Jalvayu kise kahate hain | Jalvayu kya hai

जलवायु किसे कहते हैं – जलवायु का अर्थ – जलवायु क्या हैं – (jalvayu kise kahate hain – jalvayu kya hai) – पृथ्वी पर शुरू से लेकर अभी तक विभिन्न परिवर्तन होते रहे. कही सभ्यता यहा विकसित हुई. और वातावरण में परिवर्तन के कारन नष्ट हो गई. प्रकृति इन्सान से ऊपर हैं. तथा इन्सान को प्रकृति को समझने की जरूरत होती हैं. तभी इन्सान पृथ्वी पर सुरक्षित जीवन यापन कर सकता हैं. इस आर्टिकल में हम जलवायु को विस्तार से समझेगे. तथा इस आर्टिकल में हम जानेगे की जलवायु का अर्थ क्या हैं और जलवायु का वर्गीकरण किस प्रकार से किया गया हैं.

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जलवायु किसे कहते हैं | जलवायु का अर्थ | जलवायु क्या हैं – (jalvayu kise kahate hain – jalvayu kya hai)

जलवायु शब्द किसी स्थान के वातावरण की स्थिति को बताने के लिए उपयोग किया जाता हैं. जलवायु शब्द दो शब्द जल और वायु से मिलकर बना हैं. यह शब्द वायुमंडल या वातावरण में जल और वायु के अनुपात को दर्शाता हैं. किसी स्थान का जलवायु उस स्थान के लम्बे समय तक मौसम के औसत प्रकार को दर्शाता हैं.

जैसे राजस्थान का जलवायु गर्म हैं. वही कश्मीर का जलवायु ठंडा हैं. अंत राजस्थान में साल के अधिकतम समय गर्मीं रहती हैं. और कश्मीर में साल के अधिकतम समय सर्दी रहती हैं. जलवायु शब्द मौसम से ज्यादा नजदीक हैं. जबकि जलवायु लम्बे समय तक किसी स्थान पर मौसम के रुझान को दर्शाता हैं. लेकिन मौसम अल्पकालीन वायुमंडल के रुझान को दर्शाता हैं.

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वैज्ञानिक बताते हैं की पृथ्वी का वर्तमान जलवायु हज़ारों सालो में वायुमंडल में ऊर्जा और पदार्थो के क्रियाओ का फल हैं. किसी भी स्थान की जलवायु उस स्थान के ऊष्मा, आद्रता, वायु, जल इत्यादि का एक मिश्रण रूप होता हैं.

जलवायु की विशेषताए क्या हैं?

जलवायु की विशेषताए निम्नलिखित हैं:

  • किसी स्थान का जलवायु उस स्थान पर लम्बे समय तक मौसम का औसत अनुमान होता हैं.
  • जलवायु किसी विशाल भू-भाग की वायुमंडलीय दशाओ का प्रतिनिधित्व करता हैं.
  • जलवायु किसी स्थान के वायुमंडलीय विशेषताओ का प्रतिनिधित्व करता हैं.
  • जलवायु से किसी स्थान के वायुमंडल में ऊर्जा और पदार्थो के विनिमय का आभास होता हैं.

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जलवायु का वर्गीकरण

बीसवी शताब्दी के शुरुआत से ही जलवायु प्रदेशो को तापमान और वर्षा के आधार पर विभाजित किया गया हैं. जर्मन मौसमवेत्ता व्लादिमिर कोपेन ने सन 1900 में जलवायु प्रदेशो को 5 भागों में विभाजित किया. जिसे कोपेन जलवायु मौसम वर्गीकरण कहा जाता हैं. इस में उन्होंने 1918 से 1936 के बिच अनेक अहम बदलाव किए.  इसके बाद भागों को उपभागो और लघुविभागों में भी बाटा तथा इन्हें सूत्रों के द्वारा भी दर्शाया गया.

कोपेन जलवायु मौसम वर्गीकरण के पांच मुख्य विभाग निम्नअनुसार हैं:

उष्णकटिबंधीत आर्द्र जलवायु

इन जलवायु प्रदेशो में औसत तापमान 18 डिग्री से अधिक रहता हैं. इन प्रदेशो में साल के अधिकतम समय बारिश रहती हैं. और जलवायु में आर्द्रता रहती हैं.

शुष्क जलवायु

इन जलवायु प्रदेशो में वर्षा से ज्यादा वाष्पीकरण होता हैं. अंत इन प्रदेशो की जलवायु शुष्क या अर्ध शुष्क रहती हैं.

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उष्ण शीतोष्ण (मध्य अंक्षाशीय जलवायु)

इन प्रदेशो में अत्यधिक ठन्डे समय में तापमान 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक और 18 डिग्री सेल्सियस से कम रहता हैं.

महाद्वीपीय (शीतल हिम-वन जलवायु)

इन प्रदेशो में अत्यधिक ठंडी के समय तापमान 0 से 3 डिग्री सेल्सियस के बिच में रहता हैं.

ध्रुवीय या शीत जलवायु

इन प्रदेशो में हमेशा ही बर्फ जमी रहती हैं. यहा पुरे साल जलवायु 10 डिग्री सेल्सियस से कम रहता हैं.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको जलवायु के बारे में विस्तार से जानकारी देना हैं. किसी स्थान का जलवायु उस स्थान में लम्बे समय तक वातावरण और वायुमंडल की स्थिति का औसत होता हैं. जलवायु एक दीर्घ रूप हैं. वही मौसम एक लघु रूप हैं.

आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद.

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