प्रतिवेदन से आप क्या समझते हैं | प्रतिवेदन का अर्थ, प्रकार, विशेषताएँ, महत्व

प्रतिवेदन से आप क्या समझते हैं | प्रतिवेदन का अर्थ, प्रकार, विशेषताएँ, महत्व –  दोस्तों आज हम जानेगे की प्रतिवेदन क्या होता हैं और इस से जुडी सभी जानकारी आपको इस आर्टिकल में प्रदान करेंगे. प्रतिवेदन शब्द का प्रति उपसर्ग और विद धातु के योग से बना हुआ हैं. प्रतिवेदन का अर्थ संपूर्ण जानकरी होता हैं. जिसकी परिभाषा भूतकाल या वर्तमान की विशेष प्रसंग, घटना या विषय के मुख्य कार्यो का संक्षिप्त और क्रमबद्ध रूप से विवरण देना प्रतिवेदन कहा जाता हैं.

दोस्तों आज हम प्रतिवेदन के बारे में थोड़ी विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे. जिसमे हम आपको प्रतिवेदन का अर्थ और प्रतिवेदन लिखते समय किस चीजों का विशेष ध्यान देना चाहिए तथा इसके महत्व के बारे में जानेगे.

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प्रतिवेदन से आप क्या समझते हैं

प्रतिवेदन का मतलब होता है की भुत या वर्तमान में हुए कुछ प्रसंग, घटना और विषय का संक्षिप्त रूप में और क्रमबद्ध तरीके से विवरण देना. वह लिखित सामग्री जिससे किसी कार्य योजना, घटना और समारोह आदि के बारे में प्रत्यक्ष छानबीन करके या देखकर तैयार की गई रिपोर्ट को ही प्रतिवेदन कहते हैं. प्रतिवेदन से हम घटना, प्रसंग तथा विषय के बारे संक्षिप्त रूप में समझ सकते हैं.

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प्रतिवेदन का अर्थ

प्रतिवेदन का अर्थ प्रति+विद यह शब्द जोड़ने से बनता हैं. जिसका मतलब होता हैं समस्त यानी की संपूर्ण जानकारी. प्रतिवेदन में संपूर्ण जानकारी के साथ साथ कुछ विभिन्न सुझाव और संतोषजनक जवाब भी दिया जाता हैं.

जैसे की विश्वभर में कुछ ना कुछ घटनाए होती रहती हैं. जिसे जानने के लिए हम इच्छुक होते हैं. जिस घटनाओ को छानबीन और निरीक्षण करने की जरूरत होती हैं. यह सभी छानबीन और निरीक्षण का कार्य सरकारी या गैर सरकारी संस्था द्वारा किया जाता हैं. या फिर उनके द्वारा नियुक्त किया हुआ कोई व्यक्ति के द्वारा भी किया जा सकता हैं. ऐसे व्यक्ति के द्वारा दिए जाने वाला संपूर्ण विवरण ही प्रतिवेदन से जाना जाता हैं.

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प्रतिवेदन लिखते समय किन बातो का ध्यान रखना चाहिए

प्रतिवेदन लिखते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए. जो निम्नलिखित हैं:

  • प्रतिवेदन हमेशा संक्षिप्त रूप में होना चाहिए.
  • प्रतिवेदन का शीर्षक स्पष्ट एवं शिष्ट होना जरुर हैं.
  • प्रतिवेदन की भाषा साफ साफ और सरल होनी चाहिए.
  • प्रतिवेदन का शीर्षक ऐसा होना चाहिए जो मुख्य विषय को रेखांकित करता हो.
  • प्रतिवेदन में विवेकपूर्ण भाषा का उपयोग हो यह ध्यान देना जरूरी हैं.
  • घटना और प्रसंग जब भी हुआ हो उसकी तिथि और समय की जानकारी देना जरूरी हैं.
  • प्रतिवेदन में सिर्फ महत्वपूर्ण तथ्यों को ही लिखा जाना चाहिए.
  • कोई घटना की छानबीन की मुख्य बाते जरुर लिख लेनी चाहिए.
  • प्रतिवेदन क्रमानुसार ही लिखना चाहिए.

