History of html in hindi / html history in hindi
आप पुरे दिन इन्टरनेट पर न जाने कितनी वेबसाइट और वेबपेज पढ़ते है. लेकिन आपने कभी सोचा है की ये वेबसाइट कैसे बनती है. तो आज हम इस आर्टिकल (History of html in hindi / html history in hindi) के जरिये आपको वेबपेज और वेबसाइट को बनाने के लिए उपयोग होने वाली कंप्यूटर लैंग्वेज HTML के बारे में विस्तार से जानकारी देगे. साथ में हम आपको इस आर्टिकल में HTML के सफल और इतिहास का भी विस्तार से जानकारी देगे.
HTML क्या है?
HTML का पूरा नाम Hyper Text Markup language है. जिसका उपयोग वेबसाइट और वेबपेज को बनाने के लिए किया जाता है.
HTML का फुल फॉर्म क्या है. (HTML full form in hindi)
HTML का पूरा नाम Hyper Text Markup language है. इनको विस्तार में निचे बताया गया है. आगे हम Hyper Text Markup language शब्द का अर्थ जानेगे.
Hyper Text
इसका सीधा सा अर्थ है टेक्स्ट (text) के साथ टेक्स्ट (text) को जोड़ना होता है. किसी शब्द को हाइपरलिंक (hyperlink) के द्वारा किसी वेबपेज से जुड़ा जाता है. उसे हाइपर टेक्स्ट (Hyper text) कहा जाता है. जब भी आप hyper text पर क्लिक करने है ये आपको किसी अन्य वेबपेज पर लेके जाता है.
Markup Language
Markup language कंप्यूटर की भाषा है. जिसका उपयोग दस्तावेज को फॉर्मेट और लेआउट (layout) करने के लिए किया जाता है. ये लेखन को अधिक शक्तिशाली और गतिशील (dynamic) बनाता है.
Webpage
वेबपेज एक दस्तावेज है. जो HTML लैंग्वेज में लिखा जाता है. और वेब ब्राउज़र के द्वारा अनुवाद किया है. URL के द्वारा इसको पढ़ा जाता है. URL वेबपेज का इन्टरनेट पर पता होता है. वेबपेज static और dynamic हो सकते है. लेकिन HTML में लिखे हुए वेबपेज Static होते है.
History of HTML in Hindi / HTML history in Hindi
HTML का इतिहास काफी रोचक है. तथा समय के साथ इसके संस्करण आते रहे है. और प्रत्येक संस्करण में HTML को ओर अधिक प्रभावशाली बनाया गया है. जैसे नए संस्करण आते रहे है. HTML लैंग्वेज को आसान बनाने की कोशिश की गई है.
HTML 1.0
HTML 1.0 इस लैंग्वेज का पहला संस्करण है. जिसे दुनिया के सामने रखा गया था. उस समय ज्यादा लोग वेबसाइट के क्षेत्र में नहीं थे. और इसके लैंग्वेज भी बहुत कम होती थी. HTML के इस संस्करण में सिर्फ टेक्स्ट और शब्दों को वेबपेज पर दिखाना का ही काम होता था.
HTML 2.0
ये HTML लैंग्वेज का दूसरा संस्करण है. इसमें HTML 1.0 के सारे फीचर लिए गए थे. और साथ में कुछ नए फीचर भी जोड़े गए थे. जिससे वेबसाइट बनाने की पक्रिया को अधिक आसान और प्रभावशाली बनाया जा सके. सन 1997 तक HTML 2.0 वेबसाइट डिजाईन करने के लिए एक मानक के रूप में लिया जाता था.
HTML 3.0
इस समय तक बहुत से लोग वेबसाइट के क्षेत्र में आ चुके थे. तथा आपस में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ने लगी थी. इस समय Netscape नाम की कंपनी ब्राउज़र के क्षेत्र में अव्वल थी. और उसके ब्राउज़र का नाम Netscape Navigator था.
ये ब्राउज़र कंपनी एक ऐसे tag को लेके आई. जिससे वेबसाइट Netscape के ही ब्राउज़र में अच्छा दीखता था. तथा अन्य ब्राउज़र में वेबसाइट कुछ खास नहीं दिखती थी. और एक बुरा प्रभाव यूजर पर छोडती थी. इस कारन अब वेबसाइट को सिर्फ Netscape ET लैंग्वेज में ही बनाने का दबाव बनता जा रहा था. जिससे इस क्षेत्र में लोगो का गुस्सा बढ़ते जा रहा था.
