महर्षि ऋषि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था | महर्षि ऋषि वाल्मीकि की कहानी

महर्षि ऋषि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था | वाल्मीकि ऋषि के माता पिता कौन थे | महर्षि ऋषि वाल्मीकि कौन थे | महर्षि ऋषि वाल्मीकि की जीवनी – भारतवर्ष प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों की भूमि रही है. अनेक ऋषि मुनियों ने हजारो सालो से भारत को ज्ञान से सिंचा है. ऐसे ही एक ऋषि महर्षि वाल्मीकि थे. जिन्होंने संस्कृत के प्रथम महाकाव्य रामायण की रचना की थी. श्री रामायण को आदिकाव्य भी कहा जाता है. तथा इस पवित्र ग्रन्थ के रचयता ऋषि वाल्मीकि को आदिकवि भी कहा जाता है. महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के साथ योगवशिष्ठ व अक्षर-लक्ष्य जैसे महाकाव्यों की भी रचना की थी.

महर्षि वाल्मीकि का जन्म ब्राह्मण कश्यप परिवार में हुआ था. लेकिन बचपन में ही उनका अपहरण एक भीलनी (भील सम्प्रदाय की आदिवासी महिला) ने कर दिया था. इस प्रकार वाल्मीकि भीलो के साथ ही पले-बढे थे. और बड़े होकर डाकू बन गए थे. लेकिन आपको पता है की महर्षि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था. जब वह डाकू थे. तो इस आर्टिकल में हम आपको ऋषि वाल्मीकि के अतीत में लेकर जाएगे और उनकी पूरी कहानी बताएगे.

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महर्षि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था?

महर्षि वाल्मीकि का पुराना नाम रत्नाकर था. वह भील सम्प्रदाय में पले और बढे थे.

वाल्मीकि ऋषि के माता पिता कौन थे?

महर्षि वाल्मीकि के माताजी का नाम चरषणी और पिताजी का नाम प्रचेत था.

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महर्षि ऋषि वाल्मीकि कौन थे?

महर्षि वाल्मीकि का पुराना नाम रत्नाकर था. तथा उनका लालन-पालन जंगल में भील सम्प्रदाय के लोगो के साथ हुआ था. इस सम्प्रदाय के लोग पहाड़ो तथा जंगलो में रहते थे. तथा जंगल से जाने वाले मार्ग पर घात लगा कर बैठते थे. अगर कोई रहागीर वहा से निकलता तो उसे लुट कर पैसा आपस में बाट देते थे. चूँकि रत्नाकर का लालन पालन इन्ही सम्प्रदाय के लोगो के साथ हुआ इसलिए उन्होंने भी सम्प्रदाय की परंपरा को अपनाया और आगे जाकर डाकू के काम को ही पेशे के रूप में अपनाया.

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अपने परिवार के लालन पालन के लिए वह रास्ते में आने जाने वाले रहागीरो को लूटते थे. और उनको लूट से जो कुछ भी प्राप्त होता था. उससे अपने परिवार का पेट पालते थे. कभी-कभी जरूरत पड़ने पर वह राहगीरों की हत्या भी कर देते थे. इस प्रकार रत्नाकर के डाकू के काम से उनका पाप का घड़ा भरने लगा था.

एक समय की बात है. जब उनके जंगल के रास्ते से नारद मुनि निकलते है. अपने डाकू के कार्य अनुसार रत्नाकर नारद मुनि को लुटने के लिए बंदी बना देते है. तब नारद मुनि ने रत्नाकर से एक प्रश्न पूछा कि “तुम ऐसा पाप का काम क्यों करते हो प्रभु ने तुम्हे हाथ पैर दिए है ईमानदारी से क्यों नहीं कमाते हो?”

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तब रत्नाकर ने जवाब दिया कि “यह मेरा कार्य है तथा इस कार्य से ही मेरे परिवार का पालन पोषण होता है”. नारद मुनि ने वाल्मीकि से कहा की “जिस परिवार के लालन पालन करने के लिए तुम इतना घिनौना पाप का काम कर रहे हो. क्या वह ही तुम्हारे पाप को वहन करने के लिए तैयार भी है? रत्नाकर ने पुरे विश्वास के साथ फटाक से बोले की “मेरा परिवार हमेशा मेरे साथ खड़ा रहता है. मेरा परिवार इस पाप को भी वहन करने के लिए हमेशा मेरे साथ रहेंगा.”

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तब नाराद मुनि बोले कि “तुम एक बार उनसे पूछ तो लो की वह तुम्हारा पाप वहन करने के लिए तैयार भी है या नहीं? अगर तुम्हारा परिवार पाप को वहन करने के लिए तैयार हो जाता है. तो मेरे पास जितना धन है मैं तुम्हे दे दूंगा.” तब रत्नाकर अपने घर गया और अपनी पत्नी और बच्चों को पूछा कि “मै जो कार्य करता हु. उसमें प्रत्येक दिन पाप करना पडता है. और उसी कार्य से मै तुम सब लोगों के पेट पालता हु. इसलिए तुम लोग भी इस पाप में हिस्सेदार हो. क्या तुम लोग इस पाप को वहन करने के लिए तैयार हो?

इस पर परिवार के लोगों ने बिल्कुल इनकार कर दिया और कहा की “हम पाप को वहन क्यों करे हमने तो कोई पाप नहीं किया है.” इस बात से रत्नाकर को बहुत दुख होता है. और उन्हें गहरा आघात पहुचता है.

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उनको अपनी गलती समझ में आती है. और अब वह अपनी गलती के लिए पश्चाताप करना चाहते है. इसके पश्चात् रत्नाकर डाकू के कार्य को छोड़ देता है. और वह अपने पापो के पश्चाताप हेतु वन की ओर चला जाता है.

वन में कई वर्षों की तपस्या और ध्यान के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है. और उन्हें महर्षि वाल्मीकि नाम की उपाधि प्राप्त होती है. वह संस्कृत भाषा में श्री राम भगवान की कथा और पवित्र ग्रथ रामायण की रचना करते है.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (महर्षि ऋषि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था | वाल्मीकि ऋषि के माता पिता कौन थे | महर्षि ऋषि वाल्मीकि कौन थे | महर्षि ऋषि वाल्मीकि की जीवनी) को लिखने का हमारा उद्देश्य महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी बातो को आप तक पहुचाना है. महर्षि वाल्मीकि का पुराना नाम रत्नाकर था. वह भील सम्प्रदाय में पले-बढे थे. महर्षि वाल्मीकि का जन्म ब्राह्मण कश्यप परिवार में हुआ था. लेकिन बचपन में ही उनका अपहरण एक भीलनी (भील सम्प्रदाय की आदिवासी महिला) ने कर दिया था.

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