प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने की थी | प्रयाग प्रशस्ति क्या है

prayag prashasti ki rachna kisne ki thi | प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने की थी | प्रयाग प्रशस्ति के लेखक |प्रयाग प्रशस्ति क्या है – भारत देश प्राचीन काल में एक समृद्ध और संपन्न देश था. क्योंकि यहां पर समय समय पर कही ऐसे साम्राज्य और शासक हुए हैं. जिन्होंने अपनी कौशल और प्रबंधन से देश को उन्नत और समृद्ध बनाया है. इसी कड़ी में मौर्य साम्राज्य को भी हमेशा याद किया जाता है. इस आर्टिकल में हम प्रयाग प्रशस्ति के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे. जिसमे मौर्य सम्राट समुद्रगुप्त की विजय यात्रा का वर्णन मिलता हैं.

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प्रयाग प्रशस्ति क्या है?

प्रयाग प्रशस्ति सम्राट समुद्रगुप्त के विजय अभियानों के लेख हैं. जिन्हें सम्राट समुद्रगुप्त ने कौशांबी से लाए हुए अशोक स्तंभ पर खुदवाया था. इसमें समुंदर गुप्त के द्वारा जीते गए राज्यों का वर्णन मौजूद है. उसमें उन राज्यों का वर्णन किया गया है जिसे समुद्रगुप्त ने युद्ध में परास्त किया था और अपने अधीन कर दिया था.

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इस प्रशस्ति के अनुसार समुद्रगुप्त ने अपने राज्य को बहुत प्रभावी ढंग से स्थापित किया था. समुद्रगुप्त को युद्ध करने और युद्ध जीतने में आनंद मिलता था.

प्रयागराज के अभिलेखों के अनुसार समुंदर गुप्त ने अपनी विजय यात्रा की शुरुआत उत्तर भारत के 9 आर्यवर्त शासकों को परास्त करने के साथ की थी. इन शासकों में नागसेन, अच्युत,  गणपति इत्यादि शासक शामिल थे. इन शासको पर विजय प्राप्त करने के बाद समुद्रगुप्त को मध्य प्रदेश या गंगा-यमुना के तटो पर अपनी सत्ता स्थापित करने का मौका मिल गया था. जिससे समुंदर गुप्त के राज्य समृद्ध हो गए थे क्योंकि उस समय गंगा-यमुना के तट अर्थव्यवस्था के केंद्र माने जाते थे.

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प्रयाग प्रशस्ति प्रयाग में स्थित मोर्य शासक के 6 सितंबर लेखों में से एक है. इसमें तीन शासकों का वर्णन दिया गया है. इस स्तंभ को सम्राट समुद्रगुप्त के द्वारा 200 ईसवी में कौशांबी से प्रयाग लाया गया था. उसके बाद उनके दरबारी कवि हरीसेन ने प्रयाग प्रशस्ति पर लेख खोदे थे.

उसके पश्चात् मुगल सम्राट जहांगीर के राज तिलक का उल्लेख भी सन 1605 में इस पर खुदवाया गया था.

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प्रयाग प्रशस्ति के लेखक कौन थे | prayag prashasti ki rachna kisne ki thi

प्रयाग प्रशस्ति के लेखक सम्राट समुद्रगुप्त के दरबार कवि हरिसेन थे.

प्रशस्ति में क्या वर्णन हैं?

इस प्रशस्ति के वर्णन के अनुसार समुद्रगुप्त को मोर्य सम्राट चंद्रगुप्त का पुत्र बताया गया है. और लिच्छवी का दौहित्र बताया गया है. इसमें समुद्रगुप्त को एक महान योद्धा, अर्थशास्त्री, कला का प्रेमी और ज्ञानी बताया गया है. इस प्रशस्ति के वर्णन के अनुसार समुद्रगुप्त ने नेपाल, असम, बंगाल के सीमावर्ती प्रदेश और पंजाब तक अपना राज्य स्थापित किया था.

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इसके साथ ही दक्षिण भारत में 10 से अधिक राजाओ को पराजित कर छोड़ दिया था. समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरीसेन ने प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के द्वारा प्राप्त विजय अभियान की व्याख्या की है.

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प्रशस्ति के वर्णन के अनुसार समुद्रगुप्त का राज्य विस्तार वर्तमान के भारत से बाहर अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक फैला था. समुद्रगुप्त ने अफगानिस्तान के शासकों, मध्य एशिया के शको शासक और कुशाणों के राज्यों को भी जीत लिया था.

प्रयाग प्रशस्ति में सम्राट समुद्रगुप्त को अजातशत्रु की उपाधि दी गई हैं. और इनकी बहादुरी और युद्ध कला के कौशल के कारण समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन भी कहा जाता है. क्योंकि सम्राट गुप्त को उस समय में पराजित करने वाला कोई शासक नहीं था.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (prayag prashasti ki rachna kisne ki thi | प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने की थी | प्रयाग प्रशस्ति के लेखक |प्रयाग प्रशस्ति क्या है ) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको प्रयाग प्रशस्ति के बारे में विस्तार से बताना हैं. प्रयाग प्रशस्ति के लेखक सम्राट समुद्रगुप्त के दरबार कवि हरिसेन थे. प्रयाग प्रशस्ति सम्राट समुद्रगुप्त के विजय अभियानों के लेख हैं. इस प्रशस्ति में सम्राट समुद्रगुप्त को अजातशत्रु की उपाधि दी गई हैं.

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