बीजक में किसका उपदेश संग्रहित है | bijak mein kiska updesh sangrahit hai

बीजक में किसका उपदेश संग्रहित है | बीजक के कवि कौन है | बीजक के कितने भाग है | bijak mein kiska updesh sangrahit hai – भारतवर्ष प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों और संतो का देश रहा है. समय-समय पर इन ऋषियों और संतो ने समाज के उत्थान के लिए प्रयत्न किये है. तथा समाज को भजन, कविताओ, गीतों और दोहों के माध्यम से उपदेश दिए है. जैसे की आप भी जानते है की कबीर और सूरदास ने समाज की बुराइयों और दुव्यवहार को अपने दोहों और रचनाओ से उजागर किया है. और समाज को एक नई और नैतिकता की दीक्षा दिखाई है.

ऐसा ही महान ग्रन्थ बीजक है. लेकिन आपको पता है की बीजक में किस संत के उपदेश संग्रहित है. तो इस आर्टिकल में हम आपको बीजक के बारे में विस्तार से जानकारी देगे. और बताएगे की बीजक को किसने लिखा है. और इसमें किसके कथन संग्रहित है. इसके साथ ही हम आपको इस आर्टिकल में बीजक से जुड़ी अन्य जरुरी जानकरी भी देंगे.

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बीजक में किसका उपदेश संग्रहित है | बीजक के कवि कौन है | bijak mein kiska updesh sangrahit hai

बीजक संत कबीर की रचनाओ का संग्रह है. तथा यह कबीर पंथियों की पवित्र पुस्तिका है. कुछ लोगो को भ्रम है की कबीर जी ने कभी अपने जीवन में कलम और कागज को हाथ तक नहीं लगाया. तो फिर उन्होंने बीजक पुस्तक की रचना कैसे की थी. तो इस भ्रम को तोड़ने के लिए हम कहना चाहते है की जरुर कबीर जी ने कभी कलम और कागज को स्पर्श नहीं किया होगा.

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लेकिन जो कथन वो अपने जुबा ने उच्चारित करते थे. उनके शिष्य उनके कथन को लिखते थे. उनके कथन को रूप देते थे इसलिए कबीर की दोहों में बार-बार जिक्र होता है की “कहै कबीर सुनो भाई सन्तो”. अर्थात कबीर जी मुह से कथनों का उच्चारण कर रहे है.  इसलिए बीजक भक्त श्री कबीर के कथनों को एक संग्रह है.

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कबीर पंथियों और संत कबीर के पाठको के लिए बीजक कबीर जी के कथनों और सिद्दांतो का प्रमुख ग्रन्थ माना जाता है. तथा एक बार कबीर जी के शिष्य भगवानदास बीजक की प्रति चोरी से लेके भाग गए थे. इसलिए भगवानदास को चोरी बीजक की प्रति लेकर भागने के कारन एक स्थान पर भग्गू भी कहा गया है. बीजक को लिखने वालो में से एक विश्वनाथ सिंह जू देव ने कबीर साहब के द्वारा कह एक कुछ पंक्तिया भग्गू के समक्ष में लिखी है. जो निम्न अनुसार है:

“भग्गूदास की खबरि जनाई। ले चरनामृत साधु पियाई।।

कोऊ आप कह कालिंजर गयऊ। बीजक ग्रन्थ चोराइ ले गयऊ।।

सतगुरु कह वह निगुरा पन्थी। काह भयौ लै बीजक ग्रन्थी।।

चोरी करि वै चोर कहाई। काह भयो बड़ भक्त कहाई।

बीजमूल हम प्रगट चिह्नाई। बीज न चीह्नो दुर्मीत लाई।।”बीजक के कितने भाग है

बीजक के कितने भाग है

बीजक में कुल 11 अंग और 619 छन्द है. इस पुस्तक और इसके सम्पूर्ण 11 अंगो का नामकरण कबीर जी ने खुद ही किया था. बीजक के 11 अंगो के नाम निम्नलिखित है:

  • रमैनी
  • शब्द
  • ज्ञान चौतीसा
  • विप्रमतिसी
  • बसन्त
  • चाचर
  • बिरहुली
  • हिण्डोला
  • साखी
  • कहरा
  • बेलि

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वर्तमान में कबीर का बीजक ग्रथ कहा पर है?

वर्तमान के बिहार राज्य के चंपारण में संत कबीर के मठ और स्तूप के प्रमाण प्राप्त होते है. और यही पर महान ग्रन्थ बीजक भी प्राप्त होता है. जानकारी के अनुसार बीजक में 300 से भी अधिक पन्ने स्थित है. वर्तमान में बीजक ग्रथ कबीर पंथ की भगतही शाखा के चटिया बडहरवा के मठ में स्थित है. जो अवधि भाषा में उपलब्ध है.

हनुमान दास ने संस्कृत में बीजक ग्रन्थ का अनुवादन किया था. तथा इसके संस्कृत प्रति का प्रकाशन फतुहा पटना से हुआ था. कबीर के सम्पूर्ण ग्रंथवाली का संपादन वर्ष 1928 में श्यामसुन्दर दास ने द्वारा नागरी प्रचारिणी सभा के द्वारा किया गया था.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (बीजक में किसका उपदेश संग्रहित है | बीजक के कवि कौन है | बीजक के कितने भाग है | bijak mein kiska updesh sangrahit hai ) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको बीजक के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. बीजक संत कबीर की रचनाओ का संग्रह है. तथा यह कबीर पंथियों की पवित्र पुस्तिका है. कबीर पंथियों और संत कबीर के पाठको के लिए बीजक कबीर जी के कथनों और सिद्दांतो का प्रमुख ग्रन्थ माना जाता है.

बीजक के कुल 11 अंग और 619 छन्द है. तथा इस पुस्तक और इसके सम्पूर्ण 11 अंगो का नामकरण कबीर जी ने खुद ही किया था.

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