फ्रांस की क्रांति कब हुई थी | फ्रांस की क्रांति के कारण – फ़्रांस की क्रांति की पूरी कहानी

फ्रांस की क्रांति कब हुई थी | फ्रांस की क्रांति के कारण  | france ki kranti kab hui – प्राचीन काल में राजा को जनता भगवान और रक्षक मानती थी. लेकिन समय के साथ राजा रक्षक से भक्षक बन गए थे. राजा और राज परिवारों के अत्याचार से तंग आकर जनता ने आवाज उठाना शुरू किया. जिससे पुरे विश्व में राजतन्त्र की नीव हिल गई थी. इस आर्टिकल में हम ऐसे ही इतिहास की मतवपूर्ण फ़्रांस क्रांति के बारे में जानेगे. और जानेगे की फ़्रांसी की क्रांति कब और कैसे हुई थी.

फ्रांस की क्रांति कब हुई थी | france ki kranti kab hui thi

फ़्रांस की क्रांति की शुरुआत वर्ष 1789 में हुई थी. जब राजतन्त्र से तंग आकर जनता ने बास्तील के किले पर अधिकार कर दिया था. फ़्रांस की क्रांति वर्ष 1799 तक नेपोलियन के शासन की स्थापना तक चली थी. इसलिए फ़्रांस की क्रांति का काल वर्ष 1789 से 1799 के बिच में रहा है.

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फ़्रांस की क्रांति की जानकारी

वर्ष 1789 और 1799 के बिच का काल फ्रांस के लिए मुख्यरूप से राजनैतिक और सामाजिक रूप से उथल पुथल वाला रहा था. इसके पश्चात् नेपोलियन बोनापार्ट ने इस क्रांति को आगे बढ़ाया था. जिसके फलस्वरूप गद्दी पर बैठे राजा को हटाया गया था तथा एक गणतंत्र देश की स्थापना की गई थी.

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इस क्रांति के अंतिम तक फ्रांस में राजशाही का दौर ख़त्म होकर नेपोलियन का तानाशाही का दौर शुरू हो गया था. इस क्रांति के फलस्वरूप पूरी  दुनिया को राजतन्त्र की हार और प्रजातंत्र की शुरुआत का सन्देश प्राप्त हुआ था. इस क्रांति का असर सिर्फ फ़्रांस में न होकर पुरे यूरोप पर पड़ा था. फ़्रांस की क्रांति से पुरे यूरोपीय देशो में राजतन्त्र को खत्म पर प्रजातन्त्र की स्थापना की ज्वाला फुट गई. फ्रांस की क्रांति ने पुरे विश्व की राजनिति को हिला दिया था. जिसका असर एशियाई देशो पर भी पड़ना स्वाभाविक था.

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फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे

फ़्रांस की क्रांति ने पुरे विश्व के राजतन्त्र को सन्देश दे दिया था. की अब जनता राजा के अत्याचारों का जवाब दे सकती है. फ़्रांस की क्रांति ने राजतन्त्र शासन व्यवस्था की नीव को हिला के रखा दिया था. फ़्रांस की क्रांति के कारण निम्नलिखित थे:

  • फ़्रांस की राजनितिक दशा पूरी तरह से निंदनीय हो गई थी. फ़्रांस के राजा को असीमित अधिकार प्राप्त थे .तथा राजत्व पूर्ण रूप से दैवीय सिध्दांत पर आधारित था. ऐसे में अयोग्य और अत्याचारी राज परिवार को बदलना अनिवार्य था.
  • लुई चौदहवे ने जिस केन्द्रीकरण शासन व्यवस्था की स्थापना की थी. उसमें शासन की डोर योग्य शासक के हाथ में होना जरुरी था. लेकिन लुई चौदहवे के पश्चात् लुई पन्द्रहवा और लुई सोलहवा दोनों शासक अयोग्य और अत्याचारी थे.
  • फ़्रांस की तत्कालीन सामाजिक परिस्थित फ़्रांस की क्रांति का अन्य मुख्य कारण था .क्योंकि फ़्रांसिसी समाज में अनेक विषमताए मौजूद थी. पुरा समाज को तीन वर्गों या स्टेटो (प्रथम स्टेट द्वितीय स्टेट और तृतीय स्टेट) में बटा हुआ था.
  • प्रथम स्टेट में चर्च के पादरी थे. जो कुलीनता की जिंदगी जीते थे. वही द्वितीय वर्ग में न्यायलय, सेना और अन्य सरकारी कार्यालयों में कार्य करने वाले लोग शामिल थे. तीसरे वर्ग में जनसाधारण लोग शामिल थे. जिसके पास किसी भी प्रकार का कोई अधिकार नहीं था. इस प्रकार पुरे समाज में असमानता थी.
  • समाज में किसानो की जनसँख्या सबसे सर्वाधिक थी. लेकिन किसानो की समस्याओ को सुनने वाला कोई नहीं था. किसानो को जमीदारो को अत्यधिक कर देना होता था. किसानो के मन में क्रांति की ज्वारा फुट रही थी.
  • फ़्रांस के राजाओ का खर्च इतना बढ़ चूका था. की राज्य दिवालियापन के कगार पर खड़ा था. लगातार युद्दों में भाग लेने के फलस्वरूप राजकीय कोष ख़ाली हो चूका था. सरकर की वाणिज्य इतनी दोषपूर्ण थी. जिससे व्यापार और उत्पादन को बढ़ाना संभव नहीं था.
  • फ्रांसि क्रांति का मुख्य कारण समाज सुधारक विचारक और दार्शनिक भी थे. उन्होंने जनता के दिलों में जल रही क्रांति की ज्वाला को बढ़ावा दिया. जिससे लोग शासन व्यवस्था को सुधारने के लिए सड़को पर उतर गए थे.
  • फ्रांसि की क्रांति मे मॉन्टेस्क्यू, वाल्टेयर, रूसो, दिदरो जैसे बुद्दिजीवियो का बड़ा योगदान रहा है.

