Panchtantra ke lekhak kaun hai – पंचतंत्र का सामान्य परिचय

Panchtantra ke lekhak kaun hai | पंचतंत्र के रचयिता कौन है | पंचतंत्र का सामान्य परिचय – पंचतंत्र एक सुप्रसिद्ध और विश्वविख्यात कथा ग्रंथ हैं. विश्व में भारतीय साहित्य की निति कथाओ का एक विशेष ही महत्व हैं. पंचतंत्र उनमे से एक प्रमुख ग्रंथ हैं. संस्कृत भाषा में पंचतंत्र को अध्याय या पांच निबंध के नाम से भी जाना जाता हैं.

दोस्तों आपने पंचतंत्र का नाम और इनकी कहानिया तो सुनी ही होगी. तो आज हम इस आर्टिकल में आपको पंचतंत्र के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे. बताएगे की इस ग्रंथ के लेखक कौन है एवं पंचतंत्र का सामान्य परिचय भी आपको देंगे.

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Panchtantra ke lekhak kaun hai | पंचतंत्र के रचयिता कौन है | पंचतंत्र के लेखक कौन है

दोस्तों पंचतंत्र ग्रंथ के रचयिता एवं लेखक आचार्य विष्णु शर्मा जी हैं. आचार्य विष्णु शर्मा एक प्रसिद्द संस्कृत भाषा के लेखक थे.

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पंचतंत्र के पात्र किस तरह के है?

पंचतंत्र में आचार्य विष्णु शर्मा जी ने पशु और पक्षियों को पात्र बनाया था. उन्होंने अपने मन की बाते पशु-पक्षियों के मुख से बड़े ही रोचक तरीके से कही है. पशु और पक्षी को ही अपनी कहानी का आधार बनाकर उनकी कहानिया प्रस्तुत करते थे.

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पंचतंत्र का सामान्य परिचय

पंचतंत्र पंडित विष्णु शर्मा जी का लिखित ग्रंथ हैं. इस पुस्तक में पशुओं को पात्र बनाकर शिक्षाप्रद बातों वर्णन किया गया हैं. पशु-पक्षियों को पात्र बनाकर यह भारतीय पशुकथा का संग्रह भारत में ही. नहीं बल्कि विश्व में प्रसारित हुआ और उतना ही प्रचलित भी हुआ. पंचतंत्र ग्रंथ को यूरोप में द फेबल्स ऑफ़ बिद्पाई के नाम से जाना जाता हैं. इसका एक संस्करण वहा पर 11वी शताब्दी के दौरान ही पहुच गया था.

पंचतंत्र की कहानियों में परोपकार की जगह चतुराई को आधार बनाया गया है ऐसा मालूम पड़ता हैं. पंचतंत्र के मूल ग्रंथ में संस्कृत गद्य और छन्द पदों का मिश्रण किया हुआ हैं. जिसके कुल पांच भाग में से एक भाग में कथाए दी गई हैं.

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इस पुस्तक को पांच अध्याय में लिखा गया हैं. इस कारण इस पुस्तक का नाम पंचतंत्र के नाम से जाना जाता हैं. इस पुस्तक में पशुओं को पात्र बनाकर शिक्षाप्रद बातों का वर्णन किया गया हैं.

इस पुस्तक में एक पिंगलक नामक सिंह और उसका एक सियार मित्र होता हैं. उस सियार के दो बेटे दमनक और करटक के बिच के संवाद और कथा के जरिये व्यवहारिक ज्ञान की शिक्षा का वर्णन किया गया हैं.

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पंचतंत्र के पांच भाग कौनसे हैं?

पंचतंत्र के पांच भाग निम्नलिखित हैं:

  • मित्रभेद– (मित्रों में मनमुटाव और अलगाव)
  • मित्रलाभ या मित्रसंप्राप्ति (मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ)
  • काकोलुकियम- (कौआ और उल्लू की कथा)
  • लब्धप्रणश- (मृत्यु या विनाश के आने पर , यदि जान पर आ बने तो क्या)
  • अपरीक्षित कारक- (जिसको परखा नहीं गया हो उसे करने से पहले सावधान रहे एवं हड़बड़ी में कदम ना उठाये)

पंचतंत्र की कहानियां बहुत ही जीवंत लगती है. उन्हें बहुत ही सरल तरीके से समझाया गया हैं. पंचतंत्र के पुस्तक का अनुवाद लगभग हर भाषा में हो चूका हैं. मूल रूप से यह ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा गया हैं. इसका हिंदी भाषा में अनुवाद हुआ तब तक तो काफी विदेशी भाषा में इसका अनुवाद होकर प्रकाशन भी हो चूका था.

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पंचतंत्र में किस तरह की कथाएं दी गयी है

पंचतंत्र मुख्य रूप से संस्कृत भाषा में लिखा गया था. इस पुस्तक में जो भी कथाए लिखी गई हैं. वह सभी कथाए जानवरों, पशु,पक्षी को पात्र बनाकर उनके द्वारा लेखक ने अपने मन की बात बुलवाई हैं. पुस्तक में लिखी हुई बाते एकदम जिवंत लगती हैं और सरल रूप में समझाया गया हैं.

पंचतंत्र में मित्रभेद, मित्रलाभ, कौआ और उल्लू की कहानिया जैसे कई विषय पर कथाए लिखी गई हैं.

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पंचतंत्र के संस्करण

पंचतंत्र के कुल चार संस्करण है. जिनकी जानकारी निम्नानुसार है:

प्रथम संस्करण: यह मूल ग्रंथ का पहला अनुवाद हैं. जो सीरियन और अरबी भाषा में प्राप्त होता है.

द्रितीय संस्करण: इस में बृहत्कथा दिखाई पड़ती हैं. इसका पैशाची भाषा में अनुवाद प्राप्त होता है. हालाकि इसका मूलरूप नष्ट हो चूका हैं.

तृतीय संस्करण: इस में जैन कथाओ का संग्रह देखने को मिलेगा. यह बहुत ही प्राचीन माना जाता हैं. यह पंचतंत्र का मूलरूप था यही वह संस्करण था. जो आधुनिक युग में बहुत ही प्रचलित था.

चतुर्थ संस्करण: यह दक्षिणी पंचतंत्र का मूल स्वरूप हैं. इसका प्रतिनिधित्व नेपाली लोग करते हैं.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (Panchtantra ke lekhak kaun hai | पंचतंत्र के रचयिता कौन है | पंचतंत्र का सामान्य परिचय) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको पंचतंत्र के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. दोस्तों पंचतंत्र ग्रंथ के रचयिता एवं लेखक आचार्य विष्णु शर्मा जी हैं. आचार्य विष्णु शर्मा एक प्रसिद्द संस्कृत भाषा के लेखक थे. इस पुस्तक में पशुओं को पात्र बनाकर शिक्षाप्रद बातों वर्णन किया गया हैं.

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