रूसो किस सिद्दांत का समर्थक था | ruso kis siddhant ka samarthak tha

रूसो किस सिद्दांत का समर्थक था | ruso kis siddhant ka samarthak tha | रूसो का सामाजिक समझौता का सिद्दांत | रूसो का सामान्य इच्छा का सिद्धांत – समय समय पर अनेक बुद्धिजीवी हुए है. उन्होंने अपने विचारो से समाज को एक नई दीक्षा दी है. जिस पर चलकर समाज उन्नति के रास्ते पर बढा है. और लोगो की स्थिति सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक रूप से प्रबल हुई है. इस आर्टिकल में हम ऐसे ही विचारक रूसो की बात करेगे. रूसो लोकप्रिय सप्रभुता के सिद्दांत का जनक था. और जानेगे की रूसो किस सिद्दांत का समर्थक था. रूसो के सिद्दांत के बारे में विस्तार से अध्धयन भी करेगे.

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रूसो किस सिद्दांत का समर्थक था | ruso kis siddhant ka samarthak tha

रूसो 15 वि शताब्दी का एक महान समाज सुधारक और विचारक था. तथा उसे लोकप्रिय सप्रभुता के सिद्दांत का जनक कहा जाता है. रूसो की पुस्तक “सामाजिक संविदा” से उसके समझौता के सिद्दांत की जानकारी प्राप्त होती है. रूसो के सामाजिक समझौता के सिद्दांत को सामान्य इच्छा सिद्दांत भी कहा जाता है. इसलिए रूसो सामान्य इच्छा सिद्दांत का समर्थक था. यह प्रश्न परीक्षाओ में मुख्यरूप से पूछा जाता है.

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रूसो कौन था

रूसो पश्चिमी के युगपर्वतक विचारधाराओ में से एक था. अपनी आरंभिक रचनाओ में रूसो ने कहा की आदिमानव आधुनिक युग के मानव से भले, न्यायप्रिय और सुखी थे. किन्तु सभ्यता की उन्नति से मानव को भ्रष्ट कर दिया है. इसलिए हम सबको सभ्यता की जजीरो को जड़ से उखाड़ कर फेक देना चाहिए. और एक आदर्श समाज का निर्माण करना चाहिए.

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रूसो ने अपने क्रांतिकारियों विचारो को उसकी सुप्रसिद्द पुस्तक सामाजिक संविदा में लिखा है. पुस्तक का सबसे पहला वाक्य यह है की “मनुष्य स्वत्रंत पैदा हुआ है लेकिन मनुष्य सर्वत्र बन्धनों से जकड़ा हुआ है.” रूसो का मानना था की मनुष्य स्वत्रंत पैदा हुआ है. और उसे पूरी उम्र स्वन्त्रत रहने का अधिकार है. सरकारों और शासनों को भी चाहिए की वह अपने नागरिको के अधिकारों की रक्षा करे. अगर वह ऐसा करने में असफल रहते है तो जनता को उन्हें दंड देने का पूरा अधिकार प्राप्त होता है.

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रूसो के क्रांतिकारी विचारो ने यूरोप के निरकुश शासको की जड़ो को हिलाने में महत्वपूर्ण कार्य किया था. नेपोलियन ने एक बात कहा था की अगर रूसो का जन्म नहीं हुआ होता था. फ्रांस की राज्य क्रांति होना असंभव था.

रूसो का सामाजिक समझौता का सिद्दांत | रूसो का सामान्य इच्छा का सिद्धांत

सामाजिक समझौता नामक पुस्तक में रूसो ने सामाजिक समझौता के सिद्दांत के वर्णन किया है. इस सिद्दांत के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में ही मनुष्य स्वत्रंत और खुश रह पाता है. रूसो के सिद्दांत का मूल उद्देश्य व्यक्ति की स्वंत्रता और राज्य की सत्ता के बिच उचित सामजस्य स्थापित करना था. रूसो के सामाजिक समझौता के सिद्दांत को हम निम्न भागो से समझते है:

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मानव स्वभाव और प्राकृतिक अवस्था

इस विचार के अनुसार रूसो कहना चाहता है की सभ्यता ने मनुष्य को जंजीरों में जकड़ कर रख दिया है. मनुष्य को इस जंजीरों को तोड़ कर आगे बढ़ना चाहिए. मनुष्य अपने प्राकृतिक अवस्था में अधिक खुश था. क्योंकि उस अवस्था में मनुष्य पर बुद्दी की अपेक्षा भावनाओ का प्रभाव था.

सामाजिक समझौते का कारण

जब कृषि की उत्पत्ति हुई थी तो मनुष्य की प्राकृतिक अवस्था दूषित होना शुरू हुई. क्योंकि कृषि की उत्त्पति से मनुष्य के बिच भूमि पर स्वामित्व पाने की होड़ बढ़ गई. जिस व्यक्ति के पास जितनी भूमि होती थी वह व्यक्ति उतनी भूमि पर कृषि कर के संपन्न बन सकता था. इसलिए मनुष्य की प्राकृतिक अवस्था धीरे धीरे दूषित होती गई लोगो के बिच मतभेद बढ़ते गए और प्राकृतिक अवस्था में जितना प्यार और मोह था. वह समाप्त हो गया.

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रूसो का सामाजिक समझौता और सामान्य इच्छा का सिद्दांत

रूसो के सामाजिक समझौता को प्राप्त करने के लिए सभी लोग एक स्थान पर एकत्रित होते है. और अपने अधिकारों का समपर्ण कर देते है. लेकिन अधिकारों का यह समपर्ण किसी एक विशेष व्यक्ति के लिए नहीं होता है. अपितु पुरे समाज के लिए होता है. इस समपर्ण के अंतगर्त समाज के सभी व्यक्तियों में एक सामान्य इच्छा प्रकट होती है और सभी इस सामान्य इच्छा के अनुसार कार्य करते है.

इस प्रकार रूसो के सामाजिक समझौते के सिद्दांत से एक लोकतान्त्रिक राज्य की स्थापना होती है. और समूचे समाज में संप्रभुता का निर्माण होता है. अगर राज्य का शासक जनता के हितो के विरोध कार्य करता है तो जनता को ऐसे शासक से शासन के अधिकार को छिनने की आजादी होती है.

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सामाजिक समझौता के सिद्दांत में दो पक्षों के बिच में समझौता होता है. व्यक्ति का निजी पक्ष और सामाजिक पक्ष. व्यक्ति अपने निजी अधिकारों को समर्पण करता तथा अपने अधिकार समाज को दे देता है. और अपने अधिकारों को वापस समझौते के रूप में प्राप्त करता है और खुद लाभ का भारीदार बनता है.

रूसो का सामाजिक समझौता का सिद्दांत या सामान्य इच्छा का सिद्दांत एकता की भावना को स्थापित करता है. और इसमें राज्य, समाज और देश के सभी नागरिको का समान स्थान होता है.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (रूसो किस सिद्दांत का समर्थक था | ruso kis siddhant ka samarthak tha | रूसो का सामाजिक समझौता का सिद्दांत | रूसो का सामान्य इच्छा का सिद्धांत ) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको रूसो और रूसो के सामाजिक समझौते के सिद्दांत के बारे में जानकारी देना है. रूसो के सामाजिक समझौता के सिद्दांत को सामान्य इच्छा सिद्दांत भी कहा जाता है. इसलिए रूसो सामान्य इच्छा सिद्दांत का समर्थक था. यह प्रश्न परीक्षाओ में मुख्यरूप से पूछा जाता है. इस आर्टिकल में हमने सामाजिक समझौता के सिद्दांत की विस्तार से जानकारी दी है.

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