लोकतंत्र का प्राण किसे कहा जाता है | loktantra ka pran kise kaha jata hai

लोकतंत्र का प्राण किसे कहा जाता है | लोकतंत्र की विशेषताए | loktantra ka pran kise kaha jata hai – हमारा देश भारत पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है. हमारे देश में प्रत्येक नागरिक को एक व्यवस्था के अंतगर्त देश के शासन व्यवस्था में हिस्सा दिया जाता है. देश के संविधान के अनुसार प्रत्येक  भारतीय के पास कुछ मौलिक अधिकार होते है. जिसे कोई भी कानून या सरकार नहीं ले सकती है. यह ही लोकतंत्र की ताकत और महिमा है.

इस आर्टिकल में हम जानेगे की लोकतंत्र का प्राण किसे कहा जाता है. तथा क्यों लोकतंत्र के प्राण इन्हें कहा जाता है. इसके साथ इस आर्टिकल में हम लोकतंत्र की विशेषताओ के बारे में भी विस्तार से अध्ययन करेगे. और लोकतंत्र को पूर्णरूप से समझने की कोशिश करेगे.

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लोकतंत्र का प्राण किसे कहा जाता है | loktantra ka pran kise kaha jata hai

लोकतंत्र एक शासन प्रणाली है. जिसमे जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन होता है. अर्थात लोकतंत्र की शासन प्रणाली में देश की जनता ही प्रत्यक्ष रूप में देश की शासन व्यवस्था को चलाती है. संसार के अत्यधिक देश आज के समय में लोकतंत्र शासन प्रणाली के आधार पर ही चल रहे है. दुनिया का सबसे पुराना लोकतान्त्रिक देश अमेरिका है. वही पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश हमारे देश भारत है.

भारत में स्थिर लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली है. क्योंकि आजादी के बाद स्वतंत्रा संग्राम के नेताओ और देश के बुद्दिमानियो सर्वप्रथम देश के संविधान के निर्माण में सबसे ज्यादा ध्यान दिया था. किसी भी देश के लोकतंत्र को चलाने के लिए देश के संविधान की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. क्योंकि संविधान में देश को लोकतान्त्रिक रूप से चलाने के नियम और कानून लिखे होते है.

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भारत का संविधान लिखित रूप में मौजूद दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है. तथा बाबा भीमराव साहब को संविधान निर्माता का दर्जा दिया गया है. क्योंकि संविधान के अधिकतम महत्वपूर्ण भागो के निर्माण में भीमराव अम्बेडकर की भुमिका महत्वपूर्ण थी. जैसा की हमे पता है की लोकतंत्र को चलाने में संविधान की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. इसलिए संविधान लोकतंत्र का प्राण है.

दुनिया की किसी भी लोकतान्त्रिक प्रणाली में देश के नागरिको की भागीदारी महत्त्वपूर्ण होती है. क्योंकि देश की जनता के हाथ में ही सरकार को चलाने के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अधिकार होते है. इसलिए जनता भी लोकतंत्र की प्राण होती है. इस प्रकार देश का संविधान और प्रजा दोनों किसी भी देश की लोकतंत्र को चलाने में मुख्य घटक होते है. और संविधान और प्रजा ही लोकतंत्र के प्राण होते है.

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लोकतंत्र की विशेषताए

लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषताए निम्नलिखित है:

समानता का अधिकार

लोकतंत्र समानता के सिद्दांत पर आधारित है. लोकतंत्र में कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता है. इस प्रणाली में देश के सभी नागरिको को बिना किसी धर्म, जाति, लिंग, और रंग के भेदभाव के समान अधिकार होते है. लोकतंत्र में देश के सभी लोगो को समान रूप से विकास करने का अवसर प्राप्त होता है.

शासन में हिस्सेदारी

दुनिया के अधिकतम देशों में जहा लोकतंत्र मौजूद है. वहा देश के नागरिक को एक उचित वयस्क उम्र होने के बाद मत करने का अधिकार होता है. जैसे की हमारे देश में वयस्क मताधिकार की उम्र 18 वर्ष है. इससे देश के प्रत्येक नागरिको के पास शासन को चलाने और समझने की शक्ति प्राप्त होती है. देश के नागरिको को शासन प्रणाली में हिस्सा प्राप्त होता है. और उनमे आत्मविश्वास बढ़ता है.

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प्रिय जन प्रतिनिधि चुनने की आजादी

लोकतंत्र में जनता अपने क्षेत्र के प्रिय जन प्रतिनिधि को चुन कर देश की संसद या कार्यपालिका में भेजती है. चूँकि क्षेत्रीय व्यक्ति को अपने क्षेत्र की समस्याओ की जानकारी भलीभांति होती है. इसलिए वह लोग अपने क्षेत्र की जनता की आवाज को प्रभावीरूप में उठाने में समर्थ होते है.

निश्चित सीमा के लिए सरकार

लोकतंत्र में जनता को भ्रष्ट और निकम्मी सरकार से शासन की शक्ति छिनने का अधिकार होता है. क्योंकि लोकतंत्र शासन प्रणाली में कोई भी व्यक्ति एक निश्चित समय सीमा के लिए ही पद पर बने रह सकता है. उसके पश्चात् उस पद के लिए फिर से चुनाव करानी की व्यवस्था होती है. इससे सरकार और पदों पर आसीन लोग जनता के हितो को ध्यान में रखते हुए कार्य करते है.

सुव्यस्थित शासन प्रणाली

लोकतंत्र शासन प्रणाली में प्रत्येक पद की अपनी गरिमा होती है. तथा प्रत्येक पद के अपने कतर्व्य और अधिकार लिखित में संविधान में होते है. जिससे कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के कार्य में दखल नहीं कर सकता है और शासन की प्रक्रिया सुचारु रूप से चलती है.

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जनहित में कानून निर्माण

लोकतंत्र में देश के नागरिको के प्रतिनिधि देश के कानून को बनाने के लिए जिम्मेदार होते है. इससे प्रत्येक कानून जनता के सम्मान और अधिकार के लिए बनता है. देश की जनता अपने ही बनाए हुए कानून के अधीन कार्य करती है. और इससे नागरिको को सही मायनो को स्वंत्रता का अनुभव प्राप्त होता है.

नागरिको में राष्ट्रहित और राष्ट्रप्रेम भावना

लोकतंत्र शासन प्रणाली में जनता के द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन होता है. इसलिए देशवासियों के मन में अपने देश के लिए अच्छी सरकार चुनने और देश के हितो की रक्षा करने की जिम्मेदारीया होती है. जिससे देश के नागरिक के मन में राष्ट्रहित और राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत होती है. देश का नागरिक अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के प्रतिबन्ध होता है. और वह देश के प्रति प्यार और आभार प्रकट करता है. यही लोकतंत्र की ताकत है.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (लोकतंत्र का प्राण किसे कहा जाता है | लोकतंत्र की विशेषताए | loktantra ka pran kise kaha jata hai ) को लिखने का उद्देश्य आपको लोकतंत्र के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. देश की जनता और संविधान को ही लोकतंत्र का प्राण कहा जाता है. क्योकि वास्तविकता में देश की जनता और संविधान ही किसी भी देश के लोकतंत्र को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इस आर्टिकल के जरिये हमने लोकतंत्र की विशेषताओ का विस्तार से वर्णन किया है. जो लोकतंत्र को सही मायनो में समझने में सहायक है.

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