मिश्री कैसे बनती है – मिश्री खाने के फायदे – मिश्री और चीनी में अंतर

मिश्री हमारे देश में सभी जगह उपलब्ध होती है. और विशेष रूप से मंदिरों में भगवान को मिश्री भोग के रूप में चढ़ाई जाती है. लेकिन आपको पता है. मिश्री को भगवान को क्यों चढ़ाते है. और मिश्री को एक औषधि के रूप में क्यों उपयोग किया जाता है. तो इस आर्टिकल (धागे वाली मिश्री कैसे बनती है – धागे वाली मिश्री खाने के फायदे – मिश्री और चीनी में अंतर – dhage wali misri kis se banti hai – मिश्री कैसे बनाई जाती है) में हम आपको मिश्री से जुडी प्रत्येक वस्तु को विस्तार में बनाते वाले है.

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मिश्री क्या है?

मिश्री हमारे देश में एक प्रकार की मिठाई है. जिसे हमारे देश में शुद्धता का प्रतिक माना जाता है. इसी कारन मिश्री को हम भगवान जी को भोग के रूप में भी चढ़ाते है. मिश्री दिखने में चीनी के भाति ही होती है. और मिश्री के क्रिस्टल भी चीनी के भाति ही सफ़ेद होते है. लेकिन मिश्री को बनाने का तरीका चीनी से अलग होता है. इसी कारन मिश्री और चीनी में अंतर है.

मिश्री और चीनी में क्या अंतर है?

मिश्री को हमारे देश में शुद्धता का प्रतिक माना जाता है. क्यूंकि मिश्री को हम भगवान को प्रसाद के रूप में चढ़ाते है. लेकिन हम ये नहीं समझ पाते है की जब दोनों ही गन्ने के रस को कारखाने में विभिन्न प्रक्रिया से निकाल कर बनाया जाता है. तो मिश्री गन्ने से भिन्न या मिश्री और गन्ने में अंतर क्या है.

ये बात सही है की मिश्री गन्ने के रस को विभिन्न प्रक्रियाओ से निकाल कर ही बनती है. लेकिन ये भी बात सही है की मिश्री को बनाने में किसी भी प्रकार का केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता है. मिश्री शक्कर का एक प्राकृतिक रूप है. तथा इसके क्रिस्टल प्राकृतिक रूप से बनते है.

जब गन्ने के रस से सारी अशुद्धि को दूर कर दिया जाता है. और एक मोटा घोल तैयार कर दिया जाता है. तो इस घोल में एक धागा डुबाया जाता है. और धागे को लटका दिया जाता है. जिससे प्राकृतिक रूप से और प्राकृतिक प्रक्रियाओ से क्रिस्टल बनते है. जो शुद्ध होते है. इसी कारन मिश्री को औषधि के रूप में भी काम में लिया जाता है.आगे हम मिश्री और चीनी को बनानी की प्रक्रिया को समझेगे जिससे हम मिश्री और चीनी के अंतर को आसानी से समझ सकते है.

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चीनी कैसे बनाई जाती है |

चीनी बनानी की एक प्रक्रिया होती है. तथा इस प्रक्रिया में विभिन्न स्तर होते है. जो शक्कर के उत्पादन के लिए अनिवार्य होते है. इन स्तरों को हम निचे बिन्दुओ में समझा रहे है.

  • सबसे पहले गन्ने के खेत से अच्छी गुणवत्ता के गन्ने को चीनी बनाने के लिए कारखाने में इकठ्ठा किया जाता है.
  • इसके बाद मशीनों के द्वारा गन्ने का रस निकाला जाता है.
  • मशीनों के द्वारा निकाले गए गन्ने के रस में विभिन्न अशुद्दियो होती है. अशुद्धियो को विभिन्न प्रक्रिया का उपयोग करके निकाला जाता है.
  • इस प्रकार से अशुद्दियो को निकालने के पश्चात् एक गाढ़ा घोल तैयार होता है.
  • इस गाढे घोल से केमिकल के मदद से क्रिस्टल बनाए जाते है. ये सफ़ेद क्रिस्टल ही शक्कर होते है.

धागे वाली मिश्री कैसे बनती है | धागे वाली मिश्री बनाने की विधि | मिश्री कैसे बनाई जाती है | मिश्री कैसे बनाते हैं (dhage wali mishri kaise banti hai)

ऊपर हमने जाना है की किस प्रकार से गन्ने के ज्यूस से केमिकल की मदद से शक्कर बनाई जाती है. मिश्री बनाने के लिए भी गन्ने का ही उपयोग होता है. लेकिन मिश्री शक्कर से ज्यादा शुद्ध होती है. जिसका मुख्य कारन मिश्री को बनानी की विधि है.

