लिंगायत संप्रदाय की जाति के संबंध में क्या धारणा थी – lingayat caste in hindi – कर्नाटक की अगड़ी जातियों में लिंगायत संप्रदाय की गिनती होती हैं. कर्नाटक में 18 प्रतिशत लिंगायत संप्रदाय मौजूद हैं. इसके अलावा आंध्रप्रदेश, तेलंगाना तथा महाराष्ट्र में भी लिंगायत संप्रदाय की अच्छी खासी आबादी रहती हैं.
इस संप्रदाय की स्थापना बासवन्ना नामक ब्राह्मण ने की थी. उन्होंने अपने समय में काफी ऐसी धार्मिक बुराइयाँ मिटाकर एक नए धर्म की स्थापना की थीं. जो आज लिंगायत संप्रदाय से जाना जाता हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की लिंगायत संप्रदाय की जाति के संबंध में क्या धारणा थी. इसके अलावा लिंगायत संप्रदाय की जानकारी तथा लिंगायत संप्रदाय के संस्थापक के बारे में भी बताने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
लिंगायत संप्रदाय की जाति के संबंध में क्या धारणा थी
बासवन्ना लिंगायत संप्रदाय के प्रणेता माने जाते हैं. उन्होंने ही इस संप्रदाय की स्थापना की थी. वैसे तो बासवन्ना का जन्म हिंदू धर्म में हुआ था. लेकिन हिंदू धर्म में कुछ नियम उन्हें बुरे लगते थे. उन्होंने हिंदू धर्म में देखा की हिंदू धर्म के पढ़े लिखे ब्राह्मण ही बुरे काम करते हैं. जो काम दूसरी जाति तथा बीना पढ़े लोगो के लिए आसान हैं.
यह सभी बातों तथा बुराई को ध्यान में रखते हुए उन्होंने हिंदू धर्म से कुछ अच्छी-अच्छी बातें लेकर एक नए संप्रदाय लिंगायत संप्रदाय की स्थापना की.
लिंगायत संप्रदाय के लोग वेदों तथा मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करते हैं. यह लोग न तो वेदों को मानते है और ना ही मूर्ति पूजा करते हैं. लिंगायत संप्रदाय के लोग भगवान शिव की पूजा नहीं करते हैं. लेकिन इष्टलिंग जो अंडे जैसे आकार का होता हैं. उसे अपने शरीर पर धारण करते हैं. इष्टलिंग को लिंगायत संप्रदाय के लोग आंतरिक चेतना का प्रतीक मानकर अपने शरीर पर धारण करते हैं.
लिंगायत संप्रदाय के लोग अगले जन्म तथा पूर्व जन्म को भी नहीं मानते हैं. इनका मानना है की मनुष्य का सिर्फ एक ही जीवन होता हैं. और कोई भी मनुष्य अपने कर्म से अपने जीवन को स्वर्ग या नरक बनाता हैं.
लिंगायत संप्रदाय में शव को जलाया नहीं बल्कि दफनाया जाता हैं. जब इनके संप्रदाय में किसी व्यक्ति की मृत्यु होती हैं. तब शव को बैठा कर लकड़ी तथा कपडे आदि से बांधकर मुक्ति धाम तक ले जाया जाता हैं. और उसके पश्चात शव को दफनाया जाता हैं.
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लिंगायत संप्रदाय की जानकारी / lingayat caste in hindi
जैसे की हमने ऊपर बताया की लिंगायत संप्रदाय के लोग हिंदू धर्म से अलग नियमो का पालन करते हैं. यह लोग भगवान शिव की पूजा नहीं करके एक इष्टलिंग अपने शरीर पर धारण करते हैं.
इसके अलावा इनकी सबसे अधिक आबादी कर्नाटक में पाई जाती हैं. तथा आसपास के तेलंगाना, महाराष्ट्र तथा आंध्रप्रदेश में भी लिंगायत संप्रदाय की काफी आबादी हैं. इस संप्रदाय की परंपरा हिंदू धर्म से काफी अलग हैं.
लिंगायत संप्रदाय के प्रणेता बासवन्ना जन्मे तो हिंदू धर्म में थे. लेकिन उनको हिंदू धर्म की कुछ बाते अच्छी नहीं लगती थी. इस कारण उन्होंने एक नए संप्रदाय लिंगायत संप्रदाय की स्थापना की. लिंगायत संप्रदाय के लोग नीचे दी गई कुछ बातों को मानते हैं.
जैसे की –
- हत्या नहीं करना
- गुस्से से दूर रहना
- चोरी नही करना
- झूट नही बोलना
- अहंकार से दूर रहना
- एक दुसरे की मदद करना
- दुखों का सामना करना
लिंगायत धर्म में इन सभी बातों का विशेष ध्यान रखा जाता हैं. और इस संप्रदाय के लोग इन सभी बातों का पालन भी करते हैं.
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लिंगायत संप्रदाय के संस्थापक / Lingayat sampraday ke sansthapak
बासवन्ना जिनका जन्म कर्नाटक में ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्होंने ही लिंगायत संप्रदाय की स्थापना की थी.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की लिंगायत संप्रदाय की जाति के संबंध में क्या धारणा थी. इसके अलावा लिंगायत संप्रदाय की जानकारी भी प्रदान की हैं.
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दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह लिंगायत संप्रदाय की जाति के संबंध में क्या धारणा थी आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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