गाँधी जी की मृत्यु कब हुई थी | गाँधी जी की मौत कब हुई थी

गाँधी जी की मृत्यु कब हुई थी – गाँधी जी की मौत कब हुई थी – gandhi ji ki mrityu kab hui thi – gandhiji ki maut kab hui thi –  महात्मा गाँधी को अहिंसा और शांति के पुजारी के लिए रूप में याद किया जाता हैं. महात्मा गाँधी ने दुनिया को हिंसा और शोषण से खिलाफ लड़ने के लिए अहिंसा और शांति का मार्ग दिखाया था. बापू के सिध्दान्तो को आज भी अध्ययन किया जाता हैं. इस आर्टिकल में हम जानेगे की महात्मा गाँधी की हत्या कब हुई थी. और इसके पीछे की पूरी घटना आपको इस आर्टिकल के जरिये पढने को मिलेगी.

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गाँधी जी की मृत्यु कब हुई थी | गाँधी जी की मौत कब हुई थी (gandhi ji ki mrityu kab hui thi – gandhiji ki maut kab hui thi)

भारत के राष्ट्र पिता हमारे प्रिय बापू की हत्या 30 जनवरी, 1948 में हुई थी. जब महात्मा गाँधी हर रोज की तरह दिल्ली में स्थित बिड़ला भवन में एक शाम प्रार्थना के लिए जा रहे थे. तब नाथूराम गोडसे बापू के चरणों को चुने के लिए निचे झुका और ऊपर उठते ही पिस्तौल से तीन गोलिया बापू के शरीर में दाग दी. जिससे बापू उसी क्षण जमीन पर गिर गए. इस घटना से पुरे देश के साथ पूरा विश्व दुखी था.

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पुलिस ने अपराधिक घटना पर शीघ्र कार्यवाही करते हुए. नाथूराम सहित आठ लोगो को हत्या की साजिश रचने के लिए गिरफ्तार किया था. इन आठो में से तीन आरोपी विनायक दामोदर सावरकर, दिगंबर बडगे और शंकर किस्तैया को बाद में छोड़ दिया गया था. विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ साजिस में शामिल होने के कोई सबुत नहीं थे. शंकर किस्तैया को सरकार ने गवाह के रूप में पेश किया था. और दिगंबर बडगे को उच्च न्यायलय में अपील करने के कारन छोड़ दिया गया था.

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बचे हुए पांच आरुपियो में से दो को फाँसी और तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. गोपाल गोडसे, विष्णु रामकृष्ण और मदनलाल पाहवा को आजीवन कारावास और नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को  फाँसी की सजा सुनाई गई थी.

बापू के मृत्यु के दिन क्या हुआ था?

गाँधी जी अकसर कहा करते थे. की उनकी जिन्दगी ईश्वर के हाथ में जब मौत लिखी होगी. तब उनको कोई नहीं बचा पाएगा. इसी बात पर उन्होंने सरकार से सुरक्षा लेने से भी बिल्कुल मना कर दिया था. यहा तक की बिड़ला भवन में आने वाले लोगो की जाँच पड़ताल से भी मना कर दिया था. गाँधी जी की हत्या के ठीक दस दिन पहले ही बिड़ला भवन में बम विस्फोट की घटना हो चुकी थी. अंत सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री श्री सरदल वल्लभ भाई पटेल को उनकी चिंता थी.

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सरकार पटेल ने गाँधी जी की सुरक्षा में कमांडो सादे कपड़ो में लगाए थे. लेकिन जाँच नहीं होने के कारन गोडसे आसानी से पिस्तौल के साथ बिडला भवन में घुस गया था. इसी दिन सरदार पटेल गाँधी जी से निजी चर्चा करने के लिए आए थे. जिसके कारन गाँधी जी को प्रार्थना में आने से देरी भी हो गई थी. गाँधी जी जैसे ही अपनी शिष्या मनु और आभा के कंधो पर हाथ रखते हुए और सहारा लेते हुए बाहर आए.

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तभी गोड़से उनके सामने आ गया. और गाँधी के पैरो को चुने लगा. और वह जैसे ही ऊपर उठा. अपनी पिस्तौल से तीन गोलिया गाँधी जी के शरीर पर दाग दी. दो गोली गाँधी जी के शरीर के आरपार चली गई. लेकिन एक गोली बापू के शरीर में रह गई. गाँधी जी उसी क्षण जमीन पर गिर गए. और हमेशा के लिए हमे छोड़ कर चले गए.

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निष्कर्ष

गाँधी जी की हत्या से पूरा विश्व सदमे था. किसी अहिंसा और शांति के पुजारी की इस प्रकार से निर्मम हत्या होना. हमारे लिए दुर्भाग्य था. लेकिन बापू के सिध्दांत आज भी हमारे बिच जिन्दा हैं. जो हमे सिखाते हैं की शांति से भी लड़ना संभव हैं. शांति और अहिंसा के मार्ग से भी हम अपनी बात किसी को मना सकते हैं. इस आर्टिकल में हमने आपको बताया की गाँधी की मृत्यु कब और कहा हुई थी. इस आर्टिकल में हमने गाँधी की मृत्यु की पूरी कहानी बताई हैं.

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