Kriya ke kitne bhed hote hain – क्रिया की परिभाषा

kriya ke kitne bhed hote hain – kriya ki paribhasha – क्रिया की परिभाषा – अकर्मक क्रिया और सकर्मक – किसी भी भाषा को शुध्द तरीके लिखने और पढ़ने के लिए भाषा के व्याकरण का बहुत महत्व होता हैं. ऐसा हिंदी भाषा में भी हैं. हिंदी व्याकरण में हिंदी को शुध्द रूप से लिखने और पढ़ने के लिए नियम दिए गए हैं. इस आर्टिकल में हम ऐसे ही महत्वपूर्ण पाठ क्रिया के बारे में जानने वाले हैं. इसके साथ ही हम इस आर्टिकल में क्रिया के भेद या प्रकार के बारे में भी विस्तार से पढेगे.

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क्रिया किसे कहते हैं? (क्रिया की परिभाषा – kriya ki paribhasha)

वाक्य में जिन शब्दों से किसी कार्य के बारे में बोध होता हैं. उसे क्रिया कहते हैं. वाक्य के क्रिया शब्द से कार्य का भूतकाल में समाप्त हो जाना, वर्तमान में चलना या भविष्य में कार्य होने का बोध होता हैं.

उदाहरण: राम भाग रहा हैं.

उदाहरण: रमेश गाना गा रहा हैं.

उदाहरण: मुकेश सो रहा हैं.

ऊपर दिए गए तीनो वाक्यों में भागना, गाना, और सोना क्रिया हैं. क्योंकि यह शब्द वाक्य में कार्य का बोध करा रहे हैं.

क्रिया का मूल शब्द धातु हैं. धातु क्रिया के उस अंश को कहते हैं. जो प्राय सभी रूपों में पाया जाता हैं. जैसे पढ़, गा, खा, जा इत्यादि.

क्रिया के कितने भेद होते हैं? (kriya ke kitne bhed hote hain)

क्रिया को मुख्यरूप से दो भागों में बाटा गया हैं:

  • कर्म के आधार पर
  • रचना के आधार पर

कर्म के आधार पर

कर्म के आधार क्रिया दो प्रकार की होती हैं: यह दो क्रिया निम्न अनुसार हैं:

  • अकर्मक
  • सकर्मक

अकर्मक क्रिया

जिस वाक्य में कर्ता प्रमुख होता हैं. उस वाक्य की क्रिया को अकर्मक क्रिया कहा जाता हैं. तथा इन वाक्यों में क्रिया का फल सीधे कर्ता को मिलता हैं. इन वाक्यों में कर्म अनुपस्थित रहता हैं.

अकर्मक क्रिया के उदाहरण

उदाहरण: राम खाता हैं.

उदाहरण: रमेश सोता हैं.

ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में कर्ता प्रमुख हैं. तथा कार्य (खाना, और सोना) का फल सीधे कर्ता को मिल रहा हैं. अंत यह दोनों शब्द अकर्मक क्रिया हैं.

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सकर्मक क्रिया

जिस वाक्य में कर्म उपस्थित होता हैं. तथा वाक्य में क्रिया का फल कर्म पर पड़ता हैं. ऐसे वाक्य की क्रिया शब्द को सकर्मक क्रिया कहते हैं.

वाक्य में क्रिया का फल कर्ता के रहते हुए. जिस वस्तु या व्यक्ति या प्राणी पर पड़ता हैं उसे कर्म कहते हैं.

सकर्मक क्रिया के उदाहरण

उदाहरण: राम सेव खाता हैं.

उदाहरण: रमेश पानी पीता हैं.

ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में क्रिया का फल कर्म को मिल रहा  हैं. यहा कर्म शब्द सेव और पानी हैं. अंत इन वाक्यों की क्रिया खाता और पीता सकर्मक क्रिया कहलाती हैं.

सकर्मक क्रिया के भेद

सकर्मक क्रिया के दो भेद होते हैं:

  • एककर्मक क्रिया
  • द्विकर्मक क्रिया

एककर्मक क्रिया

जिस वाक्य में कर्म एक ही होता हैं. उस वाक्य की क्रिया को एककर्मक क्रिया कहा जाता हैं.

