अभिलेख किसे कहते हैं | अभिलेख की परिभाषा

अभिलेख किसे कहते हैं | abhilekh kise kahate hain |अभिलेख की परिभाषा – प्राचीन काल में राजा महाराजा अपने इतिहास को हमेशा के लिए जीवित रखने के लिए अभिलेख बनवाते थे. यह अभिलेख पत्थरों या धातुओं जैसे ठोस वस्तुओं पर बनते थे. जिससे कारण यह अभिलेख आज भी हमें विभिन्न खुदाई और शोध से प्राप्त होते हैं. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि अभिलेख क्या होते हैं. तथा इस आर्टिकल में अभिलेख बनाने के लिए जरूरी औजारो और यंत्रों की भी जानकारी प्राप्त करेंगे.

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अभिलेख किसे कहते हैं | abhilekh kise kahate hain

अभिलेख पत्थर या धातु जैसे कठोर सतह पर उत्कीर्ण किए गए पाठन या लेख होते हैं. अभिलेखों का उपयोग प्राचीन काल से हो रहा है. प्राचीन काल में राजा महाराजा अपने राज्य के निर्देश और आदेशों को पत्थर पर उत्कीर्ण करके रखते थे. जिसे आम जनता पढ़ती थी और पालन करती थी. आधुनिक समय में भी अभिलेखों का उपयोग किया जाता है.

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किसी विशेष उद्देश्य के लिए लिखे गए लेख को अभिलेख कहा जाता है. अभिलेख सामान्य लेखों से भिन्न होते हैं. अभिलेखों को प्रचार, स्मृति या विज्ञप्ति के उद्देश्य से किसी ठोस धातु या पत्थर पर उत्कीर्ण किया जाता है. कागज, कपड़ा या किसी कोमल वस्तु पर लिखे हुए लेख अभिलेख अंतर्गत नहीं गिने जाते हैं. इन्हें हस्तलेख कहा जाता है. मिट्टी की वस्तु या बर्तन और दीवारों पर लिखे हुए लेख भी अभिलेख के अंतर्गत गिने जाते हैं.

अभिलेख की परिभाषा

किसी विशेष उद्देश्य से किसी ठोस वस्तु पर उत्कीर्ण लेख को अभिलेख कहा जाता है. अभिलेख आदेश, निर्देश, इतिहास या किसी वस्तु का उल्लेख भी हो सकते हैं.

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अभिलेख बनाने में उपयोग औजार और यंत्र

अभिलेख के लिए कठोर वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है. जिसमें पत्थर, धातु, ईट, मिट्टी की तख्ती, ताड़पत्र का उपयोग किया जाता है. भारत, यूनान, इटली और मिस्र जैसे प्राचीन देशों में अभिलेखों के लिए मुख्य रूप से पत्थर का उपयोग किया जाता था. सम्राट अशोक ने स्मृति के लिए स्तंभ लेख बनाए थे. और उन्होंने अभिलेखों के लिए पत्थर के प्रयोग पर अपने धर्मलेख में लिखा भी हैं कि यह चिरस्थायी हो सकते हैं.

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भारत में अभिलेख पत्थर, चट्टानें, शीला, मूर्तियों की पीठ, मंदिर की दीवार, स्तंभ आदि पर मिलते हैं. मिस्र में अभिलेखों के लिए बहुत कठोर पत्थर का उपयोग किया जाता था. और यूनान में इसके लिए संगमरमर का उपयोग किया जाता था. यद्यपि मौसम के प्रभाव से संगमरमर पर लिखे गए अक्षर धीरे-धीरे फीके पड़ जाते हैं.

धातुओं में सोना, चांदी, तांबा तथा पीतल का उपयोग अभिलेख के प्रस्तर के रूप में किया जाता था. भारत में ताम्रपत्र का उपयोग मुख्य रूप से अभिलेख के लिए हुआ था. अभिलेखों पर अक्षरो की खुदाई के लिए छेनी, हथोड़ा, नुकीली किले, लौहशलाका जैसी नुकीली वस्तु का उपयोग किया जाता था. अभिलेख बनाने के लिए विशेष कारीगर होते थे. जिन्हें शिल्पकार, रूपकार और शिलाकुट का दर्जा दिया जाता था. यह कारीगर सामान्य हस्तलेखक से अलग होते थे.

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प्रारंभ के दिनों में अभिलेख इतने सुंदर नहीं हुआ करते थे. लेकिन बाद में कई सालों के प्रयासों के बाद यह धीरे-धीरे आकर्षित और सुंदर बनते गए. इनके अक्षरों की आकृति और शैलियों से अभिलेखों के तिथिक्रम को निश्चित करने में सहायता मिलती हैं.

प्राचीन और ऐतिहासिक अभिलेख

प्राचीन अभिलेखो की तिथिक्रम के अनुसार सबसे प्राचीन अभिलेख के मिस्त्र के अभिलेखों को माना जाता है. जो चित्रलिपि में लिखे गए थे. इसके पश्चात इराक के अभिलेखों का स्थान आता है. जो अर्धचित्र और पुन: कीलाक्षरों में अंकित है. भारत के सिंधु घाटी के अभिलेखों को इराक के अभिलेखों के समकालीन माना जाता हैं.

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इसके पश्चात यूनान और रोम के अभिलेखों की गणना की जाती है. ईरान के किलाक्षर और आरामाई लिपि के अभिलेख भी प्रसिद्ध है. चीन में चित्र और भावलिपि के अभिलेख बहुत प्राचीन काल से प्राप्त हैं.

भारत के अभिलेखों को मुख्य रूप से निम्न अनुसार वर्गीकृत किया गया:

  • मौर्यपूर्व
  • मौर्य
  • शुंग
  • भारत-बाख्त्री
  • शक
  • कुषण
  • आंध्र-शातवाहन
  • गुप्त
  • मध्यकालीन
  • आधुनिक

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (अभिलेख किसे कहते हैं | abhilekh kise kahate hain |अभिलेख की परिभाषा) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको अभिलेखों के बारे में विस्तार से जानकारी देना हैं. अभिलेख विशेष उद्देश्य से पत्थर और धातु के पृष्ठ पर उत्कीर्ण लेख होते हैं. भारत में अभिलेख प्राचीनकाल से बनाए जा रहे हैं. भारत में मौर्य समाज के सम्राटो ने अपने इतिहास को जीवित रखने के लिए अनेक अभिलेखों का निर्माण कराया था. जिसमे अशोक स्तम्भ को हम सब भलीभांति जानते हैं.

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