जाहरवीर बाबा का इतिहास और कहानी | गोगाजी की मृत्यु कैसे हुई

जाहरवीर बाबा का इतिहास और कहानी | गोगाजी की मृत्यु कैसे हुई – जाहरवीर बाबा राजस्थान के लोक देवता है. जिन्हें गोगाजी चौहान के नाम से भी जाना जाता हैं. क्या आप भी जाहरवीर बाबा का इतिहास जानना चाहते है. क्या आप गोगाजी की मृत्यु कैसे हुई यह सब जानना चाहते है. तो यह आर्टिकल पूरा पढ़े.

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दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से राजस्थान के प्रसिद्ध लोकदेवता जाहरवीर बाबा का इतिहास तथा उनके जीवन से जुडी अन्य और भी बातों पर चर्चा करने वाले हैं.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

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जाहरवीर बाबा का इतिहास / बाबा जाहरवीर की कहानी

जाहरवीर बाबा जो की राजस्थान में गोगा जी के नाम से प्रसिद्ध है. और लोकदेवता के रूप में उन्हें पूजा जाता हैं. लोग उन्हें जाहरवीर बाबा, गोगाजी, गुग्गा वीर, राजा मंडलिक आदि नामों से भी जानते हैं. गुजरात में रबारी समाज के लोग जाहरवीर बाबा को गोगा महाराज के नाम से बुलाते हैं.

जाहरवीर बाबा का जन्म राजस्थान के चुरू के ददरेवा गाँव में चौहान वंश के शासक जेंवरसिंह की पत्नी बाछल के गर्भ से हुआ था. गोगाजी का जन्म गोरखनाथजी के वरदान से हुआ था. गुरु गोरखनाथजी गोगाजी के गुरु थे. गोगाजी का जन्म पृथ्वीराज चौहान के वंश में हुआ था. चौहान वंश में पृथ्वीराज चौहान के बाद सबसे अधिक ख्याति पाने वाले राजा गोगाजी ही थे.

जाहरवीर बाबा अपने समय में सतलुज से हांसी (हरियाणा) तक के राज्य के राजा थे. आज के समय में गोगाजी को हिंदू तथा मुसलमान दोनों संप्रदाय के लोग पूजते हैं. राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में मौजूद गोगामेडी नामक शहर हैं. वहां हर साल भादों कृष्णपक्ष नवमी के दिन गोगाजी महाराज का मेला लगता हैं. जहां लाखो की संख्या में भक्त गोगाजी महाराज के दर्शन करने के लिए आते हैं.

लोकमान्यता और लोककथाओं के अनुसार गोगाजी महाराज को सांपों के देवता के रूप पूजा जाता हैं. इसकी कहानी इस आर्टिकल में हम आगे बताने वाले हैं.

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जाहरवीर बाबा का जन्म कब और कहा हुआ

जाहरवीर बाबा का जन्म विक्रम संवत 1003 में हुआ था. उनका जन्म राजस्थान के चुरू के ददरेवा गाँव में हुआ था. उनका जन्म चौहानवंश में हुआ था. उनकी माता का नाम बाछल देवी तथा पिता का नाम जेंवरसिंह था. जाहरवीर बाबा का जन्म गोरखनाथजी के वरदान से हुआ था. उनके जन्म के बाद गुरु गोरखनाथजी ने जाहरवीर बाबा को अपना शिष्य बना लिया.

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गोगाजी की मृत्यु कैसे हुई

ऐसा माना जाता है की गोगाजी को उनके मौसेरे भाई अर्जन और सुर्जन ने मारा था. गोगाजी और उनके मौसेरे भाई अर्जन सुर्जन के बिच में कुछ जमीन जायदाद को लेकर झगड़ा चल रहा था. इस लिए अर्जन और सुर्जन ने मुस्लिम राजा महमूद गजनवी की मदद लेकर गोगाजी पर आक्रमण कर दिया था.

ऐसा माना जाता है की युद्ध में गोगाजी महाराज महमूद गजनवी के साथ सतलज के मार्ग की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे. इसी युद्ध में गोगाजी के बेटे भी शहीद हुए थे.

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ऐसा भी माना जाता है की युद्ध करते समय गोगाजी का सर ददरेवा (चुरू) में गिरा था इसलिए इन्हें शीर्षमेडी (शीषमेडी) के नाम से जाना जाता हैं. तथा गोगाजी का धड नोहर (हनुमानगढ़) में गिरा था. इसलिए इन्हें धरमेडी, धुरमेडी तथा गोगामेडी के नाम से जाना जाता हैं.

ऐसा भी माना जाता है की महमूद गजनवी के साथ गोगाजी महाराज बिना सर सिर्फ धड से युद्ध कर रहे थे. यह देखकर महमूद गजनवी ने खुद गोगाजी को जाहिर पीर (प्रत्यक्ष पीर) कहा था.

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सांपों के देवता के रूप में पूजे जाते है गोगाजी महाराज

जाहरवीर बाबा को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता हैं. इसके पीछे भी एक कहानी हैं. जब गोगाजी महाराज की पत्नी को सांप ने काट लिया तब गोगाजी महाराज गुस्सा हो गए. और गुस्से में उन्होंने अग्नि अनुष्ठान की और कई सारे सांपों को जला कर भस्म कर दिया.

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तब सांपों के मुखिया प्रकट हुए और अग्नि अनुष्ठान रोकने के लिए आग्रह किया. सांपों के मुखिया ने गोगाजी की पत्नी केलमदे को जीवित किया. इस प्रकार गोगाजी ने सांपों पर विजय हांसिल किया. तभी से लेकर आज दिन तक गोगाजी सांपों के देवता के रूप में पूजे जाते हैं.

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जाहरवीर बाबा का इतिहास तथा गोगाजी की मृत्यु कैसे हुई इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान की हैं. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आप के लिए उपयोगी साबित हुआ होगा.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह जाहरवीर बाबा का इतिहास | गोगाजी की मृत्यु कैसे हुई | बाबा जाहरवीर की कहानी आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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