस आन्दोलन ने यह साफ कर दिया था की भारत के लोग स्वंत्रता प्राप्त करने के लिए एक सूत्र में बंधे हुए है. इस आन्दोलन ने हिन्दू मुस्लिम एकता के एक बहुत अच्छा उदहारण पेश किया.

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असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारण क्या था | asahyog andolan ka mukhya karan kya tha

असहयोग आन्दोलन कांग्रेस और महात्मा गाँधी का प्रथम जन आन्दोलन था. तथा इस आन्दोलन में देश के ज्यादातर लोगो ने हिस्सा लिया था. जिसका मुख्य कारन लोगो के दिलो में अंग्रेजी सत्ता के प्रति गुस्सा था. लोग अब अंग्रेजी जंजीरो को तोड़ कर आजादी की साँस लेना चाहते थे.

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असहयोग आन्दोलन के मुख्य कारन हम निचे बिन्दुओ में समझा रहे है

  • भारतीय सैनिको ने प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश का साथ दिया था. तथा भारतीयो ने ब्रिटिश को प्रथम विश्व युद्ध में समर्थन दिया था. इसलिए भारतीयों का आशा था की युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार भारतीयों की उचित माँगे पूरी करेगी. और शासन व्यवस्था का हिस्सा बनाएगी. लेकिन ब्रिटिश सरकार ने प्रथम युद्ध की समाप्ति के बाद तेजी से भारतीयों के दमन में लग गई. जिससे लोगो के विश्वास को ठेस पहुची. और जनता के बिच में असंतोष की भावना पनपने लगी.
  • जलियावाला बांग हत्याकाण्ड और हन्टर आयोग की जाँच के बावजूद भी ब्रिटिश सरकार के द्वारा दोषियों पर कार्यवाही नहीं करना असहयोग आन्दोलन का एक मुख्य कारन था.
  • स्वराज्य की मांग कर रहे राष्ट्रवादी विचारो के द्वारा एक संगठित आन्दोलन की इच्छा रखना भी असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारन था.
  • अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा प्रथम विश्व युद्ध के बाद “रौलट एक्ट” लगाना एक दुर्भाग्य की बात थी. इस कानून के तहत अंग्रेजी सरकार किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी जाँच और सुनवाई के जेल के अन्दर डाल सकती थी.
  • ब्रिटिश सरकार की दौहरी निति ने भारतीयों को व्यथित कर दिया था. लोगो के अन्दर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़ गुस्सा पनप रहा था. क्योकि एक ओर तो ब्रिटिश सरकार भारतीयों को सरकार में हिस्सा देने की बनाने की बात कह रही थी. वही दूसरी ओर भारतीयों के छोटे-छोटे आंदोलनों को भी कुर्र्ता के साथ कुचला जा रहा था.
  • तुर्की के खिलाफ़ अंग्रेजी सरकार का दुर्व्यवहार भी असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारन रहा था.

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असहयोग आन्दोलन की समाप्ति

असहयोग आन्दोलन में गाँधी को पुरे देश से समर्थन मिल रहा था. इसी बिच में 4 फ़रवरी 1922 में गोरखपुर में चौरी-चौरा स्थान पर पुलिस ने जबरदस्ती एक जुलुस को रोकने का प्रयत्न किया. इससे गुस्सा लोगो ने पुलिस की चौकी को आग लगा दी. इस आग में एक थानेदार और 21 पुलिस वालो की जल कर मौत हो गई.

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जब इस बात की जानकारी गाँधी को मिली तो गाँधी जी स्तब्ध रह गए. क्योकि शांति और अहिंसा से शुरू किया गया यह आंदोलन अब हिंसक रूप लेने लग गया था. 12 फ़रवरी 1922 को बारदोली में हुए कांग्रेस की बैठक में गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया.

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (asahyog andolan ka mukhya karan kya tha |असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारण क्या था | असहयोग आन्दोलन के कारण बताएं |असहयोग आन्दोलन की शुरुआत और अंत) को लिखने का मुख्य उद्देश्य आपको भारतीय स्वंत्रता के एक प्रमुख आन्दोलन असहयोग आन्दोलन के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. असहयोग आन्दोलन कांग्रेस और महात्मा गाँधी का प्रथम जन आन्दोलन था. तथा इस आन्दोलन में देश के ज्यादातर लोगो ने हिस्सा लिया था. जिसका मुख्य कारन लोगो के दिलो में अंग्रेजी सत्ता के प्रति गुस्सा था.

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