बाल मनोविज्ञान के जनक कौन हैं | बाल मनोविज्ञान क्या है | संज्ञानात्मक विकास सिध्दांत

बाल मनोविज्ञान के जनक कौन हैं | बाल मनोविज्ञान क्या है | बाल मनोविज्ञान की उपयोगिता |प्याजे का संज्ञानात्मक विकास सिध्दांत (theory of cognitive developmen) क्या है विज्ञान ने आज बहुत तरक्की कर ली है. इन्सान चाँद तक पहुच गया है और हम वर्तमान में अन्तरिक्ष की गहराईयो तक पहुचने के लिए बिल्कुल तैयार है. इस समय में भी करोड़ो वैज्ञानिको दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अनेक विषयों के शोध और अध्ययन में लगे है. लेकिन मानव मस्तिष्क को समझना सबसे कठिन है. इन्सान किस स्थिति में कैसा व्यवहार करता है. क्या निर्णय लेता है यह सब भी शोध और अध्ययन का विषय है.

मनोविज्ञान विज्ञान की वह शाखा है जिसमे मानव की मनोदशा और व्यवहार पर अध्ययन किया जाता है. विज्ञान की इस शाखा में मानव मस्तिष्क और मन की स्थित और भाव जैसे क्रोध, ख़ुशी, चिन्तन इत्यादि को आसपास के वातावरण से जोड़कर अध्ययन किया जाता है. मनोविज्ञान अनुभवों का विज्ञान है. इसमें इन्सान की चेतना अवस्था में प्रक्रियाओ और प्रक्रियाओ को निर्धारित करने वाले नियमो का अध्ययन किया जाता है.

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लेकिन आपको पता है की बच्चो की मानसिकता के अध्ययन के लिए विशेष रूप से मनोविज्ञान में एक शाखा है. जिसे बाल मनोविज्ञान कहा जाता है. जिमसे बच्चो के व्यवहार और बुद्दी के विकास की प्रक्रियाओ का अध्ययन बारिके से किया जाता है. तो इस आर्टिकल में जानेगे की बाल मनोविज्ञान की शुरुआत कैसे हुई .और इसके जनक कौन थे. इसके साथ ही इस आर्टिकल इसकी जरूरत और अहम शोधो की भी जानकारी प्राप्त करेगे.

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बाल मनोविज्ञान के जनक कौन है

बाल मनोविज्ञान के जनक जिन पियाजे (Gean Piaget) है. वह विकासात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र की एक बहुत बड़ी हस्ती है. बच्चो की मनोदशा और व्यवहार पर अध्ययन करने की पियाजे में अद्भुत प्रतिभा थी. उनके प्रयोग से हमे यह समझने को मदद मिलती है बच्चे कैसे अपनी आसपास की दुनिया के साथ तालमेल बिठाते है.

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प्याजे का संज्ञानात्मक विकास सिध्दांत (theory of cognitive developmen) क्या है?

प्याजे ने मानक बुद्दी के विकास से जुडे एक अहम सिध्दांत को दिया. जिसका नाम संज्ञानात्मक विकास सिध्दांत है. इस सिध्दांत के अनुसार इन्सान के विकास में उसके बचपन की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है. यह सिध्दांत बताता है की इन्सान किस प्रकार से ज्ञान प्राप्त करता है. और कैसे जानकारियों को एक दुसरे से जोड़ता है. और इन जानकारियों का उपयोग करता है.

उन्होंने इस संज्ञानात्मक विकास सिध्दांत पर व्यापक रूप से शोध किया. और बताया की बालक के द्वारा अर्जित ज्ञान विकास के विभिन्न चरणों में बदलता है. और परिमार्जित होता रहता है. चुकी इस संज्ञानात्मक विकास सिध्दांत के अनुसार बालक के भीतर सज्ञान का विकास विभिन्न अवस्थाओ में होता है. इसलिए इसे अवस्था सिध्दांत भी कहा जाता है.

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बाल मनोविज्ञान क्या है?

बाल मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमे मनोविज्ञानी मनुष्य के गर्भावस्था से लेकर प्रौढ होने तक की मनुष्य के मानसिक विकास और स्थिति का अध्ययन करते है. बाल मनोविज्ञान सामान्य मनोविज्ञान से इसलिए भिन्न है क्योकि मनोविज्ञान की अन्य शाखाओ में मनुष्य के मस्तिष्क का प्रौढ अवस्था में अध्ययन किया जाता है. लेकिन बाल मनोविज्ञान की शाखा में प्रौढ होने से पहली की मानसिक अवस्था का अध्धयन किया जाता है.

बाल मनोविज्ञान की जरुर क्यों है?

19 वी सदी में पुरे संचार में बुद्दी जीवियो को बच्चो के विकास और लालन-पालन के लिए बाल मनोविज्ञान की जरूरत महसूस हुई. लेकिन इसका सर्वाधिक विकास 20 वी सदी में ही हुआ है. बाल मनोविज्ञान का आरंभिक अध्ययन की शुरुआत फ्रांस में हुई थी. पेरिस के पिकाट ने बालमनोविज्ञान को समझने के लिए अपनी पुस्तक  “थॉट ऐंड लैंगुएज ऑव दी चाइल्ड” प्रकाशित की. और डॉ  विने ने बंद बुद्दी बच्चो को परखने के लिए बुद्धिमापक  परिक्षाए निकाली.

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जीन पियाजे

बुद्दिमापक परीक्षाओ का प्रयोग वर्तमान में संचार के सभी देशों में होता है. और इसका विकास प्रत्येक देश में भिन्न तरीके से हुआ है. उसी समय जर्मनी के वैज्ञानिको ने बालक की सिखने की प्रक्रिया पर अनेक शोध किए. इसी क्रम में असाधारण बालक की बुद्दी के विकास, शिक्षा और सुधार पर अनेक शोध हुए. जिसमे इंग्लैंड के सियारमैन और टॉमसन ने महत्वपूर्ण प्रयोग किए.

इसके साथ ही अपराधी बच्चो की मानसिकता पर भी प्रमुख अध्ययन हुए. और इनके विकास और सुधार पर भी गहन शोध हुआ. जिसमे डॉ सिल्डवर्ड के बाल अपराधि बच्चो पर शोध और अध्ययन महत्वपूर्ण है.

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अमेरिका में बाल मनोविज्ञानिक क्षेत्र में सुव्यवस्थित और विस्तृत ढग से शोध हुआ. अमेरिका में वर्तमान में भी बच्चो की मनोदशा का अध्ययन विभिन्न प्रयोगशालाओ में हो रहा है. और इसमें अहम सफलता भी मिली है. डॉ स्टेनले ने किशोर अवस्था के बालको पर जितना शोध किया है. उतना शायद ही पुरे विश्व में कही हुआ होगा.

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (बाल मनोविज्ञान के जनक कौन हैं | बाल मनोविज्ञान क्या है | बाल मनोविज्ञान की उपयोगिता |प्याजे का संज्ञानात्मक विकास सिध्दांत (theory of cognitive developmen) क्या है ) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको बाल मनोविज्ञान के बारे में आसान भाषा में जानकारी देना है. बाल मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमे मनोविज्ञानी मनुष्य के गर्भावस्था से लेकर प्रौढ होने तक की मनुष्य के मानसिक विकास और स्थिति का अध्ययन करते है. इसके जनक जिन पियाजे (Gean Piaget) है.

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आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद.

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