बैंक को हिंदी में क्या कहते है | बैंक क्या होती है | बैंक का महत्त्व

बैंक को हिंदी में क्या कहते है | बैंक क्या होती है | बैंक का महत्त्व | भारत में बैंको का संक्षिप्त इतिहास | bank ko hindi mein kya kahate hain हमारी राष्ट्रिय भाषा हिंदी ने पुरे संसार की विभिन्न भाषाओ को अपनाया है. और इसी वजह से हम अपने दैनिक जीवन में अनेक ऐसे शब्द का उपयोग करते है. जो अन्य भाषाओ से होते है. लेकिन हमे इन शब्दों का हिंदी शब्द भी पता होना अनिवार्य है. क्योंकि यह शब्द विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ में पूछे जाते है.

इस आर्टिकल में हम ऐसे ही शब्द बैंक का हिंदी शब्द जानेगे. और बैंक से जुड़े कुछ रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी भी प्राप्त करेगे. जो आपकी परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हो सकती है.

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बैंक को हिंदी में क्या कहते है | bank ko hindi mein kya kahate hain

बैंक को हिंदी में महाजनी, कोठी कोषागार और अधिकोष कहा जाता है.

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बैंक क्या होती है | बैंक क्या है

बैंक सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त वह संस्थान है. जो जनता के पैसो को अपने पास जमा रखती है. और जरूरत पड़ने पर जनता को ऋण के रूप में पैसो को देती है. लोग अपनों पैसो को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से बैंको में जमा करते है. और उन पैसो पर ब्याज भी प्राप्त करते है. किसी भी देश के विकास के लिए आधुनिक युग में देश की बैंकिंग व्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान होता है.

बैंक सिर्फ अपने ग्राहकों के पैसे सुरक्षित रखने और ऋण देने का ही कार्य नहीं करती है. अपितु देश की अर्थव्यस्था का आधार ही बैंक होती है. क्योंकि बैंक ही सरकार के लिए जनता के बिच बटे हुए धन को एकत्रित करती है .और उसे देश की अर्थव्यस्था और विकास के लिए लगाती है. जरूरत पड़ने पर केन्द्रीय बैंक सरकार के आदेश के अनुसार मुद्रा भी छापने का कार्य करती है.

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हमारे देश में मुद्रा छापने का कार्य भारतीय रिज़र्व बैंक करती है. यह बैंक देश की बैंकिंग व्यवस्था की देख-रेख भी करती है. और समय-समय पर देश की बैंकिंग व्यवस्था को सुधारने के लिए कानून भी बनाती है.

भारत में बैंको का संक्षिप्त इतिहास

बैंको का इतिहास बहुत पुराना है. क्योकि मनुस्मृति में भी हमे पैसे के लेन देन के सम्बंधित व्यवस्था का जिक्र प्राप्त होता है. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में साहूकारी नियमो का उल्लेख भी है. लेकिन यह नियम आज के आधुनिक व्यवस्था से भिन्न थे. हमारे देश में मुग़लकाल में मुगल बादशाहों ने स्थानीय साहुकारो और महाजनों को कर वसूली के अधिकार प्रदान किये थे. जरूरत पड़ने पर स्थानीय लोग इन महाजनों और साहुकारो से पैसा भी लेते थी. और ब्याज भी प्रदान करते थे.

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18 वी शताब्दी में यूरोप और इंग्लैंड में औधोगिक क्रांति की शुरुआत हो गई थी. जिससे व्यापार की सीमाए बढ़ने लगी और व्यापारियों को धन राशी के लेन देन के लिए बैंको की जरूरत पड़ने लगी. जिससे बैंको की व्यवस्था में बड़े स्तर पर विकास हुआ. भारत में वर्ष 1806 में बैंक ऑफ़ कोलकाता की स्थापना हुई. इसी कड़ी में वर्ष 1840 में बैंक ऑफ़ बम्बई और वर्ष 1843 में बैंक ऑफ़ मद्रास की स्थापना हुई.

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इन तीनो बैंको को ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने व्यापार की सहायता के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए शुरू किया था. तथा यह बैंक विदेशो पूंजी से चलाए जाते थे. हमारे देश में वर्ष 1906 से लेकर 1913 के बिच बैंकिंग के क्षेत्र में बड़ी तेजी आई. और इन्ही वर्षो के अन्तराल में देश में प्रसिद्ध बैंक जैसे बैंक ऑफ़ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया और बैंक ऑफ़ बरौदा की स्थापना की गई थी.

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1 अप्रैल 1935 को हमारे देश में भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना की गई थी. द्वितीय युद्द के समय पुरे विश्व में नए-नए बैंक खोले गए थे. और भारत में इसी दौरान यूनाइटेड कमर्शियल बैंक की भी स्थापना की गई थी. द्वितीय युद्द की समाप्ति के बाद देश में बैंकिंग को ओर अधिक मजबूत बनाने के लिए अनेक सख्त नियम और कानून बनाए गए.

बैंक का महत्त्व

किसी देश की तरक्की के लिए देश का बैंकिंग क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बैंक व्यवस्था किसी भी राष्ट्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हम निचे बिन्दुओ में बैंक के महत्त्व को जानेगे:

  • बैंक जनता में बिखरे धन को एकत्रित करके देश के विकास में लगाती है
  • प्रत्येक देश का एक केंद्र बैंक होता है. यह केन्द्रीय बैंक देश में मुद्रा प्रणाली के संचालन का कार्य करता है.
  • देश के विकास की गति बढ़ाने में बैंको का महत्वपूण कार्य होता है. बैंक देश में उधोग स्थापित करने के लिए व्यापारियों को सस्ती दरो पर धन उपलब्ध कराता है.
  • बैंक देश की आर्थिक गतिविधियों का विश्लेषण करता है. और समय-समय पर अपने शोध पत्र भी संपादित करता है. जिससे लोगो को देश की आर्थिक निर्णय लेने में सहायता प्राप्त होती है.
  • बैंक व्यापरियों के लिए बहुत सहायक होती है. बैंक व्यापरियों के लिए धन हस्तारण की सेवाए उपलब्ध कराती है. जिससे व्यपारियो को व्यापार करने में सहूलियत प्राप्त होती है.
  • सरकार की आर्थिक और अर्थव्यवस्था से जुड़ी नीतियों को बैंको द्वारा ही क्रियान्वित किया जाता है.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (बैंक को हिंदी में क्या कहते है | बैंक क्या होती है | बैंक का महत्त्व | भारत में बैंको का संक्षिप्त इतिहास | bank ko hindi mein kya kahate hain ) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको बैंक अंग्रेजी शब्द का हिंदी रूपान्तर ज्ञात कराना है. बैंक को हिंदी में महाजनी कोठी, कोषागार और अधिकोष कहा जाता है. बैंक सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त वह संस्थान है जो जनता के पैसो को अपने पास जमा रखती है. और जरूरत पड़ने पर जनता को ऋण के रूप में पैसो को देती है.

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आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद.

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