Kabir das ke guru kaun the | कबीर दास का जीवन परिचय, पत्नी, पुत्र, पुत्री, जन्म, मृत्यु

kabir das ke guru kaun the | कबीर दास के गुरु कौन थे | कबीर दास का जीवन परिचय, पत्नी, पुत्र, पुत्री, जन्म, मृत्यु, साहित्यिक विशेषताएँ  – गुरु के बिना ज्ञान अधूरा होता है. गुरु ही व्यक्ति को मंजिल तक पहुँचता है चाहे आध्यात्म्क जीवन हो या सांसारिक जीवन हो. व्यक्ति के जीवन में गुरु माता पिता के बाद सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस आर्टिकल में हम राम भक्त रत्न कबीर दास के गुरु के बारे में जाने।गे इसके साथ ही इस आर्टिकल में हम जानेगे की कबीर दास को अपने गुरु कैसे प्राप्त होए थे.

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कबीर दास के गुरु कौन थे | kabir das ke guru kaun the

संत श्री कबीर दास जी ने रामानंद जी को अपना गुरु माना था. रामानंद जी ने कबीर दास जी को गुरु मंत्र के रूप में “भगवान राम” का नाम दिया था. रामानंद जी अपने समय के सुप्रसिद्ध ज्ञानी माने जाते थे. वह वेद और गीता ज्ञान का खूब प्रचार किया करते थे. जब रामानंद जी ने कबीर दास जी को अपना शिष्य बनाया तब रामानंद जी की आयु 104 वर्ष थी और कबीर दास जी की आयु 5 वर्ष थी. रामानंद जी को कबीर दास जी गंगा घाट पर बाल स्वरूप में मिले थे.

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रामानंद और कबीर दास जी की मुलाकात की कहानी

रामानंद जी को कबीर दास जी पंच गंगा घाट पर लीलामय रूप में लीला करते हुए मिले थे. रामानंद जी पंच गंगा घाट पर प्रतिदिन स्नान करने जाया करते थे. उसदिन रामानंद जी की खडाऊ कबीर दास जी के लीलामय शरीर में लगी और उनके मुख से ‘राम राम’ शब्द निकला तब कबीर ने रोने की लीला की और रामंनद जी ने उन्हें गोदी में उठाया उस दौरान रामानंद जी की कंठी कबीर के गले में आ गिरी तब से ही रामानंद जी कबीर दास जी के गुरु कहलाए.  

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कबीर दास का जीवन परिचय

कबीर दास जी का पूरा नाम संत कबीरदास था. उन्हें एक अन्य नाम कबीरा नाम से भी जाना जाता है. कबीर दास जी ने समाज में फैली अंधविश्वास और कुरीतियो की कड़ी आलोचनाए की वे बहुत बड़े समाज सुधारक एवं कवि थे. उन्होंने अपने विचारों से समाज को बदल दिया है. संत श्री कबीर दास जी भक्ति कालीन निर्गुण संत काव्य धारा के सर्वश्रेष्ठ कवि थे. वे एक सच्चे भक्त सुप्रसिद्ध कवि और सच्चे समाज सुधारक थे. सखी, शब्द और रमानी महाकवि कबीर दास जी की रचनाएं है.

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कबीरदास का जन्म कहां हुआ था

संत श्री कबीर दास जी का जन्म  वर्ष 1398 में काशी में स्थित लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प के ऊपर बालक स्वरूप में हुआ था. नीरू और नीमा नामक दंपति ने उन्हें पाला और उनका पालन पोषण किया.

कबीर दास की पत्नी का क्या नाम था

कबीर दास जी की पत्नी का नाम लोई था.

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कबीर के पुत्र तथा पुत्री का क्या नाम था

कबीर दास जी के एक पुत्र तथा एक पुत्री थी. पुत्र का नाम कमल और पुत्री का नाम कमाली था.

कबीर दास की मृत्यु कब और कहां हुई

माना जाता है की संत श्री कबीर दास जी ने अंतिम समय के लिये मगहर को चुना था. वाराणसी से करीब दौ सौ किलोमीटर के अन्तर पर संत कबीर नगर जिले में एक छोटा सा कस्बा है मगहर. वही इनकी मृत्यु हुई थी. कबीर दास जी ने अपना पूरा जीवन वाराणसी के काशी में बिताया. वही उनका जन्म भी हुआ. लेकिन आखरी समय वो मगहर चले गए और पांच सौ साल पहले 1518 में मगहर में ही उनकी मृत्यु हुई.

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लोगो मे ऐसी भ्रांति और अंधविश्वास था कि काशी में मुत्यु होने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है. और मगहर मे मरने वाला अगले जन्म में गधा होता है या फिर उन्हें नरक में जन्म मिलता हैं. मगहर को लोग अपवित्र जगह मानते थे. इसी अंधविश्वास को तोड़ने के लिए संत श्री कबीर दास जी उनके अंतिम समय मे मगहर चले गए.

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कबीर दास की साहित्यिक विशेषताएँ

संत श्री कबीर दास जी सुप्रसिद्ध महाकवि थे. संत श्री कबीर दास जी समाज सुधारक और महाकवि थे. उनके द्वारा लिखी गई मुख्य रचनाएँ साखी,सबद और रमैनी है. उनके मुख्य संबंधित लेख कबीर ग्रन्थावली, कबीरपंथ, बीजक और कबीर के दोहे आदि शामिल हैं. कबीर दास जी की कविताओ में सामाजिक उत्पीडन, अंधविश्वास का विरोध, जाति प्रथा का विरोध, धर्मनिरपेक्षता, ईश्वर के समक्ष सबकी समानता इत्यादि मुद्दे केन्द्रित थे.

कबीर कि भाषा कोनसी थी

संत श्री कबीर दास जी की भाषाए अवधी, सधुकुड़ी और पंचमेल खिचड़ी थी. कबीरजी की रचनाओं में अनेक भाषा मिलती है. जैसे कि पंजाबी, ब्रजभाषा, फ़ारसी, अरबी, खड़ीबोली इत्यादि.  इसलिए इनकी भाषा को सधुकुड़ी और पंचमेल खिचड़ी भी कहा जाता है.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (kabir das ke guru kaun the | कबीर दास के गुरु कौन थे | कबीर दास का जीवन परिचय, पत्नी, पुत्र, पुत्री, जन्म, मृत्यु, साहित्यिक विशेषताएँ) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको संत श्री कबीर दास जी के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. इस आर्टिकल में हमने संत श्री कबीर दास जी के जीवन परिचय उनके परिवार तथा गुरु के बारे में जानकारी दी है. हमने कबीर दास जी की भाषा उनकी रचनाए तथा उनकी कविताओ के बारे में वर्णन किया है.

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