Congress ka vibhajan kis varsh hua | कांग्रेस पार्टी का इतिहास, पिता और विचारधारा

Congress ka vibhajan kis varsh hua | कांग्रेस पार्टी का इतिहास, पिता और विचारधारा – कांग्रेस देश का सबसे पुराना सियासी दल माना जाता है. क्योंकि कांग्रेस आजादी के पहले भी था और वर्तमान में भी यह दल मौजूद हैं. आज के समय भी भारतीय राजनीती में कांग्रेस के दबदबा साफ़ देखा जाता है. भारत का बड़े से बड़ा नेता कांग्रेस से जुड़ा हुआ है और कांग्रेस की विचार धारा को जीता है. लेकिन आपको पता है एक बार कांग्रेस का विभाजन भी हुआ था तो इस आर्टिकल में हम आपको बताएगे की कांग्रेस का विभाजन कब हुआ था.

इसके साथ ही इस अर्टिकल में हम कांग्रेस के इतिहास और गरम तथा नरम दल और इनकी विचार धारा के बारे में भी विस्तार से अध्ययन करेगे.

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कांग्रेस का विभाजन किस वर्ष हुआ | Congress ka vibhajan kis varsh hua

कांग्रेस पार्टी का प्रथम विभाजन सन 1907 के वर्ष में सुरत में हुआ था. इस अधिवेशन में कांग्रेस गरम दल और नरम दल इन दो हिस्सों में बंट गया. जिसे सूरत विभाजन के नाम से भी जाना जाता हैं.

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कांग्रेस के विभाजन का कारण एवं गरम दल और नरम दल के बिच का अंतर

गरम दल और नरम दल दोनों ही कांग्रेस पार्टी का हिस्सा थे. जिसमे गरम दल का संचालन बाल गंगाधर तिलक कर रहे थे. और नरम दल का संचालन मोती लाल नेहरु कर रहे थे. इस दो दल का निर्माण इस दो नेता के बिच के मतभेद के कारण हुआ. इन दो नेताओ के विचारधारा के कारण कांग्रेस का दो हिस्सों में बंट गई.

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नरम दल के नेता मोतीलाल नेहरु चाहते थे. की स्वतंत्र भारत की सरकार अंग्रेजो के साथ मिलकर एक संयोजक सरकार बनाए. जब की गरम दल के नेता बाल गंगाधर तिलक ये नहीं चाहते थे की संयोजक सरकार बने इस कारण ये पार्टी गरम दल और नरम दल में बंट गई.

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गरम दल के नेता बाल गंगाधर तिलक का मानना था की यदि अंग्रेजो के साथ मिलकर सरकार बनाएगे तो यह भारत के साथ फिर धोखाधड़ी करेंगे. बाल गंगाधर तिलक का दल वन्दे मातरम् का नारा लगाते थे. जो मोतीलाल नेहरु को पसंद नहीं था क्योंकि उनको लगता था की यह नारा लगाने से देश में धार्मिक मतभेद बढ़ जाएगा.

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मोतीलाल नेहरु अंग्रेजो का समर्थन कर रहे थे. और उनका दल “जन गण मन” गाना गाते थे. जबकि बाल गंगाधर तिलक एक क्रांतिकारी नेता थे. वह “वन्दे मातरम्” का नारा लगाते थे. जो अंग्रेजो को बिलकुल भी पसंद नहीं था.

नरम दल के नेता अंग्रेजो के बैठक में सम्मलित होना एवं उनके समझौतों का समर्थन करते थे. वही दूसरी और गरम दल के नेता अंग्रेजो का विरोध करते थे.

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कांग्रेस पार्टी का इतिहास

कांग्रेस पार्टी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी हैं. आजादी से 62 साल पहले 28 दिसंबर 1885 को मुंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविधालय में कांग्रेस पार्टी का जन्म हुआ था. स्कॉट लेंड के एक अधिकारी ए ओ ह्युम ने कांग्रेस की स्थापना की थी. हालाकि ए ओ ह्युम को जीवित रहते हुए कभी पार्टी के संस्थापक का दर्जा नहीं मिला. साल 1912 में उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें कांग्रेस पार्टी का संस्थापक घोषित किया गया था.

कांग्रेस पार्टी की स्थापना भले ही एक अंग्रेज द्वारा की गई थी लेकिन पार्टी का अध्यक्ष एक भारतीय को ही चुना गया था. सन 1885 में 72 प्रतिनिधि की मौजूदगी में व्योमेश चंद्र बनर्जी को पार्टी का पहला अध्यक्ष चुना गया था.  साल 1857 में अंग्रेजो के अत्याचार के  खिलाफ काफी विरोध बढ़ गया था. इसी स्थिति को निपटने के लिए अंग्रेजो ने एक ऐसी योजना बनाई जहा सभी भारतीय अपनी भडास निकाल सके इसलिए अंग्रेजो ने ए ओ ह्युम को चुना था.

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साल 1885 से कांग्रेस पार्टी में अब तक 88 अध्यक्ष रह चुके हैं. आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी में 18 अध्यक्ष बने. आजादी के बाद 73 साल में नेहरु गाँधी परिवार से सबसे ज्यादा साल अध्यक्ष पद संभाला. सन 1951 में सबसे पहले जवाहर लाल नेहरु ने अध्यक्ष पद संभाला था. इसके बाद इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी फिर सोनिया गाँधी और अब राहुल गाँधी कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष के रूप में मौजूद हैं.

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कांग्रेस पार्टी का गठन कब हुआ

सन 28 दिसंबर 1885 में मुंबई में कांग्रेस पार्टी गठन हुआ.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पिता कौन थे

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पिता ए ओ ह्युम को कहा जाता हैं.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विचारधारा

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा यह हैं की राजनीती में समानता होनी चाहिए. संसदीय लोकतंत्र पर आधारित समाजवादी राज्य की स्थापना शांतिपूर्ण से की जा सकती हैं. जो विश्वशांति के लिए महत्वपूर्ण हैं.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (Congress ka vibhajan kis varsh hua | कांग्रेस पार्टी का इतिहास, पिता और विचारधारा) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से अवगत कराना है. कांग्रेस पार्टी का प्रथम विभाजन सन 1907 के वर्ष में सुरत में हुआ था. इस अधिवेशन में कांग्रेस गरम दल और नरम दल इन दो हिस्सों में बंट गया. जिसे सूरत विभाजन के नाम से भी जाना जाता हैं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा यह हैं की राजनीती में समानता होनी चाहिए.

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