आराम हराम है किसने कहा था | aaram haram hai kisne kaha tha

आराम हराम है किसने कहा था | aaram haram hai kisne kaha tha – इतिहास में अनेक नेताओ ने अनेक नारे दिए है. इन नारों ने इतिहास की अहम घटनाओ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारत की स्वतंत्रा की लड़ाई भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना है. इस लड़ाई में नागरिको के हौसलों को बढ़ाने के लिए स्वतंत्रा संग्राम के नेताओ ने समय समय पर नारे दिए. इन नारों ने स्वंत्रता की लड़ाई को हर परिस्थित में जारी रखा.

इस आर्टिकल में जानेगे की आराम हराम है का नारा किसने दिया था. और इसको देने के पीछे क्या कारन था.

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आराम हराम है किसने कहा था | aaram haram hai kisne kaha tha

आराम हराम है का नारा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरु ने दिया था. नेहरु के अनुसार निरंतर श्रम करके जो आनदं प्राप्त होता है. वह आनंद सोने और आराम करने से प्राप्त नही  होता है. इस नारे को पंडित जी ने भारत के स्वंत्रता संग्राम की लड़ाई के दौरान दिया था.

इस नारे के माध्यम से नेहरु जी देश के युवाओ को सन्देश देना चाहते थे. की यह समय परिश्रम करने का है अगर इस समय में देश का युवा नहीं जगेगा और सोता रह जाएगे. तो देश को आजादी कैसे प्राप्त होगी. इसलिए देश के युवाओ के लिए आराम हराम के बराबर है. और परिश्रम से ही देश को आजादी प्राप्त हो सकती है.

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पंडित जवाहर लाल नेहरु के बारे में जानकारी

पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत की राजनीती के आजादी से पहले और बाद में प्रमुख बिंदु रहे है. उनका जन्म 14 नवम्बर 1889 में ब्रिटिश काल में इलाहाबाद शहर में हुआ था. उनके पिता मोतीलाल नेहरु कश्मीरी पंडित थे. और वह स्वंत्रता संग्राम के दौर में दो बार भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे थे. पंडित जी अपने तीनो भाई बहनों में सबसे बड़े थे.

नेहरु जी ने दुनिया की बेहतरीन विधालयो और कालेजो से शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने अपनी कानून की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय  से प्राप्त की. सात साल तक वकालत के कार्य करने के पश्चात् पंडित जी सन 1912 में भारत लोटे. सन 1917 में नेहरु जी ने भारतीय राजनीती में प्रवेश किया. और रुल लीग में शामिल हो गए.

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नेहरु जी को महात्मा गाँधी ने सन 1919 में राजनीती की दीक्षा दी थी. उसके बाद नेहरु जी गाँधी जी के साथ रालेट अधिनियम के खिलाफ़ विद्रोह में शामिल हो गए थे. इस प्रकार नेहरु जी पूर्ण रूप से भारतीय राजनीती में सक्रिय हो गए. उन्होंने गाँधी जी कदमो पर चलते हुए अपने परिवार के साथ खादी के वस्त्र पहनना शुरू किया.

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सन 1924 में नेहरु जी इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए. उन्होंने दो साल तक अध्यक्ष पद पर कार्य किया और फिर इस्तीफा दे दिया. उसके पश्चात् सन 1926 से 1928 तक कांग्रेस समिति के महासचिव रहे. सन 1928 में कांग्रेस का राष्ट्रिय अधिवेशन नेहरु जी की अध्यक्षता में हुआ.

इस अधिवेशन में अंग्रेजी हुकूमत को भारत को पूर्णराज्य घोषित करने के लिए 1 साल का समय दिया गया. और 1 साल के बाद अगर जवाब नहीं मिला तो राष्ट्रिय आन्दोलन की शुरुआत करने का निर्णय लिया गया.

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दिसम्बर 1929 में हुए कांग्रेस के राष्ट्रिय अधिवेशन में नेहरु जी को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया. और नेहरु जी ने पूर्ण स्वराज की मांग करते हुए 26 जनवरी 1930 को लाहौर में भारत का झंडा भी फहराया. गांधीजी ने संविनय अवज्ञा आन्दोलन का आह्वान किया.

संविनय अवज्ञा आन्दोलन बहुत सफल रहा. ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को राजनीती में हिस्सेदारी देने की मांग को मान लिया. सन 1935 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया और देश के लगभग सभी राज्यों से सीट हासिल कर दी. उसके बाद 1936 और 1937 में भी नेहरु जी कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष रहे.

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1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में नेहरु जी को गिरफ्तार भी किया गया और 1945 में जेल से छुट गए. भारत की आजादी और भारत-पाकिस्तान बटवारे के मसले पर अंग्रजो के साथ हुई बातचीत में नेहरु जी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. आजादी के बाद नेहरु जी स्वन्त्रत भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (आराम हराम है किसने कहा था | aaram haram hai kisne kaha tha) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको भारतीय स्वतंत्रा के नेता और आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के बारे में जानकरी देना है. आराम हराम है का नारा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरु ने दिया था. नेहरु के अनुसार निरंतर श्रम करके जो आनदं प्राप्त होता है वह आनंद सोने और आराम करने से प्राप्त नहीं होता है.

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