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फ्रांसि क्रांति के विभिन्न चरण | फ़्रांस की क्रांति कैसे हुई थी

फ़्रांसिसी क्रांति को समझने के लिए इस क्रांति को चार भागो में बाटा गया है. यह चार चरण निम्नलिखित है:

प्रथम चरण (1789-1792)

यह क्रांति के शुरुआत का चरण था. प्रथम चरण में बास्तील के किले पर भीड़ ने नियंत्रण कर दिया. इसके साथ ही क्रांति की शुरुआत हो गई .थी 4 अगस्त 1789 की पूरी रात सभाओ का दौर चला. राष्टीय सभा ने मानवाधिकारों रक्षा के लिए एक संविधान का निर्माण किया. जिसे 26 अगस्त 1789 के दिन घोषित किया गया.

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द्वितीय चरण (1792-1794)

वर्ष 1791 में राष्ट्रिय संभा भंग होने के पश्चात् व्यस्थापिका सभा अस्तित्व में आई. यह व्यस्थापिका दक्षिणपंथी और वामपंथी दो भागो में बटी हुई थी. लेकिन दोनों की अवधारणा विदेशी ताकतों से फ़्रांस की जनता का हित था. चूँकि फ़्रांस की क्रांति का प्रभाव अन्य यूरोपीय देशों पर पड़ रहा था. इसलिए राजा ने ऑस्टेलिया से सहायता प्राप्त की.

ऑस्टेलिया ने ऐलान कर दिया की “फ़्रांस की जनता को राजा के आदेश का पालन करना अनिवार्य है. अन्यथा जनता पर कार्यवाही की जा सकती है.” इससे लोगो में राजा के प्रति गुस्सा अधिक बढ़ गया .जनता ने राजा को घर दिया.

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इसके पश्चात् राजा जान बचाने के लिए व्यस्थापिका के चरण में चला गया. अब व्यस्थापिका का भंग कर वयस्क मताधिकार के द्वारा चुनाव कराने पर विचार किया जाने लगा. इसके लिए नेशनल कन्वेशन का गठन 21 सितम्बर 1792 में किया गया.

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तृतीय चरण (1794-99)

नेशनल कन्वेशन ने एक संविधान का निर्माण कर कार्यपालिका का कार्य एक 5 सदस्य वाले मंडल को सौप दिया. जिसे इतिहास में डायरेक्टर का शासन कहते है. यह शासन वर्ष 1795 से लेकर 1799 तक चला. फ़्रांस की जनता के लिए यह शासन सबसे दुखद और अव्यवस्थित रहा.

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चौथा चरण (1799-1814)

वर्ष 1799 में नेपोलियन ने डायरेक्टर के शासन का अंत किया. और खुद को राजा घोषित कर दिया. इसके साथ ही फ़्रांस में नेपोलियन के शासन की शुरुआत हो गई थी.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (फ्रांस की क्रांति कब हुई थी | फ्रांस की क्रांति के कारण  | france ki kranti kab hui) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको फ़्रांस की क्रांति के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. फ़्रांसी की क्रांति की शुरुआत सन 1789 में हुई थी. तथा यह क्रांति 1799 तक नेपोलियन के शासन की स्थापना तक चली थी. फ़्रांस की क्रांति ने पुरे विश्व के राजतन्त्र को सन्देश दे दिया था .की अब जनता राजा के अत्याचारों का जवाब दे सकती है.

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