Karo ya maro ka nara kisne diya tha | करो या मरो

Karo ya maro ka nara kisne diya tha – करो या मरो का नारा किसने दिया था – भारत ने स्वन्त्रता के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी हैं. जिसमे लाखो लोगो ने बलिदान दिया हैं. इन लोगो के बलिदान को देश कभी भूल नहीं सकता हैं. स्वंत्रता की इस आन्दोलन में युवाओ ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया. भगत सिंह जैसे आजादी के दीवाने भी हुए थे. जिन्होंने देश के लिए अपनी जान को भी दाव पर लगा दिया. इस आर्टिकल में आप जानेगे की करो या मरो का नारा किसने दिया. और यह नारा कब दिया गया था. इस आर्टिकल में हम भारत छोड़ो आन्दोलन के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे.

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करो या मरो का नारा किसने दिया था | karo ya maro ka nara kisne diya tha

करो या मरो का नारा महात्मा गाँधी ने सन 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस के अधिवेशन में भारत छोड़ो आन्दोलन के प्रस्ताव के साथ दिया था. यह प्रस्ताव गाँधी जी ने कांग्रेस के मुंबई के अधिवेशन में रखा था. इसी प्रस्ताव पर भारत छोड़ो आन्दोलन को रुपरेखा दी गई. और इसी आन्दोलन के कारन अंग्रेजी हुकूमत को भारत को स्वन्त्रत करने के लिए विवश होना पड़ा. इस नारे का लक्ष्य ब्रिटिश हुकूमत को भारत से उखाड़ फेकना था. इस नारे ने पुरे भारत में अलग अलग रूप में आन्दोलन कर रहे. आंदोलनकारियो को एकजुट करने का कार्य किया.

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भारत छोड़ो आन्दोलन की जानकारी

द्वितीय युध्द के समय ब्रिटिश विश्व युध्द की तैयारी कर रहा था. ठीक इसी समय मौके को भापते हुए. गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार पर भारत को आजाद कराने के लिए कांग्रेस के अधिवेशन में अंग्रेजो को ‘भारत छोड़ो’ और भारतीयों को ‘करो या मरो’ का नारा दिया. आन्दोलन के शुरुआत के पहले दिन ही महात्मा गाँधी को गिरफ्तार कर दिया गया था. गाँधी को पुणे की यरवड़ा जेल भेज दिया गया था.

इस आन्दोलन में देश के युवा वर्ग ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया. देश के युवाओ ने अपनी कॉलेज और पढाई को बिच में छोड़ कर जेल का रास्ता पकड़ लिया. इससे लोगो को रखने के लिए जेल भी कम पढ़ गई. ब्रिटिश सरकार ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए बहुत प्रयत्न किया. लेकिन एक साल तक यह आन्दोलन चलता रहा था. जिसने ब्रिटिश सरकार की नीव भारत में हिला कर रख दी थी.

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द्वितीय युध्द जब समाप्ति की ओर था. उसी वक्त गाँधी जी को छोड़ दिया गया. गाँधी जी ने जेल से छुट कर अखिल भारतीय कांग्रेस और मुस्लिम लिंग के बिच फ़ासले को कम करने का कार्य किया.

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (Karo ya maro ka nara kisne diya tha) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको ‘करो या मरो’ के नारे से अवगत कराना हैं. इस नारे को महात्मा गाँधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस के अधिवेशन में दिया था. भारत छोड़ो आन्दोलन में इस नारे ने बड़ी भूमिका निभाई थी. इस नारे ने पुरे भारत में आन्दोलनकारियों को एक सूत्र में बाधने का कार्य किया. इस नारे का सीधा सन्देश भारतीयों को देश की स्वन्त्रत के लिए कुछ करने के लिए ज़ज्बा कायम करना था.

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