Prithviraj raso kiski rachna hai | पृथवीराज रासो की जानकारी | क्या पृथ्वीराज रासो प्रमाणिक रचना है

Prithviraj raso kiski rachna hai | पृथवीराज रासो की जानकारी | क्या पृथ्वीराज रासो प्रमाणिक रचना है – भारत भूमि पर अनेक वीर पुत्र हुए. जिनके शौर्य और पराक्रम की आज तक बात की जाती है. ऐसा ही शौर्य और पराक्रम का दूसरा नाम पृथ्वीराज चौहान थे. जिन्होंने माँ भूमि के लिए अनेक युद्ध लड़े और अपने पराक्रम से विदेशी ताकतों को धुल चटा दी . इस आर्टिकल में हम पृथ्वीराज चौहान की जीवन कथा पृथ्वीराज रासो के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे.

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पृथ्वीराज रासो किसकी रचना हैं | Prithviraj raso kiski rachna hai

पृथ्वीराज रासो के कवि चंदबरदाई हैं. वह हिंदी ब्रज भाषा के सबसे पहले कवि माने जाते हैं. और पृथ्वीराज रासो ब्रज भाषा का सबसे पहला महाकाव्य माना जाता हैं. इस महाकाव्य में पृथ्वीराज चौहान के जीवन का वर्णन किया हैं.

चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के बचपन के मित्र और उनके राज्य में राजकवि थे. इसलिए उन्होंने जो पृथ्वीराज रासो में पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया है. वह प्रत्यक्षदर्शी के भाँति किया हैं.

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पृथ्वीराज रासो का परिचय एवं जानकारी

पृथ्वीराज चौहान का राज्य सन 1178-1192 के दौरान अजमेर से दिल्ली तक था. वह चौहान वंश के क्षत्रिय राजा थे. पृथ्वीराज रासो हिंदी भाषा में लिखा हुआ  हैं. चंदबरदाई द्वारा लिखा गया यह महाकाव्य में चौहान वंश के क्षत्रिय राजा पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर आधारित हैं. जिसमें राजा के जीवन और चरित्र का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है.

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पृथ्वीराज रासो एक रासो परंपरा का काव्य है. लेकिन इस महाकाव्य में चरित्र काव्य और आख्यायिक गुण भी शामिल हैं. यह पिंगल शैली में लिखा गया हैं. जो ब्रज भाषा का ऐसा रूप हैं. जिसमें राजस्थानी भाषा मिश्रित हैं. इस महाकाव्य में श्रृंगार और वीर दोनों रस मिलते हैं. फिर भी इसे वीररस का ही महाकाव्य माना जाता हैं.

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पृथ्वीराज रासो ढाई हजार पृष्ठ का बहुत बड़ा ग्रन्थ हैं. जिसमें 69 अध्याय शामिल हैं. और इस अध्याय को समय कहा जाता हैं. इस ग्रन्थ में दस हजार से अधिक छंद हैं. जिसमें 72 प्रकार के छंद का उपयोग किया गया हैं. और मुख्य छंद के रूप में कवित, दोहा, त्रोटक, तोमर गाहा जैसे छंद शामिल हैं.

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पृथ्वीराज रासो ग्रंथ को पांच कथानक में विभाजित किया जा सकता हैं. जो निम्नलिखित हैं.

  • दिल्ही के राजा अनंगपाल की पुत्री का अजमेर के राजा सोमेश्वर के साथ विवाह होना.
  • पृथ्वीराज चौहान को उनके द्वारा पृथ्वीराज को गोद लेना.
  • पृथ्वीराज चौहान की रानी संयोगिता का हरण.
  • पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बिच लड़ाई
  • और पाँचवा कथानक पृथ्वीराज चौहान के शब्दभेदी बाण द्वारा मोहम्मद गौरी की मृत्यु

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पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय एवं इतिहास

महान शासक पृथ्वीराज चौहान 12 वी सदी में उत्तर भारत के अजमेर और दिल्ही के राजा थे. पृथ्वीराज चौहान के जन्म को लेकर इतिहासकारों में अलग अलग मंतव्य हैं. पृथ्वी राज्य महाकाव्य के अनुसार उनका जन्म 1 जून 1163 को गुजरात राज्य के पाटन में हुआ था. वही कुछ इतिहासकारो का मान ना हैं की उनका जन्म 1168 में अजमेर के राजा सोमेश्वप चौहान और माता कर्पुरदेवी के यहाँ गुजरात में हुआ.

