प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे | prarup samiti ke adhyaksh kaun the – हमारे देश को आजादी के बाद सुचारू रूप से चलाने के लिए एक शक्तिशाली और सर्वमान्य संविधान की जरूरत थी. इसलिए आजादी से पहले ही संविधान निर्माण का कार्य शुरू हो गया था. देश के बड़े नेताओ ने आपस में मिलकर संविधान के निर्माण में विचार विमर्श करना शुरू कर दिया था. क्योंकि एक सर्वमान्य संविधान को बनाने में सालों का समय लगता हैं. संविधान निर्माण सभा की प्रथम बैठक 1 दिसम्बर, 1946 में नई दिल्ली के कोंस्टीट्यूशन हॉल (constitution hall) में हुई थी.
इस सभा में संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष श्री सच्चिदानंद सिन्हा को बनाया गया था. उसके पश्चात् 11 दिसम्बर, 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई सदस्य बनाया गया. आजादी के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने 21 अगस्त, 1947 को संविधान निर्माण के लिए एक सात सदस्य ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया. इस कमेटी का अध्यक्ष भीमराव अम्बेडकर को बनाया गया था.
प्रारूप सभा के अध्यक्ष कौन थे | prarup samiti ke adhyaksh kaun the
आजाद के बाद संविधान निर्माण के कार्य को पूर्ण करने के लिए सात लोगो की प्रारूप समिति का गठन किया गया. जिसका अध्यक्ष डॉ भीमराव आंबेडकर को बनाया गया था. जो अंत तक रहे थे.
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प्रारूप समिति के सदस्य के नाम क्या थे?
सात सदस्य इस कमेटी की जिम्मेदारी भारत को एक शक्तिशाली, सर्वमान्य और निरपेक्ष संविधान देना था. जो भारत को भविष्य की ओर ले जा सके. इस कमेटी को ही प्रारूप समिति कहा जाता हैं. तथा प्रारूप समिति के अध्यक्ष भीमराव आंबेडकर को बनाया गया हैं. इस समिति के अन्य सात लोगो के नाम निम्नलिखित थे:
- डॉ भीमराव आंबेडकर – अध्यक्ष
- एन. गोपाल स्वामी आयंगर – आजादी से पहले कश्मीर राज्य के प्रधनमंत्री थे.
- अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर – यह मद्रास के एडवोकेट जनरल थे.
- बी. एल. मित्र – यह एडवोकेट जनरल थे.
- डी. पी. खेतान – यह एक ख्याति प्राप्त वकील थे.
- कन्हैया माणिकलाल मुंशी – एक जाने मने साहित्यकार और संविधान सभा में आर्डर ऑफ़ बिज़नस कमेटी के अध्यक्ष थे.
संविधान का गठन और लागु
भारत का संविधान बनाने में बहुत कठिनाई थी. क्योंकि भारत सिर्फ एक भू-भाग ही नहीं हैं. बल्कि यहाँ पर अनेक धर्म, जाति, संस्कृति के लोग रहते हैं. संविधान के निर्माण में इन सब लोगो के हितो का ध्यान रखना अनिवार्य था. इसलिए संविधान के निर्माण में दो साल का वक्त लगा. इस समिति ने 21 फरवरी, 1948 में अपनी प्रथम रिपोर्ट संविधान सभा में समक्ष रखी.
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आखिरकार बहुत विचार विमर्श और सुझावों के साथ 26 नवम्बर, 1949 को ग्यारहवे सत्र के आखिरी दिन में संविधान को संविधान सभा के द्वारा स्वीकार किया गया. 24 जनवरी 1950 को कुल 284 लोगो ने इस पर हस्ताक्षर किये. और 26 जनवरी, 1950 के ऐतिहासिक दिन को भारत को संविधान प्राप्त हुआ. इसी दिन सविधान पुरे भारत में लागु किया गया था. संविधान लागु होने के साथ संविधान सभा को भंग कर दिया गया.
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निष्कर्ष
इस आर्टिकल (प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे | prarup samiti ke adhyaksh kaun the) में हमने आपको प्रारूप समिति, इसके अध्यक्ष और सदस्य के बारे में जानकरी दी हैं. प्रारूप समिति का गठन एक शक्तिशाली, सर्वमान्य और प्रत्येक देशवासी के हितो को ध्यान में रख कर संविधान के निर्माण के उद्द्देश्य से किया गया था. प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव आम्बेडकर थे. जो अंतिम तक रहे थे. तथा इस समिति में कुल सात सदस्य थे.
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