कवि कालिदास किसके राजकवि थे | कवि कालिदास की जीवनी

कवि कालिदास किसके राजकवि थे | कवि कालिदास की जीवनी |kavi kalidas kiske rajkavi the – भारतीय साहित्य बहुत प्राचीन और समृध्द हैं. प्राचीन काल में अनेक साहित्यकार हुए थे. जिन्होंने भारतीय साहित्य को उत्कर्ष बनाने में भूमिका निभाई थी. ऐसे ही एक महान साहित्यकार, नाटककार और कवि कालिदास थे. कालिदास संस्कृत भाषा के महान विद्धवान थे. इस आर्टिकल में हम कवि कालिदास के बारे में विस्तार से जानेगे. इस आर्टिकल में हम जानेगे की कवि कालिदास किसके राज्यकवि थे.

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कवि कालिदास किसके राजकवि थे | kavi kalidas kiske rajkavi the

कालिदास एक महान कवि, नाटककार और साहित्यकार थे. उन्होंने संस्कृत भाषा में अनेक रचनाए की हैं. कालिदास सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के राजकवि थे. तथा विक्रमादित्य के नवरत्नों में शामिल थे. विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे. सम्राट विक्रमादित्य इतने महान शासक थे. जिनकी उपाधि 14 भारतीय राजाओ को दी गई थी. जिसमे गुप्त साम्राज्य के चन्द्रगुप्त द्वितीय और सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य शामिल हैं.

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कवि कालिदास कौन थे?

कवि कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे. उनके द्वारा लिखी गई कृतियों को आज भी पढ़ा जाता हैं. उन्होंने संस्कृत भाषा में अभिज्ञानशाकुंतलम् (शकुन्तला) रचना को लिखा. यह नाटक कुछ चुने हुए भारतीय साहित्य में से हैं. जिसका अनुवादन यूरोपियन भाषा में हुआ था. इस रचना का पुरे विश्व में सबसे अधिक बार अनुवादन हुआ हैं.

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कालिदास ने अपनी रचनाओ में भारतीय समाज के आदर्शो और जीवनशैली को उत्कर्ष तरीके से लिखा हैं. इन्होने भारत की पौराणिक कथाओ और दर्शन को आधार बना कर विभिन्न रचनाए की थी. कालिदास को उनकी सरल और मधुर भाषा के लिए जाना जाता हैं. कुछ विद्वानों ने कालिदास को राष्ट्रिय कवि की उपाधि भी दी हैं.

कालिदास का जन्म कब और कहा हुआ था?

कालिदास के जन्म और जन्म के स्थान को लेकर विभिन्न विद्वानों के बिच में हमेशा मत रहा हैं. लेकिन यह निश्चित हैं की इनका जन्म प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर छठी शताब्दी के बिच में हुआ था. कालिदास की रचनाओ में उनका उज्जैन के प्रति प्रेम साफ झलकता हैं. इसलिए कुछ इतिहासकारों का मानना हैं की कालिदास का जन्म उज्जैन में हुआ था.

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कुछ साहित्यकारों ने सिद्ध किया हैं की कालिदास का जन्म उतराखंड के रुद्रप्रयाग के कविल्ठा गाँव में हुआ था. और कालिदास ने यही पर अपनी प्रांभिक शिक्षा भी ग्रहण की थी. और मेघदूत, कुमारसंभव, और रघुवंश जैसे रचनाओ की रचना की थी. कालिदास के प्रवास के कुछ प्रमाण बिहार राज्य के मधुबनी जिले में भी मिलते हैं.

कालिदास का जीवन और विवाह

कथाओ और कहानियों में कहा जाता हैं की कालिदास शरीर से बहुत सुन्दर और आकर्षित थे. और विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में शामिल थे. कथाओ में ऐसा कहा जाता हैं की कालिदास प्रारंभ में मुर्ख थे. कालिदास का विवाह राजकुमारी विधोत्तमा के साथ हुआ था. विधोत्तमा ने प्रतिज्ञा ली थी जो व्यक्ति उसे शास्त्रों के ज्ञान में हरा देगा. वह उस व्यक्ति से विवाह कर लेंगी. अनेक शास्त्रियों ने पूरी कोशिश की लेकिन राजकुमारी विधोत्तमा को नहीं हरा पाए.

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शास्त्रियों ने अपनी हार का बदला लेने के लिए विधोत्तमा की शादी किसी मुर्ख से करने का निश्चय किया. उन्होंने कालिदास को देखा जो पेड़ पर वही डाल काट रहा थे जिस पर वह बैठे थे. शास्त्रियों ने सोचा की इससे ज्यादा मुर्ख कौन हो सकता हैं. उन्होंने कालिदास को राजकुमारी से विवाह करने का लोभ दिया. और कहा की तुम चुप रहना बाकि सब हम संभाल लेंगे.

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कालिदास को राजकुमारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया. और राजकुमारी ने शास्त्रों के प्रश्न पूछे. कालिदास ने सिर्फ मौन अवस्था में संकेत दिए. जिसे शास्त्रियों ने बड़ी चालाकी से साथ राजकुमारी के सामने इस प्रकार से व्याख्या की जैसे कालिदास शास्त्र के महान ज्ञानी हो. इस प्रकार एक के बाद एक प्रश्न के बाद राजकुमारी ने अपनी हार मान ली. और प्रतिज्ञा के अनुसार कालिदास से शादी कर दी.

लेकिन शादी के प्रथम रात्रि को ही राजकुमारी ने कालिदास से संस्कृत भाषा में कुछ पूछा. कालिदास कुछ भी बोलने की अवस्था में नहीं थे. इस प्रकार राजकुमारी को पता चल गया की कालिदास को संस्कृत और शास्त्रों का कोई ज्ञान नहीं हैं. राजकुमारी ने कालिदास को घर से निकाल दिया. और कहा की अब तुम तभी आना जब शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त कर लो.

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इसके पश्चात् कालिदास ने सच्चे मन से काली माता की आराधना की और शास्त्रों के अध्ययन के लिए लग गए. शास्त्रों के ज्ञान को प्राप्त करके वह फिर से अपने घर आए. और दरवाजा खटखटाया. जैसे ही दरवाजा खटखटाया राजकुमारी के मुह से यह ही निकला की “लगता हैं कोई विद्वान आया हैं”.

कवि कालिदास की रचनाए

कालिदास की रचनाओ का वर्णन निम्न अनुसार हैं:

  • नाटक – मालविकाग्निमित्रम्, अभिज्ञान शाकुन्तलम्, विक्रमोर्वशीयम् इत्यादि.
  • महाकाव्य – कुमारसंभवम् , रघुवंशम् इत्यादि.
  • खंडकाव्य – मेघदूतम् , ऋतुसंहारम् इत्यादि.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (कवि कालिदास किसके राजकवि थे | kavi kalidas kiske rajkavi the) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको कवि कालिदास के बारे में विस्तार से बताना हैं. इस आर्टिकल में हमने बताया हैं की कवि कालिदास सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के राजकवि थे. तथा विक्रमादित्य के नवरत्नों में शामिल थे. कालिदास ने अपनी रचनाओ में भारतीय समाज के आदर्शो और जीवनशैली को उत्कर्ष तरीके से लिखा हैं.

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