पृथ्वीराज रासो के अनुसार पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण चलाने में माहिर थे. पृथ्वीराज रासो के अनुसार पृथ्वीराज चौहान की शादी 11 साल की उम्र में हुई थी. उसके बाद वह 22 साल के हुए तब तक उनकी हर साल शादिया होती रही. उसके बाद जब वह 26 साल के हुए तो उनकी शादी संयोगिता के साथ हुई.

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इस हिसाब से उनकी 12 रानिया थी लेकिन पृथ्वीराज रासो में पांच रानियों का जिक्र किया हुआ हैं. वह पांच रानिया जम्भावती, इच्छनी, यादवी शशिव्रता, हंसावती और संयोगिता इन पांच के नाम ही हैं.

संयोगिता कन्नोज के राजा जयचंद की बेटी थी. और पृथ्वीराज चौहान ने संयोगिता को उठा लिया और भाग के गंधर्व विवाह किया था. यह बात संयोगिता के पिता जयचंद पसंद नहीं आई थी.

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चंदबरदाई और पृथ्वीराज चौहान बचपन के मित्र थे. उस समय पृथ्वीराज चौहान का साम्राज्य बहुत तेजी से बढ़ रहा था. तभी एक मुस्लिम शासक मोहम्मद गौरी की नजर दिल्ही पर पड़ी. और उसने कई बार आक्रमण किए. पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को सत्तरा बार पराजित किया. और काफी बार उसे माफ़ करके छोड़ भी दिया. लेकिन अठारवी बार मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया और बंधी बनाकर अपने साथ ले गया.

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चंदबरदाई और पृथ्वीराज चौहान दोनों ही बंधी बना दिए गए. और सजा के रूप में पृथ्वीराज की आंखे गर्म सलाखों से फोड़ दी गई. फिर भी पृथ्वीराज ने हिम्मत नहीं हारी और गौरी को मात देने की तैयारी कर ली. जब गौरी द्वारा पृथ्वीराज को उनकी अंतिम इच्छा पूछी गई. तो उन्होंने अपनी शब्दभेदी बाण छोड़ने की कला प्रस्तुत करने की इच्छा बताई.

जब राजभवन में कला प्रस्तुति का दिन था. तब भरी महफिल में पृथ्वीराज ने शब्दभेदी बाण की कला से गौरी को मार डाला. एवं गौरी के मरने के बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने अपनी दुर्गति से बचने के खातिर एक दुसरे की हत्या कर दी. इस तरह पृथ्वीराज ने अपने अपमान का बदला लिया. वहा जब संयोगिता को पृथ्वीराज के मरने की खबर मिली तो उसने भी अपने प्राण त्याग दे दिया.

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क्या पृथ्वीराज रासो प्रमाणिक रचना है?

पृथ्वीराज रासो इसका इतिहास और प्रमाणिकता विवादास्पद माना जाता है. इतिहासकारों के मंतव्य इस बारे में अलग अलग हैं.

पृथ्वीराज रासो में कितने छंद है?

पृथ्वीराज रासो में दस हजार से भी अधिक छंद हैं. और ढाई हजार पृष्ठ के इस ग्रंथ में 69 अध्याय हैं.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल ( Prithviraj raso kiski rachna hai | पृथवीराज रासो की जानकारी | क्या पृथ्वीराज रासो प्रमाणिक रचना है) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको पृथ्वीराज रासो के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. पृथ्वीराज रासो के कवि चंदबरदाई हैं. वह हिंदी ब्रज भाषा के सबसे पहले कवि माने जाते हैं. और पृथ्वीराज रासो ब्रज भाषा का सबसे पहला महाकाव्य माना जाता हैं. इस महाकाव्य में पृथ्वीराज चौहान के जीवन का वर्णन किया हैं.

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