mohenjo daro ki khoj kisne ki – मोहन जोदड़ो की जानकारी

mohenjo daro ki khoj kisne ki – मोहन जोदड़ो की ख़ोज किसने की थी – अकसर हम सुनते आए हैं की भारत देश सोने की चिड़िया हुआ करता था. लेकिन आपको पता हैं इसके पीछे ठोस सबूत भी मौजूद हैं. भारत में विश्व की सबसे विकसित सभ्यता सिन्धु सभ्यता के अवशेष मिलते हैं. जिससे पता चलता हैं. की वास्तव में भारत एक समृध्द राष्ट्र था. इस आर्टिकल में आप सिन्धु सभ्यता के प्रमुख शहर मोहन जोदड़ो और मोहन जोदड़ो को खोजने वाले शख्स के बारे में पढ़ेगे.

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मोहन जोदड़ो की ख़ोज किसने की थी? (mohenjo daro ki khoj kisne ki)

मोहन जोदड़ो की ख़ोज राखालदास बनर्जी ने आजादी से पहले 1922 में की थी.

मोहन जोदड़ो की जानकारी

मोहन जोदड़ो सिन्धु घाटी सभ्यता का सबसे विकसित शहर था. सिन्धु घाटी सभ्यता को विश्व का सबसे प्रथम नगरीय सभ्यता माना जाता हैं. मोहन जोदड़ो एक सिन्धी शब्द है. जिसका अर्थ होता हैं मुर्दों का टीला. इस शहर के अवशेष सक्खर जिले में पुरातत्व विभाग के ख़ोज में प्राप्त हुए हैं. मोहन जोदड़ो की ख़ोज राखालदास बनर्जी ने आजादी से पहले 1922 में की थी. इस क्षेत्र की ख़ोज में बड़े तादाद में पक्की ईट की ईमारते, धातु की मुर्तिया, सिक्के और मोहरे प्राप्त हुए हैं. इस समय भी इस क्षेत्र में ख़ोज बाकि हैं.

मोहन जोड़ादो पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में उपस्थित हैं. यह लडकाना से 20 किलोमीटर और सक्खर से 80 किलोमीटर दुरी पर स्थित हैं. मोहन जोदड़ो की ख़ासियत यह हैं की आप मोहन जोदड़ो में खड़े रह कर अपने आस पास शहर को महसूस कर सकते हैं. आज भी इस जगह पर घर, चिढ़ीया, गलिया और सड़के के अवशेष स्थित हैं. इस जगह पर यह खंडर एक समृध्द शहर की जिन्दा कहानी कहते हैं.

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मोहन जोदड़ो का जल कुंड

मोहन जोदड़ो में एक विशाल एतिहासिक जल कुंड हैं. जिसकी लम्बाई 40 फुट और चौड़ाई 25 फूट हैं. इस जल कुंड की गहराई सात फूट हैं. इस कुंड के उत्तर में 8 स्नानघर भी उपस्थित हैं. कुंड पक्की ईटो से बना हुआ हैं. कुंड में से पानी बाहर निकालने के लिए ईटो की नालिया बनी हुई हैं. तथा नालिया भी पूरी तरह से ढकी हुई हैं. इससे पता चलता हैं की उस समय के लोगो की सोच कितनी समृध्द थी.

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कुंड में बाहर का गन्दा पानी अन्दर नहीं आए. इसलिए कुंड के दीवारों के अन्दर डामर लगाया हुआ था. इस कुंड के तीनो तरफ बौद्धों के कमरे बने हुए थे. पानी की व्यवस्था के लिए कुंड में दो कुए भी स्थित हैं.

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मोहन जोदड़ो का संग्रहालय

खुदाई के दौरान प्राप्त अवशेष से मोहन जोदड़ो में एक संग्रहालय का निर्माण भी कराया गया हैं. इस संग्रहालय में ताम्बे और कांसी के बर्तन, मिटटी के बर्तन, मिटटी के कंगन, माप-तौल के पत्थर, रंग बिरंगे पत्थर और पत्थर के औजार शामिल हैं. खुदाई के दौरान कुछ सुईंया भी मिली हैं. यह सुईया धातु के हाथी दात और ताम्बे की बनी हुई हैं.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (mohenjo daro ki khoj kisne kiमोहन जोदड़ो की ख़ोज किसने की थी) को लिखने का हमारा मकसद आपको मोहन जोदड़ो के बारे में विस्तार से जानकारी देना हैं. अगर आप आज भी मोहन जोदड़ो में पहुचते हैं. तो आप अपने आस पास एक जीवित शहर को जरुर महसूस करोगे. क्योंकि उन समय की इमारते इतनी मजबूत हैं की उनके अवशेष आज भी मौजूद हैं.

आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद.

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