भूमि शांति और रोटी का नारा किसने दिया था | भूमि शांति और रोटी का नारा किसने लगाया था | bhumi shanti aur roti ka nara kisne diya tha – रूस में किसानो और मजदूरो की दयनीय स्थित का कारण जमीदार पूँजीवादी थे. किसानो और मजदूरो को पूंजीवादियो से मुक्ति दिलाने के लिए रूस में सन 1917 में फ़रवरी और अक्टूबर क्रांति हुई थी. इन क्रांतियो के फलस्वरूप रूस में मार्क्सवादी सरकार की स्थापना हुई थी.
लेकिन आपको पता है की इसी क्रांति के दौरान प्रत्येक आन्दोलनकारी के जुबा पर रहने वाले भूमि शांति और रोटी का नारा किसने दिया था. तो इस आर्टिकल में हम आपको बताएगे की इस नारे को देने वाले का क्या नाम था. इसके साथ ही इस आर्टिकल में हम बोल्शेविक क्रांति के बारे में अन्य जानकारी भी प्राप्त करेगे.
भूमि शांति और रोटी का नारा किसने दिया था | भूमि शांति और रोटी का नारा किसने लगाया था | bhumi shanti aur roti ka nara kisne diya tha
भूमि शांति और रोटी का नारा लेनिन ने दिया था. लेनिन रूस के बोल्शेविक दल के प्रमुख नेता थे. उनका पूरा नाम व्लादिमीर इलीइच उल्यानोव था. लेनिन वर्ष 1917 से लेकर वर्ष 1924 तक रूस के हेड ऑफ़ गवर्नर भी रहे है. वह बोल्शेविक आन्दोलन का प्रमुख चेहरा थे. और इसी आन्दोलन के दौरान ही उन्होंने भूमि शांति और रोटी का नारा आन्दोलनकारियों और जनता को संघर्ष के लिए तैयार रहने के लिए दिया था. यह नारा आन्दोलनकारियों के बिच बहुत लोकप्रिय हुआ था.
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बोल्शेविक दल की जानकारी
बोल्शेविक दल एक साम्यवादी विचारधारा रखने वाला रूस का प्रमुख दल था. इस दल ने प्रथम विश्व युध्द का जमकर विरोध किया था तथा रूस में साम्यवाद स्थापित करने के लिए गृह युद्ध के लिए नारा दिया था. लेनिन ने बोल्शेविक दल को सगंठित करके आन्दोलन के लिए तैयार करने का कार्य किया था तथा आन्दोलन में लेनिन ने बोल्शेविक दल का नेतृत्व किया था.
आगे चल कर यही बोल्शेविक दल साम्यवादी दल में परिवर्तित हुआ. और इसी दल के आधार पर अंतराष्ट्रीय साम्यवादी संगठन की स्थापना हुई थी. जिसने साम्यवादी विचारधारा को पुरे विश्व में फैलाई थी.
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लेनिन की जीवनी | लेनिन कौन था | लेनिन का पूरा नाम
लेनिन बोल्शेविक दल का प्रमुख नेता और संस्थापक था. उसका जन्म 1870 में साधारण राजकर्मचारी के घर सिम्बिर्स्क नामक स्थान पर हुआ था. लेनिन अपने बचपन से ही क्रन्तिकारी विचारो से प्रभावित था. उसने कजान विश्वविधालय से शिक्षा ग्रहण की थी. उसके बाद मार्क्सवादी विचार धाराओ से प्रभावित होकर हुआ था और मार्क्सवादी का विचारधाराओ का कट्टर समर्थक बन गया था. अपने क्रन्तिकारी विचारो और गतिविधियों के कारन उसे विश्वविधालय से निष्काषित भी होना पड़ा था.
लेनिन ने वर्ष 1892 में अपने वकालत के पेशी की शुरुआत की और साथ ही मार्क्सवादी विचारो का भी गहन अध्ययन करना शुरू कर दिया था. वर्ष 1895 में लेनिन को क्रन्तिकारी गतिविधियो के कारन गिरफ्तार भी कर दिया गया था. इसके साथ ही लेनिन को साइबेरिया से निष्कासित कर दिया. साइबेरिया से निष्काषित होने के पश्चात् लेनिन ने जेनेवा में इस्करा और जार्या नामक दो समाचार पत्रिकाओ में संपादन का कार्य किया. लेनिन ने अपने क्रन्तिकारी विचारधाराओ और मार्क्सवादी नीतियों को इन्ही पत्रिकाओ के द्वारा रूस में प्रचार किया था.
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जब वर्ष 1903 में जनतांत्रिक समाजवादी दल का विभाजन हुआ तो लेनिन बोल्शेविकों दल का प्रधान नेता बना था. लेनिन का विश्वास था की रूस में साम्यवाद की स्थापना क्रन्तिकारी विचारो से ही हो सकती है. लेनिन का मानना था की दल छोटा क्यों ना हो लेकिन दल में ढृढ़ विचारो और हिंसात्मक क्रांति में विश्वास रखने वाले लोग होने चाहिए.
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निष्कर्ष
इस आर्टिकल (भूमि शांति और रोटी का नारा किसने दिया था | भूमि शांति और रोटी का नारा किसने लगाया था | bhumi shanti aur roti ka nara kisne diya tha) को लिखने का उद्देश्य आपको रुसी क्रांति के प्रमुख नेता लेनिन के बारे में जानकारी देना है. भूमि शांति और रोटी का नारा लेनिन ने दिया था. लेनिन रूस के बोल्शेविक दल के प्रमुख नेता थे. उनका वास्तविक नाम व्लादिमीर इलीइच उल्यानोव था. लेनिन वर्ष 1917 से लेकर वर्ष 1924 तक रूस के हेड ऑफ़ गवर्नर भी रहे है वह बोल्शेविक आन्दोलन का प्रमुख चेहरा थे.
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बोल्शेविक दल एक साम्यवादी विचारधारा रखने वाला रूस का प्रमुख दल था. इस दल ने प्रथम विश्व युध्द का जमकर विरोध किया था तथा रूस में साम्यवाद स्थापित करने के लिए गृह युद्ध के लिए नारा दिया था.
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