वयस्क मताधिकार क्या है | सार्वभौमक मताधिकार क्या है | वयस्क मताधिकार क्यों जरुरी है | पक्ष और विपक्ष के तर्क | वयस्क मताधिकार की विशेषताए – किसी भी लोकतान्त्रिक देश में देश के नागरिक ही देश की शासन तंत्र को चलाते है. क्षेत्र की जनता अपने प्रतिनिधित्व को संसद में भेजती है. और सांसद अपने क्षेत्र की जनता के मुद्दों को संसद में उठाता है. इसलिए सीधे तौर पर नहीं लेकिन लोकतंत्र में जनता ही शासन को चलाती है. इसलिए अपने मत का सही उपयोग करना लोकतंत्र शासन प्रणाली बहुत महत्वपूर्ण है.
लेकिन आपको पता है की वयस्क मताधिकार क्या होता है. और वयस्क मताधिकार लोकतंत्र को बनाए रखने में क्यों जरुरी है. तो इस आर्टिकल में हम वयस्क मताधिकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेगे. और इसके साथ ही इसके पक्ष और विपक्ष के तथ्य भी जानेगे.
वयस्क मताधिकार क्या है | सार्वभौमिक मताधिकार क्या है
वयस्क मताधिकार को सार्वभौमिक मताधिकार भी कहा जाता है. वयस्क मताधिकार से तात्पर्य एक ऐसी पद्धति से जो समान रूप से देश के सभी नागरिको को एक निश्चित आयु के बाद बिना किसी धर्म, जाति, रंग, संपति, और लिंग के भेदभाव करते हुए मत करने का और प्रजातंत्र में अपनी खुद की सरकार चुनने का अधिकार प्राप्त कराती हो.
हमारे देश के संविधान के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक 18 वर्ष की आयु के बाद व्यस्क माना जाता है. इसलिए हमारे देश में प्रत्येक व्यक्ति को 18 वर्ष की आयु के बाद बिना किसी भेदभाव के वोट देने का अधिकार होता है. और इससे आपको कोई भी वंचित नहीं कर सकता है. यह अधिकार भारतीय संविधान के अनुसार नागरिको के मौलिक अधिकार में भी गिना जाता है.
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अन्य देशों में मताधिकार की आयु
हमारे देश में व्यस्क मताधिकार की आयु 18 वर्ष है. 18 वर्ष की आयु के बाद प्रत्येक भारतीय को मत देने का अधिकार होता है. इसी प्रकार संसार के अन्य देशों में भी वयस्क मताधिकार के लिए न्यूनतम आयु निश्चित है. यह आयु निम्न अनुसार है:
देश | वयस्क मताधिकार की आयु |
ब्रिटिन, रूस, अमेरिका | 18 वर्ष |
मालदीप सिंगापूर कुवेत लेबनान | 21 वर्ष |
जापान डेनमार्क | 25 वर्ष |
पूर्वी तिमोर उत्तरी कोरिया | 17 वर्ष |
ईरान | 16 वर्ष |
वयस्क मताधिकार की विशेषताए
दुनिया के उन सभी देशों में जहा लोकतंत्र मजबूत है. वहा पर वयस्क मताधिकार की व्यवस्था है. जिसके पीछे वयस्क मताधिकार की कुछ विशेषताए है. यह विशेषताए निम्नलिखित है:
- इस व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषताए यह है की यह प्रणाली समानता के सिद्दांत पर आधारित है.
- वयस्क मताधिकार प्रणाली को अपनाकर देश के भावी नागरिको को देश की सरकार में हिस्सा दिया जा सकता है.
- इस व्यवस्था के जरिये देश के सभी नागरिको को एक समान महत्त्व मिलता है.
- इस व्यवस्था के जरिये लोगो का अपने देश के संविधान और सरकार के प्रति विश्वास का भाव उत्पन्न होता है.
- यह प्रणाली देश के प्रत्येक नागरिको को शांति पूर्ण तरीके से देश की व्यवस्था में परिवर्तन लाने का मौका देती है.
