Boli kise kahate hain – बोली किसे कहते हैं

boli kise kahate hain – बोली किसे कहते हैं- इन्सानो के विकास में हजारों साल लगे हैं. पहले इन्सान जगल में रहता था. पत्तो और जानवरों के खालो से अपने शरीर को ढंकता था. धीरे-धीरे इन्सान विकास करता रहा और उसने खाना बनाना सिखा, कपड़ा बनाना सिखा, इसी कड़ी में इन्सान ने अपने मुह की ध्वनियों का उपयोग करके भाषा का विकास किया.

इस आर्टिकल (boli kise kahate hain) में हम आपको बोली और बोली के प्रकार के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं. इसके साथ ही आप इस आर्टिकल में बोली और भाषा के अंतर के बारे में भी जानेगे.

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भाषा क्या हैं?

भाषा मुख्यरूप से ध्वनियों का समूह हैं. व्यक्ति ध्वनि को मुह से बोल कर भाषा के सहायता से अपनी व्यथा, स्थिति, मनोदशा, परेशानी, और जरूरत किसी अन्य व्यक्ति को बताता हैं. हिंदी एक भाषा हैं. क्योंकि हिंदी भाषा का अस्तित्व बहुत लम्बे समय से मौजूद हैं. भाषा का प्रभाव बड़े भू-भाग पर होता हैं. और भाषा का इतिहास विस्तृत होता हैं.

भाषा के कितने रूप होते हैं – भाषा के कितने भेद होते हैं

बोली किसे कहते हैं? (boli kise kahate hain)

बोली भाषा का ही एक लघु रूप हैं. जिस प्रकार से भाषा का प्रभाव बड़े भू-भाग पर रहता हैं. उससे ठीक उल्टा बोली का प्रभाव भाषा से कम भू-भाग पर रहता हैं. एक उदाहरण के तौर पर हमारी राष्ट्रिय भाषा हिंदी पुरे देश में बोली और समझी जाती हैं. लेकिन हिन्दुस्थान में बोली जाने वाली अन्य भाषाए जैसे गुजराती, मराठी, भोजपुरी, बंगाली सिर्फ राज्यों की सीमा तक ही सिमित हैं. अंत यह सब बोली में आती हैं.

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भाषा का विकास बोली से ही होता हैं. भाषा में विभिन्न बोलियों के शब्द को ग्रहण करने की क्षमता होनी चाहिए. जैसे हिंदी भाषा में हैं. हिंदी भाषा में अनेक भाषाओ के शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं. जितनी स्थानीय बोलिया समृद्ध होती हैं. उतनी ही भाषा भी विकसित होती हैं. बोली भाषा का ही स्थानीय रूप हैं.

भाषा की अपनी एक विस्तृत लिपि होती हैं. जिस प्रकार से हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी हैं. उसी प्रकार से प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि होती हैं. लेकिन बोली की लिपि होना अनिवार्य नहीं हैं. यह बोली के विकास पर निर्भर करता हैं.

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भाषा और बोली में क्या अंतर हैं?

भाषा और बोली में निम्नलिखित अंतर हैं:

  • भाषा का अपना एक विस्तृत साहित्य होता हैं. जैसे हिंदी भाषा का हिंदी साहित्य हैं. लेकिन बोली का साहित्य होना जरुरी नहीं हैं.
  • भाषा की अपनी लिपि होती हैं. लेकिन बोली की लिपि होना अनिवार्य नहीं हैं.
  • भाषा का व्याकरण होता हैं. जिसमे भाषा को शुध्द रूप से लिखने और बोलने के नियम होते हैं. लेकिन बोली का व्याकरण होना अनिवार्य नहीं हैं.
  • भाषा का प्रभाव बड़े भू-भाग जैसे देशों और महाद्वीपों तक होता हैं. लेकिन बोली का प्रभाव छोटे से भू-भाग जैसे शहर, कस्बे या जिले तक ही सिमित होता हैं.
  • बोली को उपभाषा या विभाषा भी बोला जाता हैं. बोलियों से ही भाषा का विकास संभव हैं.

व्याकरण के कितने अंग / भेद / प्रकार होते हैं?

बोली कितने प्रकार की होती हैं?

बोली को उपभाषा या विभाषा भी कहा जाता हैं. हिंदी व्याकरण के अनुसार बोली को पांच भागों में बाटा गया हैं. यह पांच भेद निम्न-अनुसार हैं:

  • पूर्वी हिंदीअवधी, बघेली और छत्तीसगढी.
  • पश्चिमी हिंदी – ब्रज बोली, बुंदेली, कन्नौजी, हरियाणवी, कौरवी और दक्खिनी.
  • बिहारी हिंदीभोजपुरी, मगही और मैथिली.
  • राजस्थानी हिंदी – मालवी, मालवाड़ी, मेवाती और जयपुरी.
  • पहाड़ी हिंदी – गढ़वाली और कुमाउँनी.

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