समाजशास्त्र के जनक कौन है | samajshastra ke janak kaun hai

समाजशास्त्र के जनक कौन है | samajshastra ke janak kaun hai – हम लोगो ने कहि बार ऐसा सुना है की “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है.” कोई भी व्यक्ति इस दुनिया में अकेले नहीं रह सकता है. प्रत्येक को कभी कभी ना जीवन में एक दुसरे की जरूरत होती है. इसलिए मनुष्य हमेशा समाज, परिवार और दोस्तों के साथ रहता है. समाजशास्त्र वह विषय है जिसमे समाज की सरंचना और गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है. लेकिन आपको पता है की समाजशास्त्र का जनक किसे माना गया है. तो इस आर्टिकल में हम समाजशास्त्र के जनक के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेगे.

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समाजशास्त्र के जनक कौन है | samajshastra ke janak kaun hai

समाजशास्त्र के जनक का नाम ऑगस्त कॉम्त था .

ऑगस्त कॉम्त कौन थे?

ऑगस्त कॉम्त पूरा नाम इज़िदोर मारी ऑगस्त फ़्रांस्वा हाविए कॉम्त था. वह एक फ्रांसीसी विचारक और समाज सुधारक थे. तथा उनका जन्म 19 जनवरी 1795 में हुआ था. वह समाजशास्त्र की नीव रखने वालो में से एक थे. और उन्हें समाजशास्त्र का पिता भी कहा जाता है. उन्होंने तथ्यवाद के विचार को दुनिया के सामने रखा. उनके द्वारा दी गई दार्शनिक प्रणाली ने समाज की राजनितिक और सामाजिक व्यवस्था को सही रूप देने का कार्य किया. सामाजिक व्यवहार ऑगस्त कॉम्त के प्रत्येक लेखन में प्राप्त होता है.

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ऑगस्त कॉम्त हेन्री सैन्ट सिमो के विचारो से प्रभावित थे. और उन्होंने प्रत्यक्षवाद के अनुशासन को स्थापित कर फ्रांस के सामाजिक व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की. उनके समाजशास्त्र विषय पर ज्ञान और समाज की उन्नंती के लिए विचारो ने भविष्य में अनेक समाजशास्त्र के सिद्दांतो और विचारो के आधार की भूमिका निभाई थी. उनके द्वारा प्रस्तुत की गई प्रत्येक कृति में परिकल्पना और कार्यान्वन के बिच सम्बन्ध के बिच सोच प्राप्त होती है.

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ऑगस्त कॉम्त का जीवन परिचय

ऑगस्त कॉम्त का जन्म 19 जनवरी 1798 में मौन्टपीलियर नामक स्थान पर हुआ था. उनका परिवार और माता पिता कैथोलिक धर्म के सच्चे समर्थक थे. जबकि कॉम्त प्राचीन परम्पराओ और विचारो के कट्टर विरोधी थे. उनके विचार अपने माता पिता और परिवार के विचारो से बहुत ज्यादा भिन्न थे. इसलिए उनके विचार परिवार के अन्य लोगो के विचारो से मेल नहीं खाते थे. उनमे बचपन में ही कुशल नेतृत्व के गुण मौजूद थे. वह बचपन में एक मेधावी छात्र भी रहे थे.

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कॉम्त का विवाह वर्ष 1825 में कोरोलिन मेसिन से हुआ था. लेकिन यह शादी 17 साल के बाद सन 1842 में समाप्त हो गई. उनके जीवन में ऐसे भी स्थिति आई जब उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब हो चुकी थी. यहा तक की कहि बार उनके पास खाना खाने के लिए पैसे नहीं होते थे. वह अपनी आर्थिक स्थिति से बहुत चिंता में रहते थे. और जिसके चलते उन्होंने एक बार आत्महत्या की भी कोशिश कर दी थी.

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इसके पश्चात् आगे चल कर वर्ष 1830 में उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक “पॉजिटिव फिलासफी” का प्रथम खंड प्रकाशित हुआ. इस पुस्तक की सफलता के साथ ही उनकी ख्याति पुरे फ्रांस में फैल गई थी. और उन्हें नौकरी के बहुत सारे प्रस्ताव भी प्राप्त हुए. जिसके चलते उनकी आर्थिक स्थिति एक बार फिर से पटरी पर आने लगी.

वह अपने पुस्तको की बिक्री की कोई भी रॉयल्टी नहीं लेते थे. उनका मानना था की विचार अमूल्य होते है. तथा उनके लिए कोई पैसा लेना अनैतिक है. ऑगस्त कॉम्त एक महान दार्शनिक थे. इसके साथ भी वह एक भावुक और व्यावहारिक व्यक्ति भी थे. उन्होंने पुरे जीवन दुखो और गरीबी का सामना किया था. और सम्पूर्ण जीवन आर्थिक परिशानियो के साथ व्यतीत किया. और आख़िरकार वर्ष 1857 में मात्र 59 साल की अल्पायु में ही उनकी मृत्यु कैंसर जैसे घातक बीमारी से हो गई.

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ऑगस्त कॉम्त की प्रमुख रचनाए और कृतिया

ऑगस्त कॉम्त की प्रमुख रचनाए और कृतिया निम्न थी:

A Prosctus of the scientific work required for the reorganization of society, 1822

यह ऑगस्त कॉम्त की प्रथम रचना थी. तथा इसमें ऑगस्त कॉम्त ने समाज के पुनर्निर्माण की योजना प्रस्तुत की थी.

System of positive polity, 1851-54

यह पुस्तक चार भागो में प्रकाशित की गई थी. तथा इसमे कॉम्त ने अपने सिद्दांतो को व्यावहारिक रूप देने का प्रत्यन्न किया था. इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य पुरानी विचारो को भुलाकर एक नए व्यावहारिक समाज का निर्माण करना था.

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 The course of positive philosophy, 1830-42

यह पुस्तक छ खंडो में प्रकाशित की गई थी. तथा इस पुस्तक में समाजशास्त्र विषय को वैज्ञानिक रूप दिया गया था. यह पुस्तक ऑगस्त कॉम्त के प्रत्यक्षवाद के सिद्दांत की रचना करता है.

Catechism of positivism, 1852

यह पुस्तक ऑगस्त कॉम्त की अंतिम रचना थी. तथा इसका प्रकाशन 1852 में हुआ था. ऑगस्त कॉम्त ने अपनी इस कृति में जनतंत्र का पूर्ण रूप से समर्थन किया था. और विचारिक स्वंत्रता समाज और देश के उत्थान के लिए आवश्यक माना था.

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (समाजशास्त्र के जनक कौन है | samajshastra ke janak kaun hai) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको समाजशास्त्र के जनक ऑगस्त कॉम्त के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. ऑगस्त कॉम्त को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है. उन्होंने तथ्यवाद के विचार को दुनिया के सामने रखा. वर्ष 1830 में उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक “पॉजिटिव फिलासफी” का प्रथम खंड प्रकाशित हुआ. इस पुस्तक की सफलता के साथ ही उनकी ख्याति पुरे फ्रांस में फैल गई थी.

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