किसने कहा कि संविधान के बिना कोई राज्य नहीं हो सकता |भारतीय संविधान की आधारभूत विशेषताए क्या है – किसी देश को चलाने के संविधान की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. देश के संविधान के बिना देश को उन्नति के मार्ग की ओर ले जाना मुमकिन नहीं है. इसलिए हमारे देश में भी आजादी के बाद प्रारूप समिति का गठन किया गया. जिसका कार्य देश के लिए एक सर्वमान्य संविधान का निर्माण करना था. तथा इस समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव आम्बेकर थे.
इस आर्टिकल में हम जानेगे की किसने कहा की संविधान के बिना कोई राज्य नहीं हो सकता है. इसके साथ ही इस आर्टिकल में हम संविधान की जरूरत और भारतीय संविधान की विशेषताओ पर भी चर्चा करेगे.
किसने कहा कि संविधान के बिना कोई राज्य नहीं हो सकता?
जैनिलिकी ने कहा था कि संविधान के बिना कोई राज्य नहीं हो सकता है.
संविधान क्यों जरुरी है?
किसी भी देश को सफलतापूर्वक चलाने के लिए उस देश का संविधान होना अनिवार्य है. अपितु दुनिया में ऐसे भी देश है जो बिना लिखित संविधान के भी चलाए जा रहे है. और निरंतर तरक्की कर रहे है. लेकिन लिखित संविधान लोकतंत्र को स्थिरता प्रदान करता है इसलिए लिखित संविधान भी महत्वपूर्ण है.
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संविधान में मुख्यरूप से शासन प्रणाली को चलाने के नियम होते है. यह नियम राज्य के नागरिक और शासक दोनों पर समान रूप से लागु होते है. संविधान देश और राज्य के सभी नागरिको को एक समान दर्जा देता है. संविधान की नजर में कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा नहीं होता है सभी एक समान होते है.
देश का संविधान ना सिर्फ शासन प्रणाली और नागरिको के अधिकारों की रक्षा करता है. अपितु शासको और नागरिको को अपने कतर्व्य के बारे में भी अवगत कराता है. किसी भी देश का संविधान देश के शासक के देश के नागरिको के प्रति कतर्व्य और नागरिको के अपने देश के प्रति कतर्व्य को अवगत कराता है.
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भारतीय संविधान की आधारभूत विशेषताए क्या है?
भारत का संविधान संविधान सभा में 26 नवम्बर 1949 को पारित किया गया था. तथा इसे देश में 26 जनवरी 1950 में लागु किया गया. इसलिए प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को पूरा देश गवतंत्र दिवस के रूप में मनाता है. डॉ भीमराव आंबेडकर को भरतीय संविधान का जनक कहा जाता है. पूरी दुनिया में लिखित में उपस्थित सबसे लम्बा संविधान भारत का है.
भारतीय संविधान के ऐसी अन्य अनेक आधारभूत विशेषताए है. जो भारतीय संविधान को सबसे अलग बनाती है. यह विशेषताए निम्नलिखित है:
संप्रभुता
संविधान निर्माताओ ने सप्रभुता शब्द को भारतीय संविधान से जोड़ा है. जिसका अर्थ है भारत एक स्वन्त्रत देश है अर्थात भारत किसी भी प्रकार की बाहरी और आंतरिक शक्ति से मुक्त है. भारत पर यहाँ के नागरिको के द्वारा चुनी गई सरकार सीधे तौर पर शासन करती है.
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समाजवादी
सन 1976 में संविधान के 42 वे संशोधन में समाजवादी शब्द को संविधान में जोड़ा गया. समाजवादी शब्द से तात्पर्य भारत अपने नागरिको को किसी भी धर्म, जाति, रंग, रूप, भाषा, लिंग के भेदभाव के एक समान दर्जा देता है. भारतीय संविधान के अनुसार भारत के नागरिक समान है. कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा नहीं है. और हमारे संविधान के यही गुण संविधान को अन्य संविधान से अलग बनाते है.
पंथनिरपेक्ष
इस शब्द को भी संविधान के 42 वे संशोधन में सविधान में जोड़ा गया है. इसके अनुसार भारत एक पंथ निरपेक्ष राज्य है. भारत का कोई एक अधिकारिक पंथ नहीं है. संविधान के नजर में सभी पन्थ एक समान है और संविधान पंथ और इनको मानने वालो में कोई भेदभाव नहीं करता है.
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लोकतान्त्रिक देश
यह शब्द भारत को एक लोकतान्त्रिक देश बनाता है. इसके अनुसार भारत एक लोकतान्त्रिक देश है तथा भारत का नागरिक को देश के किसी भी जगह से वोट देने की स्वंत्रता होती है. भारत शासन प्रणाली में किसी भी पद के लिए निश्चित समय सीमा है. कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी पद पर संविधान में लिखित अवधि से ज्यादा समय के लिए बने नहीं रह सकता है.
शक्ति विभाजन
भारत का संविधान भारत को संघात्मक देश बनाता है. जिसके अनुसार भारत में केंद्र और राज्यो के मध्य शक्तियों का विभाजन किया गया है. केंद्र और राज्य एक दुसरे के कार्य के दखल नहीं दे सकते है. राज्यों को विशेष क्षेत्रो में पूर्ण स्वत्रता दी गई है. जिससे राज्य अपने राज्य के नागरिको की उन्नति के लिए स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकते है.
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निष्कर्ष
इस आर्टिकल (किसने कहा कि संविधान के बिना कोई राज्य नहीं हो सकता |भारतीय संविधान की आधारभूत विशेषताए क्या है) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको भारतीय संविधान और इसकी विशेषताओ से अवगत कराना है. जैनिलिकी ने कहा था कि संविधान के बिना कोई राज्य नहीं हो सकता है. भारतीय संविधान के प्रस्तावना के अनुसार भारत एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक, सम्प्रभतासंपन्न गणराज्य देश है.
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