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वयस्क मताधिकार क्यों जरुरी है | वयस्क मताधिकार के समर्थन में क्या तर्क है
वयस्क मताधिकार एक प्रणाली है. जिसके जरिये एक निश्चित आयु के बाद देश के नागरिको को शासन में अधिकार और हिस्सा दिया जाता है. जिससे देश के नागरिको को भी अपनी जिम्मेदारी और अधिकारों का अहसास होता है. और वो लोग भी देश के भविष्य के निर्माण के भागीदार बनते है. इसलिए किसी लोकतान्त्रिक देश में वयस्क मताधिकार व्यवस्था होना अनिवार्य है.
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वयस्क मताधिकार निम्न अनुसार किसी भी देश के लिए जरुरी है या वयस्क मताधिकार के समर्थन में निम्न तर्क है:
देश का प्रत्येक व्यक्ति संविधान की नजर में एक समान होता है. इसलिए सभी को मत देने का भी समान मौका मिलना चाहिए. इसलिए वयस्क मताधिकार जरुरी है.
- वयस्क मताधिकार देश की एकता और लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक माना जाता है.
- देश के नागरिको के अधिकारों की रक्षा के लिए भी वयस्क अधिकार जरुरी है.
- इस प्रणाली को अपनाकर किसी भी देश का अल्पसंख्यक भी देश की राजनीती में हिस्सा प्राप्त कर सकता है. इसलिए वयस्क मताधिकार को बल दिया गया है.
- इस प्रणाली का अनुसरण करके देश के नागरिको को उचित सम्मान और अधिकार प्राप्त होता है.
वयस्क मताधिकार के विपक्ष में क्या तर्क है
दुनिया के प्रत्येक व्यवस्था और प्रणाली के पक्ष और विपक्ष दोनों प्रकार के तर्क उपस्थित है. पक्ष और विपक्ष का होना भी जरुरी है. नहीं तो हमे किसी भी प्रणाली की खामिया कभी भी समझ में नही आएगी. इसी प्रकार वयस्क मताधिकार के विपक्ष में भी कुछ तर्क है. जो निम्न अनुसार है:
- कुछ विद्वानों का मानता है की वयस्क मताधिकार की अवधारणा ही गलत है. क्योंकि इस प्रणाली से अशिक्षित और गरीब व्यक्तियों को शासन से दूर की आशंका बढ़ती है.
- देश के सामान्य नागरिक और अशिक्षित लोग राजनीती को नहीं समझते है. इसलिए इन्हें मत देने का भी अधिकार नहीं होता चाहिए.
- कुछ विद्वानों का यहाँ तक कहना है की वयस्क मताधिकार भष्टाचार को जन्म देता है. क्योंकि इससे मतदान धर्म और जाति के आवेश में होता है.
- कुछ महानुभावो का मानना है की मताधिकार एक जिम्मेदारी से भरा कार्य है. इसलिए इसका अधिकार सिर्फ उन्हें होना चाहीए जो इसकी जिम्मेदारी को समझ सके. सबके पास मताधिकार नहीं होना चाहिए.
- कुछ विद्वानों के अनुसार अधिकतर जनसँख्या निधन और अनपढ़ होती है. और उन्हें आसानी से धन का लोभ देकर मतों को ख़रीदा जा सकता है. इसलिए वयस्क मताधिकार पूरी तरह से बकवास है.
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निष्कर्ष
इस आर्टिकल (वयस्क मताधिकार क्या है | सार्वभौमक मताधिकार क्या है | वयस्क मताधिकार क्यों जरुरी है | पक्ष और विपक्ष के तर्क | वयस्क मताधिकार की विशेषताए) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको वयस्क मताधिकार के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. वयस्क मताधिकार को सार्वभौमिक मताधिकार भी कहा जाता है. वयस्क मताधिकार से तात्पर्य एक ऐसी पद्धति से जो समान रूप से देश के सभी नागरिको को एक निश्चत आयु के बाद बिना किसी धर्म, जाति, रंग, संपति, और लिंग का भेदभाव करते हुए मत करने का और प्रजातंत्र में अपनी खुद की सरकार चुनने का अधिकार प्राप्त कराए.
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