Antarrashtriya nyayalaya kahan sthit hai | कार्य एवं शक्तियां | न्यायाधीशो की संख्या

Antarrashtriya nyayalaya kahan sthit hai | अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के कार्य एवं शक्तियां – विश्व में कही देश हैं. और सभी देश अपनी सभ्यता संस्कृति एवं आवश्यकता के अनुसार कानून बनाते हैं. हर एक देश में कुछ ना कुछ विवाद होते रहते हैं. इस विवादों को सुलझाने के लिए देश की सरकार कानून का निर्माण करती हैं ताकि विवादों को सुलझाया जा सकें.

लेकिन यह सभी कानून देश के अंदर ही लागु होते हैं. अगर दो और दो से अधिक देश के बिच किसी विषय पर कुछ विवाद हो तो उस विवाद को सुलझाने के लिए देश के अंदर बनाया गया कानून काम नहीं आता. इसलिए देश के बहार का और किसी अन्य देश के साथ किसी विषय पर हुआ विवाद सुलझाने के लिए अंतराष्ट्रीय न्यायालय का गठन किया हुआ हैं.

दो देश के बिच अगर कुछ विषय पर विवाद हो तो एक देश दुसरे देश पर के विरुद्ध याचिका दायर करती हैं. जिस की सुनवाई अंतराष्ट्रीय न्यायालय के जजों के द्वारा बहुमत के आधार पर निर्णय करके फैसला किया जाता हैं. जो भी निर्णय अंतराष्ट्रीय न्यायालय के द्वारा दिया जाता हैं. वह मान्य होता हैं. कोई भी देश इस निर्णय के विरुद्ध नहीं जा सकता हैं.

आज हम अंतराष्ट्रीय न्यायालय के बारे में जानेंगे एवं उनकी शक्तिया और कार्य की चर्चा करेंगे. इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की शक्तिया एवं कार्य भी जानेगे.

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय कहा स्थित हैं | antarrashtriya nyayalaya kahan sthit hai

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय नीदरलेंड के हेग में स्थित हैं.

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अंतराष्ट्रीय न्यायालय क्या हैं.

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख न्यायिक संस्थान हैं. और इस संस्थान को पांच मुख्य संस्थानों में से एक माना जाता हैं. दो एवं दो से अधिक देशो के बिच किसी विषय पर विवाद होता हैं. तो उस विवाद को सुलझाने के लिए अंतराष्ट्रीय न्यायालय का गठन किया हुआ हैं.

18 अप्रैल 1946 में अंतराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना की गई थी.  न्यायालय का मुख्यालय हेग नीदरलेंड्स के पीस पैलेस में स्थित है. न्यायालय का कार्य छुट्टियों को छोड़कर प्रतिदिन चालू रहता हैं.

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अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के साथ 193 सदस्य देश शामिल हैं. न्यायालय की अधिकारी भाषा अंग्रेजी एवं फ्रांसीसी हैं. संयुक्त राष्ट्र के पांच संस्थानों में से यही एकमात्र संस्थान हैं. जो न्यूयॉर्क में स्थित नहीं हैं.

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दो एवं दो से अधिक राष्ट्र के बिच के विवादों को सुलझाने का कार्य यह न्यायालय करती हैं. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से सुनाया गया फैसला मान्य होता हैं. और कोई राष्ट्र इसके विरुद्ध नहीं जा सकता हैं.

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की शक्तिया एवं कार्य

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का कार्य दो देशो के बिच किसी विषय पर हुए विवाद को सुलझाना होता हैं. न्यायालय ने लिया हुआ निर्णय मान्य होता हैं. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा  लिए हुए निर्णय के विरुद्ध  कोई देश जा नहीं सकता हैं. न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है.

उसकी कोई अपील नहीं होती परंतु कुछ मामलो में पुनर्विचार किया जा सकता है. अंतराष्ट्रीय न्यायालय का निर्णय लेने का अधिकार न्यायालय के न्यायधीश का होता है.

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अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय दोनो पक्षों को सुनता हैं. और कोई विचार विमर्च के बाद किसी विषय और विवाद पर निर्णय करता हैं. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को अपने अनुसार नियम बनाने का अधिकार होता हैं. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की नियमावली 1978 के अनुसार न्यायालय अपने नियम का निर्माण कर सकती हैं. 29 सितंबर 2005 को इस नियमावली को संशोधित किया गया था.

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अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीशो की संख्या कितनी होती है.

अंतराष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीशो की कुल संख्या 15 होती हैं. यह न्यायाधीशो को संयुक्त राष्ट्र महासभा एवं सुरक्षा परिषद द्वारा 9 वर्ष के लिए चुना जाते हैं. तथा फिर से भी चुने जा सकते हैं.

प्रत्येक तीसरे वर्ष इन 15 न्यायाधीशो में से किसी 5 को चुना जा सकता हैं. कोई भी जज एक ही राष्ट्र के नहीं हो सकते हैं. इन जजों को और किसी पद पर रहने की मनाई हैं.

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अंतराष्ट्रीय न्यायालय में प्रथम भारतीय न्यायाधीश के रूप में कौन थे.

अंतराष्ट्रीय न्यायालय में प्रथम भारतीय न्यायाधीश बेनेगल रामाराव थे. जिन्होंने 1552-53 में अंतराष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था. अभी तक भारत से 4 भारतीय न्यायाधीश अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश रह चुके हैं. बेनेगल रामाराव, नागेंद्र सिंह, गोपाल स्वरूप पाठक और दलवीर भंडारी. जिसमे दलवीर भंडारी वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में भारतीय न्यायाधीश के रूप में अपना कार्यभाल संभाल रहे हैं.

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अंतराष्ट्रीय न्यायालय के 15 न्यायाधीश कौन से क्षेत्र से लिए जाते है.

अंतराष्ट्रीय न्यायालय के 15 न्यायाधीश निम्नलिखित क्षेत्र से लिए जाते है.

  • अफ्रीका से तिन
  • लैटिन अमेरिका और कैरेबियन राष्ट्र से दो
  • एशिया से तिन
  • पश्चिमी यूरोप और अन्य राज्य से पांच
  • पूर्वी यूरोप से दो

अंतराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशो को अपनी जिम्मेदारी लेने से पहले सपथ ग्रहण करनी होती हैं की वह अपने पद एवं शक्तियों प्रमाणिकता से उपयोग करेंगे.

अंतराष्ट्रीय न्यायालय किस देश में स्थित हैं.

अंतराष्ट्रीय न्यायालय नीदरलेंड्स के हेग में स्थित हैं.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (Antarrashtriya nyayalaya kahan sthit hai | कार्य एवं शक्तियां | न्यायाधीशो की संख्या) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको अंतराष्ट्रीय न्यायालय के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय नीदरलेंड के हेग में स्थित हैं. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख न्यायिक संस्थान हैं. और इस संस्थान को पांच मुख्य संस्थानों में से एक माना जाता हैं.

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