मिश्री में डोरा या धागा होता है. जब मिश्री बनाई जाती है. तब इस धागे को गन्ने के गाढे घोल में डुबाया जाता है. और इस धागे को लटकाया दिया जाता है. जिससे मिश्री के क्रिस्टल अपने आप प्राकृतिक रूप से प्राकृतिक क्रियाओ से बनने लगते है. जिसमे केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता है. इस प्रकार से मिश्री बनानी की प्रक्रिया शक्कर बनानी की प्रक्रिया से भिन्न है. और इसी कारन मिश्री चीनी से ज्यादा शुद्ध होती है.

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धागे वाली मिश्री के फायदे क्या है? (dhage wali mishri ke fayde)

मिश्री का दूसरा नाम रॉक सुगर (rock sugar) भी है. मिश्री चीनी का ही दूसरा रूप है. लेकिन मिश्री के फायदे देख कर आप जरुर हैरान रह जाएगे. हम निचे विभिन्न बिन्दुओ के माध्यम से मिश्री के फायदे के बारे में आपको बताने वाले है.

  • अगर आपके मुह में छाले हुए है. सामान्य रूप से मुह के छाले पेट की गर्मी के कारन होते है. तो ऐसी परिस्थिति में मिश्री के साथ इलायची का पेस्ट बनाना कर छालो के ऊपर लगाए आपको जल्दी आराम मिल जाएगा.
  • आखों की द्रष्टि को बढ़ाने के लिए मिश्री का रोज सेवन या मिश्री का पानी बना कर पिए. मिश्री आँखों की रौशनी के लिए बहुत फायदेमंद होती है.
  • अगर किसी को मोतियाबिंद की समस्या होती है. तो उन्हें खाने के बाद नियमित रूप से मिश्री का सेवन करना चाहिए. जिससे मोतियाबिंद की समस्या में राहत मिलता है.
  • स्तनपान कराने वाली माताओं को मिश्री सेवन करने की सलाह दी जाती है. क्योंकि मिश्री माँ  के दूध को बढ़ाता है.
  • किसी व्यक्ति को गले में खराश है तो उन्हें मिश्री को मुह में रहना चाहिए. जिससे गले की समस्या में आराम मिलता है.
  • टॉन्सिल्स (Tonsils) की समस्या उत्पन्न होने पर मिश्री, मक्खन और इलायची को एक साथ समान मात्रा में मिलाकर एक पेस्ट तैयार करना चाहिए. और इस पेस्ट को सुबह और शाम औषधि के रूप में लेना चाहिए. जिससे जल्दी आराम मिलता है.
  • नियमित रूप से मिश्री के सेवन से डिप्रेशन की समस्या दूर हो जाती है.

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सौंफ और मिश्री के फायदे

सौंफ के साथ मिश्री खाने से खाना अच्छी तरह से हज़म होता है.

आंवला चूर्ण और मिश्री के फ़ायदे

सूखे आवला और मिश्री को समान मात्रा पीस कर आपस में मिला ले. तथा इस चूर्ण को सुबह और शाम ले. इससे सर दर्द की समस्या में काफ़ी ज्यादा फायदा मिलता है.

मिश्री पानी क्या है और मिश्री पानी के फ़ायदे

आप मिश्री का पानी बना कर भी उपयोग कर सकते है. इसके लिए रात के समय मिश्री को पानी में मिला कर रात के समय एक लोटे में रख दे. और इसमें सुबह स्वाद के अनुसार पोदीना और काला नमक मिला दे. और इसे नियमित रूप से पिए.

मिश्री पानी से गर्मी के दिनों की थकावट, मुंह के छाले, अत्यधिक गर्मी के कारन नाक में से खून निकालनी की समस्या में फ़ायदा मिलता है.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल ( धागे वाली मिश्री कैसे बनती है | धागे वाली मिश्री खाने के फायदे | मिश्री और चीनी में अंतर | मिश्री कैसे बनाते हैं | dhage wali misri kis se banti hai) को लिखने का उद्देश्य आपको मिश्री के बारे में सम्पूर्ण जानकरी देना है. मिश्री के इतने लाभ है. जिसको जानना आपके लिए आवश्यक है. जिससे आप भी विभिन्न विषम परिस्थिति में मिश्री के औषधिक गुणों का लाभ उठा सके. मिश्री पूर्ण रूप से शुद्ध होती है. और प्राचीन काल में इसे खाने की वस्तुओ को मीठा बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता था.

आपको ये आर्टिकल कैसा लगा. ये हमे तभी पता चलेगा जब आप हमें निचे कमेंट में बताएगे. इस ज्ञान को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक फैलाए. और ज्यादा लोगो तक मिश्री के फ़ायदे को पहुचाए.

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