कला किसे कहते है | कला की परिभाषा | कला का वर्गीकरण | कला के कितने रूप होते हैं

कला किसे कहते है | कला की परिभाषा | कला का वर्गीकरण | कला के कितने रूप होते हैं | kala kise kahate hain – इन्सान शुरू से खुबसुरती और सौन्दर्य का पुजारी रहा है. हमे सुन्दर वस्तुए पसंद है. और सुन्दर वस्तुए हमेशा हमारे दिल को भाति है. प्रत्येक इन्सान हमेशा सुंदर वस्तुओ की मन में कामता करता है. और इन्ही भावनाओ से प्रभावित होकर हमने विभिन्न रचनाए की जैसे संगीत का निर्माण, काव्यो का निर्माण, सुंदर इमारतो का निर्माण, मूर्तियों का निर्माण इत्यादि किया.

इन सुंदर वस्तुओ के निर्माण की प्रक्रिया और काबिलियत को ही कला नाम दिया गया है. इस आर्टिकल में हम जानेगे की कला क्या है. और विभिन्न विद्वानों ने कला को किस प्रकार से परिभाषित किया है. साथ ही इस आर्टिकल में हम कला के विभिन्न शाखाओ और प्रकारों का ही वर्णन कर रहे है.

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कला किसे कहते है | kala kise kahate hain

कला एक विस्तृत शब्द है कला शब्द से तात्पर्य मनुष्य के मन की सच्ची भावनाओ और हृदय की गहराईयो में स्थित भावनाओ की सुंदर प्रस्तुति से है. मन की स्थिति को माननीय क्रियाओ के द्वारा दर्शाना ही कला है. जैसे नृत्यु में अनेक भाव होते है. नृत्यु करते समय कलाकार के मन में ख़ुशी, हसी, गुस्सा, लोभ इत्यादि भाव आते है. यह भाव कलाकार के नृत्यु में भी प्रकट होते है. इसे ही कला कहा जाता है.

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कला की परिभाषा

समय समय पर विभिन्न विद्वानों ने कला को परिभाषित करने की कोशिश की है. जिसका अध्ययन करके हम कला के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है. यह परिभाषाए निम्न अनुसार है:

कला की परिभाषा

रविन्द्रनाथ टैगोर के अनुसार “जो सत्य और सुन्दर है वही ही कला है.”

अरस्तु के अनुसार “कला हमारी प्रकृति के सुन्दर अनुभवों का अनुकरण है.”

प्लेटो के अनुसार “कला सत्य की अनुकृति है.”

मनोवैज्ञानिक फ्रायड के अनुसार “दमिन वासनाओ का उभरा हुआ रूप ही कला है.”

कला शब्द की उत्पत्ति

कला शब्द कल धातु से बना हुआ है. कल धातु का अर्थ सुंदर से है. तथा इसमें ला धातु भी लगता है. जिसका अर्थ होता है प्राप्त करना. इस प्रकार दोनों धातुओ को मिला कर कला शब्द से तात्पर्य सुन्दरता को प्राप्त करने से है.

अंग्रेजी में कला शब्द के लिए art प्रयोग किया जाता है. आर्ट शब्द लैटिन शब्द आर्स (ars) से बना है. जिसका ग्रीक भाषा में रूपान्तर TEXVEN है. इस शब्द का अर्थ शिल्प और विशेष निपुण से है. इस प्रकार art शब्द का अर्थ विशेष गुणों से निपुण से है.

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कला कितने प्रकार की होती है | कला का वर्गीकरण

कला को मुख्यरूप से दो भागो में बाटा गया है. यह दो रूप निम्नलिखित है:

देखने योग्य कला

वह कला की अनुभूति जिसे देखा जा सकता है. उसे देखने योग्य कला कहा जाता है. देखने योग्य कला के उदाहरण नृत्यु, शिल्पकला, मूर्तिकला, चित्रकला इत्यादि है.

सुनने योग्य कला

वह कला जिसे देखा नहीं जा सके और सिर्फ सुनकर अनुभव कीया जा सके. उसे सुनने योग्य कला कहा जाता है. सुनने योग्य कला के उदाहरण काव्यकला, संगीत, गीत, सुरीली-ध्वनिया इत्यादि है.

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कला की प्रमुख शाखाए

हमने देखा की कला मुख्यरूप से दो प्रकार की होती है देखने वाली कला और सुनने वाली कला. यहाँ पर हम कला की विभिन्न शाखाओ के बारे में जानेगे की कला की कितनी शाखाए होती है. कला की शाखाए निम्नलिखित है:

संगीत कला

संगीत को कला में सबसे ऊचा दर्जा दिया गया है. क्योंकि संगीत वह कला है जिसमे छोटी छोटी वस्तु का भी बहुत बारिके के साथ ध्यान रखा जाता है. इसमें भौतिक वस्तुओ को कम महत्त्व नहीं दिया गया है. अपितु मन के भाव को सुंदर रूप में प्रस्तुत किया जाता है. जो सुख और आनंद की अनुभूति संगीत सुनने में मिलती है. वह कला की दूसरी शाखाओ में नहीं मिलती. इसलिए संगीत सबसे सर्वश्रेष्ठ कला है.

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काव्यकला

काव्यकाल वह कला है जिसमे शब्दों का महत्त्व होता है. इसमें भी भौतिक वस्तुओ को महत्त्व नहीं दिया जाता है. जो भाव मन में उभरते है उन्हें कवि अपने कलम के द्वारा लिखते है और श्रोता इन भावो और शब्दों के सही मायने समझ कर आनंद प्राप्त करता है.

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चित्रकला

चित्रकला का स्थान कला की शाखाओ में महत्वपूर्ण है. कला की इस शाखा में कलाकार अपने मन के भाव को कागज पर उतारता है. इस कला में निपूर्ण होने के लिए निरंतर अभ्यास की जरूरत होती है.

मूर्तिकला

चित्रकला की तरह ही मूर्तिकला भी कला की एक महत्वपूर्ण शाखा है. लेकिन कला की इस शाखा में भावो को कागज पर नहीं अपितु पत्थर या धातु पर प्रदर्शित किया जाता है. इस कला में मिट्टी, पत्थर, हथोड़ा और अन्य छोटे औजारों का इस्तेमाल किया जाता है.

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वास्तुकला

वास्तुकला कला भी कला की प्रमुख शाखा है. लेकिन इस कला में भौतिकता को ज्यादा जगह दी गई है. इसलिए वास्तुकला को अन्य कलाओ के बाद जगह दी गई है. इस कला में भारी भरकम वस्तुओ का इस्तेमाल किया जाता है जैसे ईटे, पत्थर, चुना, सीमेंट, सरिया इत्यादि.

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (कला किसे कहते है | कला की परिभाषा | कला का वर्गीकरण | कला के कितने रूप होते हैं | kala kise kahate hain) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको कला के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. कला शब्द से तात्पर्य मनुष्य के मन की सच्ची भावनाओ और हृदय की गहराईयो में स्थित भावनाओ की सुंदर प्रस्तुति से है. मन स्थिति को माननीय क्रियाओ के द्वारा दर्शाना ही कला है. हमने इस आर्टिकल में देखा की कला मुख्यरूप से दो प्रकार की होती है देखने वाली कला और सुनने वाली कला.

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आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद.

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