पृथ्वीराज चौहान का इतिहास
पृथ्वीराज तृतीय चौहान वंश के राजा थे. उनका जन्म वर्तमान के राजस्थान के अजमेर में हुआ था. उनका राज्य आज के राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक फैला था. उनके राज्य की राजधानी अजयमेरु (अजमेर) थी. शुरूआती दौर में पृथ्वीराज चौहान ने पड़ोसी हिन्दू राजाओ के साथ युध्द करके विजय हासिल की थी. जिसमे चंदेल राजा परमर्दिदेव के खिलाफ युध्द और विजय मुख्य हैं.
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पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी की बिच कही बार युध्द हुए थे. प्रत्येक युध्द में गौरी को पराजित किया और उसे माफ़ करके छोड़ दिया. अंतिम युद्ध में गौरी पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर दिल्ली ले गया. और उनकी आँखे फोड़ दी थी. इसके बाद संभा के अन्दर सभी लोगो के बिच में पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण विधा से गौरी की हत्या कर दी थी.
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पृथ्वीराज चौहान के घोड़े का नाम क्या है?
पृथ्वीराज चौहान के घोड़े का नाम नत्यरंभा था.
पृथ्वीराज चौहान प्राम्भिक जीवन
पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1178 में अजमेर के महाराजा सोमेश्वर के घर हुआ था. इनके माताजी का नाम कपूरी देवी था. पृथ्वीराज चौहान जब 11 साल के थे. तभी उनके पिताजी का स्वर्गवास हो गया था. अंत पृथ्वीराज चौहान को अपनी माता जी के साथ राजगद्दी पर बैठा दिया गया. क्योंकि वह बाल्य अवस्था में थे. उन्होंने बचपन में ही युध्द विधा सिख ली थी. वह शब्दभेदी बाण चलाने में प्रवीन थे.
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पृथ्वीराज चौहान की 13 रानिया थी. लेकिन चौहान और रानी संयोगिता के प्रेम प्रसंग की कहानिया आज भी बहुत प्रसिध्द हैं. पृथ्वीराज चौहान ने संयोगिता को उनके इच्छा के अनुसार स्वंयवर से अपहरण करके लाया था. संयोगिता के पिता का नाम जयचंद्र था. जयचंद्र पृथ्वीराज चौहान से बहुत घृणा करता था. इसी कारण जयचंद्र ने पृथ्वीराज चौहान को स्वयंवर में आमंत्रित नहीं किया था. लेकिन पृथ्वीराज ने संयोगिता का अपहरण करके दिल्ली के गए. और वह दोनों ने शादी कर ली थी.
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निष्कर्ष
इस आर्टिकल को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको पृथ्वीराज चौहान के बारे में जानकारी देना हैं. इस आर्टिकल में हमने संक्षिप्त में पृथ्वीराज चौहान के प्राम्भिक जीवन और इतिहास को बताया हैं. इनके घोड़े का नाम नत्यरंभा था. भारत भूमि सदैव ऐसे वीर योध्दाओ को स्मरण करती रहेंगी. जिन्होंने ने अपने प्राणों का त्याग कर अपने जन्म भूमि की रक्षा की थी.
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