Kalam ka sipahi kise kaha jata hai | कलम का सिपाही

कलम का सिपाही किसे कहा जाता हैं | kalam ka sipahi kise kaha jata hai – भारत में कही ऐसे लेखक और कवि हुए जिन्होंने अपने कलम के दम पर सामाजिक बुराइयों और बेसहारो पर अत्याचारो को उजागर कीया. ऐसे ही लेखक और उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद भी थे. उनके द्वारा लिखे गए साहित्य सन 1906 से लेकर 1936 तक तीस वर्षो के भारतीय समाज का चित्रण करता हैं. मुंशी जी दहेज़, विधवा विवाह, लगान, छुआछुट, और अनमेल विवाह जैसी प्रमुख समस्याओ का चित्रण अपने साहित्य में किया. इस आर्टिकल में जानेगे की कलम के सिपाही किसे कहा जाता हैं.

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कलम का सिपाही किसे कहा जाता हैं | kalam ka sipahi kise kaha jata hai

कलम का सिपाही मुंशी प्रेमचंद को कहा जाता हैं. मुंशी जी हिंदी और उर्दू के सबसे लोकप्रिय उपन्यासकार, विचारक और कहानीकार थे. उन्होंने प्रेमाश्रम, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान जैसे प्रसिध्द उपन्यास, और परमेश्वर, कफ़न, बड़े घर की बेटी, बूढी काकी, पूस की रात इत्यादि कहानिया लिखी थी.

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मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लमही गाँव में हुआ था. उनके पिताजी एक कायस्थ समुदाय से थे. उनके पिताजी लमही गाँव के डाक मुशी थे. जिनका नाम अजायबराय और माताजी का नाम आनंदी देवी था. मुंशी प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपतराय श्रीवास्तव था. जब वह सात साल के तभी उनकी माता का देहांत हो गया था. पिता ने उसके बाद दूसरी शादी कर दी थी.

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सौतिली माँ का प्रेमचंद के साथ व्यव्हार अच्छा नहीं था. और जब वह सोलह साल के थे तब उनके पिताजी भी गुजर गए थे. इस प्रकार उनके सौतेले माता और भाई-बहनों की जिम्मेदारी प्रेमचंद पर आ गई थी. मुंशी प्रेमचंद का 15 साल की आयु में विवाह हो गया था. लेकिन वह अपनी पत्नी ने खुश नहीं थे. अंत उनकी पत्नी उनके साथ नहीं रहती थी.

प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त कुरतियो के खिलाफ 26 साल की आयु में एक बाल विधवा शिवरानी देवी से दुबारा शादी की थी. शिवरानी देवी खुद शिक्षित महिला थी. जिन्होंने कही कहानिया और ‘प्रेमचंद घर में’ पुस्तक भी लिखी थी. मुंशी जी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रूचि रखते थे. 13 साल की उम्र में उन्होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा  पढ़ लिया था.

मुंशी प्रेमचंद पिताजी के मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी को समझते हुए. मैटिक पास करने के पश्चात् 1898 में स्थानीय विधालय में शिक्षक की नौकरी करने लग गए. नौकरी के साथ उन्होंने पढाई भी जारी रखी. 1910 में उन्होंने इंटर की परीक्षा अंग्रेजी, दर्शन फारसी और इतिहास विषय के साथ पास की. इसके बाद 1919 में अंग्रेजी, फारसी और इतिहास में बी.ए. पास किया था. और शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर के रूप में लग गए.

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1921 में स्वंत्रता संग्राम की लड़ाई पुरे देश में तेज हो रहि थी. असहयोग आन्दोलन के दौरान गाँधी जी के आहवान पर उन्होंने इसी साल 23 जून, 1921 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया. तथा मर्यादा और माधुरी जैसी पत्रिकाओ में पत्रकार बन गए. उन्होंने प्रेस के व्यवसाय में हाथ आजमाने के लिए प्रवासीलाल के साथ मिलकर प्रेस भी खरीदी. लेकिन प्रेस का व्यवसाय उनके लिए लाभप्रद सिध्द नहीं हुआ.

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अपना ऋण चुकाने के लिए प्रेमचंद ने फिर से 1933 में मोहनलाल भवनानी के सिनेटोन कंपनी में कहानी लेखक के रूप में कार्य किया. लेकिन फ़िल्मी दुनिया की नौकरी भी उन्हें रास नहीं आए. मुंशीजी ने दो महीने का वेतन छोड़ कर वाराणसी चले गए. जहा लम्बी बीमारी के पश्चात् उनकी मृत्यु 8 अक्टूबर, 1936 में हो गई थी. एक महान लेखक की सांसे लम्बे संघर्ष के बाद शांत हो गई थी.

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (कलम का सिपाही किसे कहा जाता हैं | kalam ka sipahi kise kaha jata hain) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको मुंशी प्रेमचंद के जीवन के बारे में बताना हैं. मुंशी जी एक सच्चे समाज सुधारक, स्वंत्रता सेनानी, साहित्यकार और प्रगतिवादी आन्दोलनकारी थे. मुंशी प्रेमचंद को कलम का सिपाही भी कहा जाता हैं. क्योंकि इन्होने अपने कलम के दम पर समाज में व्याप्त कुरतियो के खिलाफ़ सामाजिक आन्दोलन किया था. मुंशीजी आज भी उनके द्वारा लिखी गई कहानियों, साहित्यों और उपन्यासों में जीवित हैं.

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