पिली क्रांति क्या है | पिली क्रांति के जनक कौन थे |पीली क्रांति का सम्बन्ध किससे है |पीली क्रांति कब हुई | Pili kranti kya hai – हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है. तथा सिन्धु सभ्यता से ही हमारे देश में लोग कृषि करते आए है. जिसके प्रमाण भी खुदाई में प्राप्त होते है. जब देश आजाद हुआ था तो अंग्रेज पूरा देश लुट गए थे. हमे फिर से अपना भविष्य और किस्मत को तरासने की जरूरत थी. आजादी के समय देश में ज्यादातर किसान पुराने तरीके से ही खेती करते थे.
पुराने तरीके से खेती करने से किसानो की ज्यादातर फसल बर्बाद हो जाती थी. तथा फसल की गुणवत्ता भी औसत ही होती थी. इससे आजादी के पश्चात् भारत में भुखमरी बढ़ने लगी. जिससे भारत सरकार को अनाज और खाध्य प्रदार्थ के लिए दुसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था. इसके पश्चात् सन 1966 भारत में हरित क्रांति की शुरुआत हुई. जिससे पुरे देश में कृषि के उत्पादन में आश्चर्यजनक वर्द्धि देखने को मिली थी.
लेकिन आपने कभी पिली क्रांति का नाम सुना है. और जानना चाहते है की पिली क्रांति क्या है. और इस क्रांति के जनक कौन थे. तो इस आर्टिकल में हम आपको पिली क्रांति के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले है. और बताने वाले है की इस क्रांति का नेतृत्व किसने किया था.
पिली क्रांति क्या है | पिली क्रांति किसे कहते है | Pili kranti kya hai
जिस प्रकार से हमारे देश को खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में हरित क्रांति की भूमिका है. उसी प्रकार से देश में तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पिली क्रांति की भूमिका है. तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से पिली क्रांति को चलाया गया था. तथा इस कार्यक्रम में भारत के 23 राज्य और कुल 337 जिलो को शामिल किया गया था. इस सम्पूर्ण कार्यक्रम के तहत भारत खाध्य तेलों और तिलहन उत्पादन में अद्भुत उपलब्धि प्राप्त की थी.
पिली क्रांति के जनक कौन थे | पीली क्रांति कब हुई
हमारे देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पिली क्रांति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तथा इस क्रांति के जनक तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी थे. जब सन 1980 में देश में आयात होने वाले खाध्य तेल की स्थिति चिंताजनक स्थित पर पहुच गई. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी ने खुद हस्तक्षेप किया था. तथा खाध्य तेल और तिलहन उत्पादन में तकनिकी मिशन की शुरुआत की थी.
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भारत में तिलहन उत्पादन कम होने के क्या कारन थे?
हमारे देश में तिलहन उत्पादन कम होने के अनेक कारन थे. यह निम्नलिखित है:
- हमारे देश की कुल कृषि भूमि में तिलहन की कृषि बिल्कुल कम प्रतिशत में थी.
- तिलहन की फसल के लिए घरेलु बीजों तथा निम्न गुणवत्ता के बीजों का उपयोग किया जाता था. जिससे तेल के उत्पादन और गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ता था.
- अच्छी किस्म की खाद और उर्वरक का उपयोग नहीं करने से तिलहन की फ़सल ख़राब होती थी.
- वैज्ञानिक तरीको और तकनिकी तरीको से तिलहन की खेती नहीं की जाती थी. जिससे फसल की सुरक्षा और गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता था.
- हरित क्रांति के फलस्वरूप मिश्रित कृषि को बढावा मिला था. लेकिन किसान दलहन की फसलो पर ज्यादा ध्यान देते थे. जिससे तिलहन उत्पादन में पुरे देश में बड़ी मात्रा में कमी आई थी.
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पिली क्रांति में क्या हुआ था | पिली क्रांति में तिलहन के उत्पादन को कैसा बढ़ाया गया था
पुरे देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए गए थे. तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी के नेतृत्व में पुरे कार्यक्रम को क्रियान्वित किया गया था. जिसमे तिलहन फसलो की गुणवत्ता और क्षमता को बढ़ाने में जोर दिया गया. इस क्रांति में निम्न अनुसार कार्य हुए थे:
न्यूनतम मूल्य में वृद्धि
किसानो का तिलहन की फसलो के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए तिलहन के उत्पादनों का न्यूनतम मूल्य को बढ़ा दिया गया. सन 1989 के आस-पास कृषि लागत और कीमत आयोग ने तिलहन की फसलो की वसूली कीमतों पर भारी वृद्धि कर दी थी.
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सरकार ने किसानो को उच्च गुणवत्ता के बीज उपलब्ध कराए. जिससे तिलहन की फसलो की गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि हुई.
राष्ट्रिय तिलहन और वानस्पतिक विकास बोर्ड (NOVOD) की स्थापना
इस कार्यक्रम के तहत राष्ट्रिय तिलहन और वानस्पतिक विकास बोर्ड की स्थापना की गई थी. जिसका संक्षिप्त नाम नोवोड (NOVOD) है. तथा इस बोर्ड के अंतगर्त विभिन्न कार्यक्रम चलाकर तिलहन की पैदावर को संभावित क्षमता तक बढ़ाने के लिए प्रयत्न किये जाते है.
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भण्डारो और वितरण की सुविधा
तिलहन की फसलो की सुरक्षा के लिए पुरे देश में भण्डारो और वितरण की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी जिससे फसल को सुरक्षा प्रदान हो.
निष्कर्ष
इस आर्टिकल (पिली क्रांति क्या है | पिली क्रांति के जनक कौन थे |पीली क्रांति का सम्बन्ध किससे है |पीली क्रांति कब हुई | Pili kranti kya hai) को लिखने का उद्देश्य आपको पिली क्रांति के बारे में विस्तार में बताना है. जिस प्रकार से हमारे देश को खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में हरित क्रांति की भूमिका है. ठीक उसी प्रकार से देश में तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पिली क्रांति की भूमिका है. सन 1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी के नेतृत्व में खाध्य तेल और तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तकनिकी मिशन की शुरुआत की गई थी. जिसे ही पिली क्रांति नाम से जाना जाता है.
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