चाणक्य नीति स्त्री का चरित्र कैसा होता है / जाने चाणक्य के अनुसार स्त्री में क्या गुण होने चाहिए – हम सभी लोग आचार्य चाणक्य के बारे में तो जानते ही हैं. आज भी काफी जगह हम आचार्य चाणक्य का नाम और उनकी चाणक्य नीति के बारे में कहीं ना कहीं पढ़ते हैं. वह बहुत बड़े विद्वान पंडित थे.
जिन्होंने अपने जीवन में बहुत सारी रचनाएं की हैं. जो आज भी काफी लोगो को पसंद आती हैं. उन्होंने अपने नीति शास्त्र में स्त्री और चरित्र के बारे में कुछ बातें लिखी हैं. जो हम सभी को जाननी चाहिए.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से चाणक्य नीति स्त्री का चरित्र के बारे में बताने वाले हैं. तथा स्त्री से संबंधित आचार्य चाणक्य का क्या कहना हैं. इस बारे में भी संपूर्ण जानकारी प्रदान करेगे.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
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चाणक्य नीति स्त्री का चरित्र कैसा होता है
स्त्री के चरित्र के बारे में आचार्य चाणक्य ने कुछ बाते कही हैं. जो निम्नलिखत है:
- आचार्य चाणक्य का मानना है. की अधिकतर स्त्रियां झूठ बोलती हैं. इस झूठ बोलने की आदत की वजह से ही स्त्रियां कहीं ना कहीं फस जाती हैं. और मुश्किल में पड जाती हैं.
- आचार्य चाणक्य के अनुसार सत्तारूढ़ परिवार, सींग वाले जानवर, नदी, शस्त्रधारी व्यक्ति तथा स्त्री पर कभी भी भरोसा नही करना चाहिए. यह सभी हमें कभी भी दुविधा में डाल सकते हैं.
- आचार्य चाणक्य के अनुसार लोभ, अविवेक, छल, झूठ बोलना यह सभी स्त्री की बहुत बड़ी प्राकृतिक कमियां हैं.
- आचार्य चाणक्य के अनुसार स्त्री कभी भी एक जगह स्थिर होकर नहीं बैठती हैं. स्त्रियां बहुत चंचल होती हैं. इसलिए उनपर जल्दी कभी विश्वास नहीं करना चाहिए.
- जैसे आग, जल, सांप और मुर्ख व्यक्ति हमारे लिए घातक साबित हो सकते हैं. इसी प्रकार स्त्री भी हमारे लिए घातक साबित हो सकती हैं. इसलिए हमें हमारी सुरक्षा के लिए इनसे सतर्क रहना चाहिए.
- आचार्य चाणक्य के अनुसार जो स्त्री दहलीज के बाहर पग न रखे, अपने पति के प्रति हमेशा वफादार रहे. तथा अपने पति से कभी भी झूठ न बोले तथा घर के कार्यो में निपुण हो ऐसी स्त्रियां ही पवित्र कहलाती हैं.
- आचार्य चाणक्य का यह भी मानना है. की जो स्त्री अपने पति की आज्ञा के बिना व्रत आदि रखती हैं. वह स्त्री अपने पति की उम्र कम कर रही हैं. ऐसी स्त्री नर्क की भागीदार बनती हैं. इसलिए स्त्री को पति की आज्ञा के बिना व्रत आदि नहीं करना चाहिए.
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चाणक्य के अनुसार स्त्री में क्या–क्या गुण होने चाहिए
आचार्य चाणक्य के अनुसार स्त्री में निम्नलिखित गुण होने चाहिए:
स्त्री धर्म का पालन करने वाली होनी चाहिए
आचार्य चाणक्य के अनुसार स्त्री धार्मिक वृति वाली होनी चाहिए. स्त्री भगवान और धर्म के प्रति श्रद्धा और विश्वास रखने वाली होनी चाहिए. जो स्त्री भगवान की पूजा-अर्चना करती हैं. वह स्त्री अच्छे और बुरे को परखने में सक्षम होती हैं.
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स्त्री में दया और विनम्रता होनी चाहिए
जिस स्त्री में दया और विनम्रता होती हैं. उसे समाज में तथा हर जगह मान-सम्मान मिलता हैं. और जो स्त्री गुस्से वाली होती है. या फिर अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाती है. ऐसी स्त्री खुद का नुकसान तो करती ही है. साथ में अपने परिवार वालो का भी नुकसान करती हैं. इसलिए किसी भी स्त्री में दया और विनम्रता का होना जरूरी हैं.
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स्त्री मधुर वाणी वाली होनी चाहिए
जो स्त्री सबके साथ अच्छा व्यवहार करती हैं. सबके साथ मधुर वाणी से बोलती हैं. किसी को भी बुरा-भला नहीं कहती हैं. ऐसी स्त्रियों को भी समाज में मान-सम्मान मिलता हैं. इसलिए स्त्री को कभी भी किसी को कड़वे शब्द नहीं कहने चाहिए. कड़वे शब्द बोलने वाली स्त्रियां रूप से सुंदर होने के बावजूद भी कुरूप दिखती हैं.
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स्त्री संचय करने वाली होनी चाहिए
आचार्य चाणक्य जे अनुसार स्त्री संचय करने वाली होनी चाहिए. स्त्रियों को हमेशा धन का संचय करना चाहिए. ऐसा करने से अगर कोई भी विपत्ति आती है. तो बचा जा सकता हैं. तथा परिवार वालो को भी आर्थिक मदद मिल जाती हैं. जिससे संकट के समय हम बाहर निकल सकते हैं.
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स्त्री साहसी होनी चाहिए
चाणक्य के अनुसार स्त्री में साहस होना चाहिए. स्त्री का कैसा भी समय आ जाए उसमें समय के साथ लड़ने का साहस होना चाहिए. एक स्त्री अगर संकट के समय साहस के साथ लडती है. तो परिवार वालो में भी हिम्मत आ जाती हैं. और कैसा भी संकट हो उसे टाला जा सकता हैं. इसलिए स्त्रियों को हमेशा साहसी होना चाहिए.
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से चाणक्य नीति स्त्री का चरित्र के बारे में बताया हैं. तथा यह भी बताया की चाणक्य के अनुसार स्त्री में क्या गुण होने चाहिए. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आप के लिए उपयोगी साबित हुआ होगा.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह चाणक्य नीति स्त्री का चरित्र आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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