रोला छंद का सरल उदाहरण / रोला छंद की परिभाषा – सम्पूर्ण जानकारी

रोला छंद का सरल उदाहरण / रोला की परिभाषा (rola chhand ka saral udaharan – rola ki paribhasha) – हिंदी साहित्य की विरासत बहुत बड़ी और पुरानी हैं. हिंदी साहित्य में समय समय पर समाज को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग किया हैं. अनेक कवियों और विद्वानों ने हिंदी साहित्यों को आज तक सजग रखा हैं. इस आर्टिकल में हम हिंदी छंद के एक महत्वपूर्ण भाग रोला छंद और रोला छंद के सरल उदाहरन के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं.

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छंद क्या हैं?

हिंदी साहित्य में छंद का महत्वपूर्ण स्थान हैं. हिंदी साहित्य में छंद के द्वारा गद्य में वर्णों, मात्राओ, गनणा, और गति का प्रयोग किया जाता हैं. अर्थात गद्य में जो मात्राओ और वर्णों की गणना होती हैं. उसे ही छंद कहा जाता हैं.

छंद के चार भेद होते हैं:

  • वर्णिक छंद
  • मात्रिक छंद
  • वर्णिक वृत छंद
  • मुक्त छंद

छंद के भेद और प्रकार के बारे में अत्यधिक जानकारी के लिए निचे लिंक पर क्लिक करे.

छन्द किसे कहते हैं? -छंद के भेद कितने होते हैं?

रोला छंद किसे कहते हैं? – रोला की परिभाषा

रोला एक प्रकार का छंद हैं. रोला छंद में कुल 24 मात्राए होती हैं. इस प्रकार के छंद में सम चरणों (जैसे: दूसरी और चौथी) में प्रत्येक चरण में 13 मात्राए होती हैं. और विषम चरणों (जैसे: पहली और तीसरी) में प्रत्येक चरण में 11 मत्राए होती हैं. रोला छंद एक मात्रिक छंद हैं.

रोला छंद में ग्यारवी और तेहरवी मात्रा के बाद विराम होता हैं. अंत में दो ‘गुरु’ होने चाहिए.

रोला छंद का सरल उदाहरण क्या हैं? (rola chhand ka saral udaharan)

निचे रोला छंद के सरल उदाहरण दिए गए हैं.

उदाहरण 1:

यही सयानो काम, राम को सुमिरन कीजै।
पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै॥

उदाहरण 2:

उठो–उठो हे वीर, आज तुम निद्रा त्यागो।
करो महा संग्राम, नहीं कायर हो भागो।।
तुम्हें वरेगी विजय, अरे यह निश्चय जानो।
भारत के दिन लौट, आयगे मेरी मानो।।

उदाहरण 3:

सब होवें संपन्न, सुमन से हँसें-हँसाये।

दुखमय आहें छोड़, मुदित रह रस बरसायें॥

भारत बने महान, युगों तक सब यश गायें।

अनुशासन में बँधे रहें, कर्त्तव्य निभायें॥

उदाहरण 4:

भाव छोड़ कर, दाम, अधिक जब लेते पाया।

शासन-नियम-त्रिशूल झूल उसके सर आया॥

बहार आया माल, सेठ नि जो था चांपा।

बंद जेल में हुए, दवा बिन मिटा मुटापा॥

उदाहरण 5:

रोला को लें जान, छंद यह- छंद-प्रभाकर।

करिए हँसकर गान, छंद दोहा- गुण-आगर॥

करें आरती काव्य-देवता की- हिल-मिलकर।

माँ सरस्वती हँसें, सीखिए छंद हुलसकर॥

उदाहरण 6:

उठो–उठो हे वीर, आज तुम निद्रा त्यागो।
करो महा संग्राम, नहीं कायर हो भागो।।
तुम्हें वरेगी विजय, अरे यह निश्चय जानो।
भारत के दिन लौट, आयगे मेरी मानो।।

उदाहरण 7:

नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर है।

सूर्य-चन्द्र युग-मुकुट, मेखला रत्नाकर है।।

नदियाँ प्रेम-प्रवाह, फूल तारा-मंडल है।

बंदीजन खगवृन्द, शेष-फन सिंहासन है।।

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (रोला छंद का सरल उदाहरण – रोला की परिभाषा (rola chhand ka saral udaharan – rola ki paribhasha) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको रोला छन्द और रोला छन्द के उदाहरण के बारे में सरल भाषा में ज्ञान देना हैं. इस आर्टिकल में हमने रोला छन्द के अनेक सरल उदाहरण का समावेश किया हैं. जिससे आपको रोला छन्द समझने में सहायता मिले.

आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद.

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