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प्रतिवेदन के प्रकार

प्रतिवेदन के तिन प्रकार हैं. जो निम्नलिखित हैं.

  • व्यक्तिगत प्रतिवेदन: इस प्रतिवेदन में व्यक्ति अपने पुरे जीवन के बारे में लिख सकता हैं. जिसमें वह अपने पुरे दिन का ब्यौरा भी लिख सकता हैं. यह प्रतिवेदन कभी कभी डायरी का रूप भी ले लेता हैं.
  • संघठ्नात्मक प्रतिवेदन: इस प्रतिवेदन में किसी सभा, संस्था या बैठक में हुए कार्य के बारे में विवरण दिया जाता हैं. इस प्रतिवेदन में व्यक्ति अपने बारे कुछ नही लिखकर संगठन या संस्था से संबंधित संपूर्ण जानकारी लिखता हैं.
  • विवरणात्मक प्रतिवेदन: इस प्रतिवेदन में किसी सभा, रैली, यात्रा या मेले के बारे में विवरण देना होता हैं. इस प्रतिवेदन में प्रतिवेदन लिखने वाला व्यक्ति सच्चाई से और उचित विवरण देना होता हैं.

प्रतिवेदन की विशेषताएँ क्या होती है

किसी भी प्रतिवेदन की निम्नलिखित विशेषताए होती है:

  • प्रतिवेदन में किसी घटना या विषय के बारे में प्रमुख बाते ही लिखी जाती हैं.
  • प्रतिवेदन में बाते क्रमानुसार और संक्षिप्त रूप में लिखी जाती हैं.
  • प्रतिवेदन में बाते विस्तारपूर्वक कभी नहीं लिखनी चाहिए.
  • प्रतिवेदन में सरल भाषा का उपयोग होना चाहिए. जिससे सामने वाला व्यक्ति सरलता से समझ सके.
  • प्रतिवेदन में सच्ची बातो का विवरण लिखा जाता हैं. जिसमे कल्पना, पक्षपात और भावनाओ को स्थान नहीं देना चाहिए.
  • प्रतिवेदन में कोई भी बाते ऐसी नहीं लिखनी चाहिए. जिसमे संदेह पैदा हो जो भी विवरण प्रतिवेदन में लिखा जाता है वह सच्च और साफ-साफ होना चाहिए.

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प्रतिवेदन का महत्व

प्रतिवेदन में भुत या वर्तमान के समय में हुई घटना, प्रसंग या विषय को मध्य रख के उनके बारे में लिखा जाता हैं. यह पूरी घटना और प्रसंग को संक्षिप्त रूप में लिखा जाता हैं. जिससे सामने वाले व्यक्ति को समझने में सरलता होती हैं. प्रतिवेदन में लेखक अपने मन की कुछ नहीं लिखता हैं. जो छानबीन और निरीक्षण करने के बाद देखा सुना वही प्रतिवेदन में लिखा जाता हैं.

प्रतिवेदन लिखने वाला व्यक्ति पूरी जाँच के बाद जो परिणाम निकला उसी के बारे में वह प्रतिवेदन में लिखते हैं. जब कोई विषय, मुद्दा, मामला समान्य लोगो के विरुद्ध में हो जाता है तभी ऐसे मामलो में छानबीन करने की आवश्यकता होती हैं. ऐसी परिस्थिति में प्रतिवेदन की जरूरत पड़ती हैं.

निष्कर्ष

दोस्तों भुत और वर्तमान में हुई घटना और प्रसंग के बारे में छानबीन और निरीक्षण करके जो विवरण दिया जाता हैं. उसे ही प्रतिवेदन कहा जाता हैं. इस आर्टिकल (प्रतिवेदन से आप क्या समझते हैं | प्रतिवेदन का अर्थ, प्रकार, विशेषताएँ, महत्व) में हमने आपको प्रतिवेदन का अर्थ, प्रकार, महत्व एवं विशेषता के बारे में बताया. आशा करते हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी.

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