राष्ट्रीय गान किसने लिखा हैं | राष्ट्रगान का अर्थ, इतिहास, महत्त्व और नियम – दोस्तों विश्व के हर एक देश का एक राष्ट्रीय गान होता हैं. वैसे ही हमारे भारत देश का राष्ट्रीय गान भी हैं. हमारे देश का राष्ट्रीय गान जन-गण-मन हैं. यह राष्ट्रीय गान के रचयिता कौन हैं और इस गान के इतिहास के बारे में आज हम चर्चा करेंगे. तो चलो जानते हैं भारत देश के राष्ट्रीय गान के बारे में थोडा विस्तृत पूर्वक जानकारी.
राष्ट्रीय गान किसने लिखा हैं
हमारे भारत देश का राष्ट्रीय गान जन-गण-मन हैं. जिसे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बंगाली भाषा में लिखा हैं. राष्ट्रीय गान का अनुवाद बंगाली से हिंदी और उर्दू में आबिद अली ने किया था.
राष्ट्रगान का अर्थ क्या है
राष्ट्रगान का अर्थ समझने से पहले हमें यह समझना होगा की राष्ट्रगान में उपयोग किए गए शब्दों का हिंदी में क्या अर्थ होता है. तो राष्ट्रगान के साथ शब्दों का हिंदी में अर्थ निम्नलिखित हैं.
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जन-गण-मन अधिनायक जय हैं, भारत भाग्य विधाता, पंजाब सिंधु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग, विंध्य हिमाचल यमुना गंगा, उच्चछल जलधि तरंग, तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशीष मांगे, गाहे तव जय गाथा, जन-गण-मंगलदायक जय हैं भारत भाग्य विधाता, जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय हे
- जन – लोग
- गण – समूह
- मन – दिमाग
- अधिनायक – नेता
- जय हे – जीत
- भाग्य – किस्मत
- विधाता – ईश्वर
- पंजाब – पंजाब
- सिंधु – सिंधु
- गुजरात – गुजरात
- मराठा – मराठा (महाराष्ट्र)
- द्राविड – दक्षिण
- उत्कल – उड़ीसा
- बंगा – बंगाल
- विंध्य – विंध्याचल
- हिमाचल – हिमालय
- उच्चछल – गतिमान
- जलधि – समुद्र
- तरंगा – लहरें
- तव – तुम्हारा
- शुभ – मंगल
- नामे – नाम
- जागे – जागो
- आशिष – आशीर्वाद
- मांगे – पूछो
- गाहे – गाओ
- गाथा – गीत
- दायक – दाता
- जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे – विजय, विजय, विजय, विजय हमेशा के लिए
जन गण मन के उस अधिनियम की जय हो जो भारत के भाग्य के भाग्य विधाता हैं. उनके नाम को सुनकर पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा, द्राविड, उत्कल, बंगाल, विंध्य हिमाचल, यमुना, गंगा पर बसे लोगो के मन को मोहित करने वाली तरंगे उठने लगे. सब लोग आपके पवित्र नाम पर जाग उठते हैं. सब लोग आपके पवित्र आशीर्वाद पाने की चाहना रखते हैं. सब तुम्हारे जयगाथाओ का गुणगान करते हैं. जनगण के मंगलदायक की जय हो. हे भारत के भाग्यविधाता विजय हो विजय हो विजय हो तुम्हारी हमेशा विजय हो.
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राष्ट्रीय गान का इतिहास
राष्ट्रीय गान जन-गण-मन के रचयिता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर हैं. जिन्होंने बंगाली भाषा में राष्ट्रीय गान लिखा था. उनका अनुवाद हिंदी और उर्दू में आबिद अली द्वारा किया गया था. 24 जनवरी सन 1950 में संविधान सभा ने जन-गण-मन को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया. 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार गाया गया था.
राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड का समय लगता हैं तथा इसके लघु संस्करण को कई अवसरों पर गाया जाता हैं. जिसमे राष्ट्रगान की प्रथम एवं अंतिम पंक्ति को ही गाया जाता हैं जिसमे 20 सेकेंड का समय लगता हैं.
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राष्ट्रगान का महत्त्व
राष्ट्रगान देश के नागरिको को में एकता का भाव जगाता हैं और उन्हें एकजुट करने में मदद करता हैं. विश्व में सभी देश का अपना अपना राष्ट्रगान होता हैं. राष्ट्रगान राष्ट्र के लोगो की परंपरा, मान्यता और इतिहास का प्रतिनिधित्व करता हैं. राष्ट्रगान देश के नागरिक में देशभक्ति की भावना जगाने में मदद करता हैं.
राष्ट्रगान गाने के नियम
राष्ट्रगान गाने के नियम निम्नलिखित हैं
- सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमा होल में फिल्म दिखाने के पहले राष्ट्रगान बजाना और राष्ट्रगान के सम्मान में फिल्म देखने आए सभी दर्शक को खड़ा होना अनिवार्य कर दिया हैं.
- शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रगान होने के पश्चात ही दिन की शुरुआत करनी चाहिए.
- राष्ट्रगान का उच्चारण सही से होना जरूरी हैं. इसे 52 सेकंड की अवधि में गाना जरूरी हैं और इसके संक्षिप्त रूप को 20 सेकंड की अवधि में गाना जरुरी हैं.
- राष्ट्रगान जब भी गाया जाता हैं तब सावधान की मुद्रा में खड़ा रहना जरूरी हैं.
- राष्ट्रगान जब गाया जाता है तब शांति से बोले बिना खड़ा रहना हैं. जब भी राष्ट्रगान चल रहा हो उस समय आसपास अन्य कोई ध्वनि या संगीत एवं शोर गुल नहीं होना चाहिए.
- राष्ट्रगान के लिए अशोभनीय भाषा का उपयोग नहीं करना चाहिए.
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प्रश्नोत्तर
सबसे बड़ा राष्ट्रगान किस देश का हैं?
सबसे बड़ा राष्ट्रगान ग्रीक देश का हैं.
राष्ट्रगान गाने का समय कितना हैं?
राष्ट्रगान गाने का समय 52 सेकंड हैं और इसके संक्षिप्त रूप जिसमे प्रारंभ की और अंतिम की कडियाँ गाई जाती हैं जिसे 20 सेकंड का समय लगता हैं.
राष्ट्रीय गीत कौनसा हैं?
वन्दे मातरम भारत का राष्ट्रीय गीत हैं. जिसके लेखक बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय हैं.
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निष्कर्ष
दोस्तों इस आर्टिकल ( राष्ट्रीय गान किसने लिखा हैं | राष्ट्रगान का अर्थ, इतिहास, महत्त्व और नियम ) में आज हमने आपको बताया की हमारे देश का राष्ट्रगान जन-गण-मन हैं. और इसके लेखक गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर हैं. तथा राष्ट्रगान गाया जाय तब किस नियम का पालन करना यह भी बताया. तथा राष्ट्रगान का अर्थ, महत्व और इतिहास के बारे में आपके साथ चर्चा की आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी.
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