उदाहारण: रमेश सेव खाता हैं.

ऊपर दिए गए वाक्य में सिर्फ एक ही कर्म हैं. अंत इस वाक्य की क्रिया एककर्मक क्रिया कह्लाती हैं.

द्विकर्मक क्रिया

जिस वाक्य में दो कर्म होते हैं. उस वाक्य की क्रिया को द्विकर्मक क्रिया कहा जाता हैं.

उदाहरण: रमेश ने मुकेश को सेव दिया.

ऊपर दिए गए वाक्य में मुकेश और सेव दो कर्म हैं. अंत इस वाक्य की क्रिया ‘दिया’ शब्द द्विकर्मक क्रिया कहलाती हैं.

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रचना के आधार पर क्रिया के भेद

रचना के आधार पर क्रिया के भेद निम्न-अनुसार हैं.

प्रेरणार्थक क्रिया

जिन वाक्यों में क्रिया कर्ता खुद नहीं करता हैं. बल्कि किसी अन्य से कार्य करवाता हैं. तो ऐसी क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता हैं.

उदाहरण: राधा श्याम को लिखवा रही हैं.

इस वाक्य में राधा खुद कार्य नहीं कर रही हैं. अपितु श्याम से कार्य करवा रही हैं. अंत इस वाक्य की क्रिया प्रेरणार्थक क्रिया हैं.

नामधातु क्रिया

वाक्य में ऐसी क्रिया जो किसी धातु से नहीं बन कर संज्ञा या सर्वनाम से बनती हैं. उसे नामधातु क्रिया कहते हैं.

उदाहरण: सरकार नई निति अपनाना चाहती हैं.

उपयुक्त वाक्य में ‘अपनाना’ क्रिया हैं. तथा अपनाना शब्द ‘अपना’ सर्वनाम से बना हैं. अंत अपनाना नामधातु क्रिया हैं.

संयुक्त क्रिया

सयुंक्त क्रिया दो क्रियाओ से मिलकर बनी होती हैं. वाक्य में प्रथम क्रिया मुख्य होती हैं. और दूसरी क्रिया रंजक होती हैं.

उदाहरण: पिताजी बाजार से आ गए.

उपयुक्त वाक्य में ‘आ’ मुख्य क्रिया हैं. ‘गए’ शब्द रंजक क्रिया हैं. दोनों को मिलकर वाक्य में विशेष अर्थ निकलता हैं.

सामान्य क्रिया

जब किसी वाक्य में सिर्फ एक क्रिया का बोध होता हैं. तो उसे सामान्य क्रिया कहा जाता हैं.

उदाहरण: तुम पढ़ो.

उदाहरण: मोहन चलो.

पूर्वकालिन क्रिया

जब किसी वाक्य में एक क्रिया समाप्त हो चुकी होती हैं. और कर्ता किसी अन्य क्रिया को करता हैं. तो पहली वाली क्रिया को पूर्वकालिन क्रिया कहा जाता हैं.

उदाहरण: पुजारी ने नहाकर पूजा की.

उपयुक्त वाक्य में पुजारी ने पहले नहाया हैं. उसके बाद में पूजा की. अर्थात एक क्रिया पूर्ण हो गई हैं. अंत पहली क्रिया ‘नहाना’ पूर्वकालिन क्रिया हैं.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (kriya ke kitne bhed hote hain – kriya ki paribhasha – क्रिया की परिभाषा – अकर्मक क्रिया और सकर्मक –) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको क्रिया और क्रिया के भेद या प्रकार के बारे में सरल भाषा में समझाना हैं. विभिन्न परीक्षाओ की दृष्टि से यह ज्ञान अति-आवश्यक हैं. वाक्य में कार्य का बोध कराने वाले शब्द क्रिया कहलाते हैं.

आपको ये आर्टिकल कैसा लगा. ये हमे तभी पता चलेगा जब आप हमें निचे कमेंट करके बताएगे. इस ज्ञान को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक फैलाए. ज्यादा से ज्यादा लोगो तक क्रिया और क्रिया के प्रकार या भेद के सम्बन्धित ज्ञान को पहुचाए. धन्यवाद.

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