उस समय HTML का लीडरशिप Dave Raggett के हाथो में था. उन्होंने HTML 3.0 का प्रस्ताव रखा. जिसमे बहुत प्रभावशाली और नई क्षमताए के साथ फीचर शामिल थे. जिसमे वेबमास्टर के नई और प्रभावशाली वेबपेज के डिजाईन का वादा किया गया था. लेकिन अफ़सोस की बात है कि वेबमास्टर और ब्राउज़र कंपनी ने सिर्फ कुछ फीचर को ही लिया. और वो नए बदलाव के लिए तैयार नहीं हुए. जिससे HTML 3.0 इतना सफल नहीं रहा.
HTML 3.2
ब्राउज़र रोज़ नए tag ला रहे थे. तथा इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढती जा रही थी. प्रत्येक ब्राउज़र कंपनी अपनी चलाने में लगी थी. इस समय मानक को स्थापित करना जरुरी हो गया था. इसके लिए वर्ल्ड वाइड वेब (www) की स्थापना सन 1994 में हुई. और वर्ल्ड वाइड वेब (www) ने अपना मानक WILBUR बनाया था. जिसे बाद में HTML 3.2 नाम दिया गया. इसमें Netscape और अन्य ब्राउज़र के द्वारा बनाए गए tag को हटा दिया गया. और प्रत्येक ब्राउज़र को इस नए मानक को मानना अनिवार्य था.
HTML 4.01
HTML 4.0 मे बड़े सुधाक किये गए. इसका नाम पहले COUGAR था. इसमें बहुत सारे नए फीचर लाए गए थे. तथा इसको अंतराष्टीय मानक बनाने पर जोर दिया गया.
HTML 4.0 को वर्ल्ड वाइड वेब (www) के द्वारा समर्थन था . और इसे अप्रैल 1998 में अंतराष्टीय मानक घोषित कर दिया गया था. माइक्रोसॉफ्ट के अपने internet explorer ब्राउज़र में इस मानक के आधार पर बदलाव किये. जो की Netscape के ब्राउज़र के मुकाबले काफी अच्छे और प्रभावशाली थे.
इसमें ओर अधिक बदवाल होते गए. और नए संस्करण 4.01 को दुनिया के सामने रखा गया.
XHTML 1.0
21 शताब्दी के शुरुआत में वर्ल्ड वाइड वेब (www) ने एक और मानक XHTML 1.0 को सिफारिश के तौर पर रखा. जिसे बाद में 26 जनवरी, 2000 को HTML 4.01 के साथ मानक बनाया गया था. XHTML में मुख्य रूप से कोड लिखने के लिए नियम थे. जिसको मानना सबके लिए अनिवार्य था. जिससे वेबसाइट की वस्तुए और शब्द ब्राउज़र में ठीक से दिख सके.
HTML 5
HTML 4.01 और XHTML की सफलता के बाद कही ऐसे चतुर वेब डेवलपर और प्रोग्रामर थे. जो HTML 4.0 और XHTML को हैक कर रहे थे. इस समय ये लोग www को छोड़ कर अपना खुद का कुछ नया सोच रहे थे. ये लोग अपने आप को Web Hypertext Application Technology Working Group (WHATWG) कहते थे.
इस समय नया मानक बनाना जरुरी था. वर्ल्ड वाइड वेब (www) इस समय HTML 2 मानक को बंद कर दिया. और नया संस्करण HTML 5 ले के आए. तथा वर्तमान और आने वाले एक दशक तक जब तक की नया संस्करण नहीं आ जाता है. HTML 5 को मानक माना जाएगा. इसमें कही elements, attributes, tags जोड़े गए. जिसे लोकप्रिय ब्राउज़र कंपनी जैसे गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट इत्यादि नही पालन करती है.
आपने क्या सिखा
अगर आप वेबसाइट के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहते है. या फिर किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे है. तो ये आर्टिकल (History of html in hindi / html history in hindi) आपको HTML लैंग्वेज और उनकी विशेषताओइतिहास को समझने में मदद करेगा. क्योंकि हमने इसमें HTML से जुडी जानकारी बिल्कुल आसन भाषा में वर्णन की है.