Globe kise kahate hain | अंतराष्ट्रीय स्तर पर समय को कैसे निर्धारित किया जाता है

Globe kise kahate hain | ग्लोब में अक्ष और कक्ष | अंतराष्ट्रीय समय रेखा | अक्षांक रेखाए | देशांतर रेखाए – जब आपको भी किसी अनजान स्थान पर जाना होता है. तो आप गूगल मैप की सहायता लेते है. गूगल मैप नवीनतम तकनिकी के साथ काफी हद तक कारगर भी है. लेकिन पुराने समय में जब गूगल मैप जैसी तकनीक नहीं थी. तो लोग नक्शा के उपयोग से रास्ता ढूढ़ते थे. लेकिन किसी जगह की सही स्थिति और आकृति का अध्ययन नक्शे के माध्यम से करना भी असंभव है. इसलिए ग्लोब का अविष्कार किया गया है.

इस आर्टिकल में हम ग्लोब और उससे जुड़ी विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेगे. इसके साथ ही आर्टिकल में हम अंतराष्ट्रीय समय मानक का भी अध्ययन करेगे. और जानकारी प्राप्त करेगे की अंतराष्ट्रीय स्तर पर समय को कैसे निर्धारित किया जाता है.

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ग्लोब किसे कहते है | globe kise kahate hain

हमारी पृथ्वी आकार में गोल है. तथा इस पृथ्वी पर अनेक देश, महासागर, पहाड़ इत्यादि है. ग्लोब हमारी गोल पृथ्वी का ही एक लघु रूप है. जिसमे देश, महासागर, पहाड़ इत्यादि की आकृतियों और स्थितियों को लघु रूप में दर्शाया गया है. हम सब ने कभी ना कभी नक्शा जरुर देखा होगा. नक़्शे में पृथ्वी की विभिन्न आकृतियों और उनकी स्थितियों को कागज पर पदर्शित किया जाता है.

वही ग्लोब में समान वस्तुओ को गोल गेंदनुमा आकार के गोले के ऊपर उनकी आकृति, स्थान और दशा के अनुसार प्रदर्शित किया जाता है. जिससे वस्तुओ की आकृति और स्थित को सही प्रकार से अध्ययन करना संभव हो पाता है.

नक्शा किसे कहते हैं | Naksha kise kahate hain

ग्लोब में अक्ष और कक्ष

जब आप ग्लोब को देखते तो पाएगे की यह सीधा नहीं होता है. अपितु एक तरफ थोडा झुका हुआ होता है. अगर आप ध्यान से इसके झुकने के कारन को जानने की कोशिश करेंगे तो आप पाएगे की ग्लोब के निचे स्टैंड पर एक किल होती है. जो पुरे ग्लोब के आर पार निकली होती है. और इसी वजह से ग्लोब एक तरफ थोड़ा झुका हुआ होता है. इसी किल को ग्लोब का अक्ष कहा जाता है. यह एक काल्पनिक रेखा जिसके चारो ओर ग्लोब घूर्णन करता है.

जैसे हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर घुमती है. ठीक वैसे ही ग्लोब भी अपने अक्ष पर घूमता है. यह अक्ष पर पश्चिम से पूर्वं की ओर घूमती है. तथा ग्लोब भी पृथ्वी के अनुपात में अपने तल से 66 डिग्री के कोण पर झुका होता है. इसप्रकार पृथ्वी का घूर्णन अक्ष अपने परिक्रमण कक्ष से 66 डिग्री झुका होता है.

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अक्षांक रेखाए

भूगोलवेत्ताओ ने अध्धयन के लिए ग्लोब पर अनेक काल्पनिक खड़ी और लेटी हुई रेखाए बनाई है. इन्ही रेखाओ में वह लेटी हुई रेखा जो ग्लोब को दो समान भागो में विभाजित करती है. उसे भूमध्य रेखा या विषुवत रेखा कहते है. यह रेखा ग्लोब को दो समान भागो में विभाजित करती है. ग्लोब का वह भाग जो उत्तर में स्थित है उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिण में उपस्थित भाग को दक्षिणी गोलार्द्ध कहा जाता है.

भूमध्य रेखा ग्लोब को समान भागो में विभाजित करती है. तथा भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण भाग में किसी भी वस्तु की कोणीय स्थिति को अक्षांक कहा जाता है. अक्षांक को अंश, मिनट और सेकंड में बाटा गया है. भूमध्य रेखा सबसे लम्बी अक्षांक है. जिसकी लम्बाई 40,069 किलोमीटर है. भूमध्य रेखा से धुर्वो की ओर जाते हुए इन अक्षांक रेखाओ की लम्बाई कम होती जाती है.

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देशांतर रेखाए

उत्तरी धुर्व और दक्षिणी धुर्व को मिलाने वाली काल्पनिक रेखाओ को देशांतर रेखा कहा जाता है. वह रेखाए भूमध्य रेखा के लम्बवत होती है. भूमध्य रेखा पर दो देशांतर रेखाओ के मध्य की अधिकतम दुरी 111.32 किलोमीटर होती है

अंतराष्ट्रीय समय रेखा

वह देशांतर रेखा जो ब्रिटेन के ग्रीनविच से गुजरती है. उसे अंतराष्ट्रीय समय रेखा कहा जाता है. इसे 0 अंश देशांतर या प्रधान मध्यान्ह रेखा भी कहा जाता है. एक डिग्री देशांतर को पार करने में हमारी पृथ्वी को 4 मिनट का समय लगता है. अर्थात 0 देशांतर से 90 डिग्री देशांतर तक पहुचने के लिए कुल 6 घंटे का समय लगता है.

स्थानीय समय क्या है?

जब किसी स्थान की देशांतर रेखा सूर्य के ठीक निचे हो तो वहा की घड़ियों में दोपहर के 12 बजा लिए जाए. तो वह समय वहा का स्थानीय समय हो जाता है. इस प्रकार एक देशांतर पर स्थित सभी स्थानों का समय एक समान हो जाता है.

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अंतराष्ट्रीय स्तर पर समय को कैसे निर्धारित किया जाता है | विश्व का मानक समय

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अगर सभी स्थानों का समय स्थानीय समय के अनुसार रखा जाए तो अंतराष्ट्रीय परिवहन और दूरसंचार की सेवा ठप्प हो जाती है. इसका हल निकालने के लिए सन 1884 में वाशिगटन डीसी में आयोजित एक सम्मेलन में ग्रीनविच रेखा को 0 अंश देशांतर रेखा मान कर विश्व को समय कटीबंधो में विभाजित करने की योजना बनाई गई.

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इस योजना के अनुसार पुरे विश्व को 24 मुख्य और 48 गौण कटीबंधो में विभाजित किया गया है. तथा प्रत्येक कटिबंध में 15 अंश या 7 अंश 30 मिनट देशांतर रखा गया है. इससे दो निकटवर्ती कटीबंधो के समय में एक या आधे घंटे का फर्क होता है.

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (Globe kise kahate hain | ग्लोब में अक्ष और कक्ष | अंतराष्ट्रीय समय रेखा | अक्षांक रेखाए | देशांतर रेखाए) को लिखने का उद्देश्य आपको ग्लोब और ग्लोब से जुड़ी विभिन्न जानकारियों को बिल्कुल सरल भाषा में बताना है. ग्लोब में विभिन्न देशों और महासागरो को गोल गेंदनुमा आकार के गोले के ऊपर उनकी आकृति, स्थान और दशा के अनुसार प्रदर्शित किया जाता है. जिससे वस्तुओ की आकृति और स्थित को सही प्रकार से अध्ययन करना संभव हो पाता है.

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